लखनऊ: उन्नाव गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में शनिवार का दिन काफी अहम और ऐतिहासिक रहा. जहां विपक्षी दल सपा, बसपा और कांग्रेस ने योगी सरकार को बिगड़ती कानून व्यवस्था पर घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा, वहीं बढ़ती महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर राजधानी लखनऊ में शनिवार के दिन कई सामाजिक संगठनों ने भी विरोध दर्ज कराया.
उन्नाव गैंगरेप पीड़िता की मौत की खबर के बाद से ही प्रदेश की राजनीति में भी खूब सियासी उबाल देखा गया. प्रदेश की सियासत में पहला मौका माना जा रहा है जब देश और प्रदेश की तीनों प्रमुख विपक्षी पार्टियां अलग-अलग अंदाज में मौजूदा योगी और मोदी सरकार पर हमलावर नजर आईं. एक ओर जहां विरोध दर्ज कराने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानसभा के सामने धरने पर बैठे, तो वहीं शनिवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी उन्नाव रेप पीड़िता के परिवार से मिलने उनके घर पहुंची थीं.
इन्हीं सब गहमागहमी के बीच बसपा प्रमुख मायावती भी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात करने राजभवन पहुंची. इस दौरान उन्होंने देश और प्रदेश में बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाए जाने की मांग करते हुए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा. इसके अलावा तमाम राजनीतिक छोटे-बड़े दल और सामाजिक कार्यकर्ता भी राजधानी लखनऊ स्थित गांधी प्रतिमा पर पहुंचकर रेप पीड़िता को इंसाफ दिलाए जाने की मांग करते नजर आए. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता सरकार से बराबर यह मांग कर रहे हैं कि, ऐसे दरिंदों को फांसी की सजा दी जाए और ऐसी वारदातें आगे न हो इसके लिए कोई सख्त कानून बनाया जाए.
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