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केजीएमयू में ओपीडी की बढ़ाई गई क्षमता, जुलाई से देखे जाएंगे अधिक मरीज

केजीएमयू अस्पताल की ओपीडी क्षमता को बढ़ाया गया है. केजीएमयू कुलपति ने शुक्रवार देर रात बताया कि 1 जुलाई से ओपीडी में मरीजों को देखने की संख्या बढ़ाई जाएगी.

जुलाई से देखें जाएगें अधिक मरीज
जुलाई से देखें जाएगें अधिक मरीज
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Published : Jun 26, 2021, 4:07 AM IST

Updated : Jun 26, 2021, 8:12 AM IST

लखनऊः केजीएमयू अस्पताल की ओपीडी क्षमता को बढ़ाया गया है. इसके साथ ही कोविड नियमों का पालन करते हुए ओपीडी चलाई जाएगी. कोविड काल में एक निर्धारित संख्या में मरीजों को देखा जा रहा था. मरीज की देखभाल के व्यापक हित में सुपर स्पेशियलिटी विभाग अब अपनी ओपीडी और दंत चिकित्सा सहित अन्य विभाग में प्रतिदिन 75 मरीजों (25 नए और 50 अनुवर्ती) को देखेगा. दंत डिपार्टमेंट की ओपीडी में रोजाना 150 मरीज (50 नए और 100 फॉलोअप) देखे जाएंगे.

वायरस की उत्पत्ति की वजह पता नहीं

चेस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के एक नदी की उत्पत्ति, एक संत की उत्पत्ति और कोविड-19 के मूल देश हमेशा रहस्यमय रहे हैं, टॉपिक पर केजीएमयू में एक ऑनलाइन वेबिनार हुआ. जहां पैनलिस्ट ने बताया कि जबतक वायरस की उत्पत्ति का तरीका स्पष्ट नहीं है. वर्तमान महामारी को खत्म करने का कोई तरीका नहीं है और न ही भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोका जा सकता है. ये वेबिनार गलती खोजने का अभ्यास नहीं है, बल्कि एक तथ्य खोजने वाला है. क्योंकि केवल तथ्यों के आधार पर ही इस महामारी को खत्म किया जा सकता है.

कृत्रिम उत्पत्ति की ओर कर रहे इशारा

वेबिनार में मॉडरेटर केजीएमयू के रेस्परेटरी विभाग के एचओडी डॉक्टर सूर्यकांत रहे. वेबिनार में प्रमुख बातें जो सामने आई उसमें कई सवालों के जवाब की मांग रखी गई. जहां पैनल चर्चा के दौरान कोविड-19 की उत्पत्ति के चार सिद्धांतों पर चर्चा की गई. जिसके तहत प्राकृतिक उत्पत्ति, लैब रिसाव, आनुवंशिक हेरफेर और खाद्य शीत श्रृंखला सिद्धांत इसके अलावा इस संक्रमण से मचे त्राहिमाम से पहले ही कई शोध पत्र प्रकाशित हुए थे. ऐसे में कोविड-19 के लिए उत्पत्ति के अन्य सिद्धांत कृत्रिम उत्पत्ति की ओर इशारा करते हैं. इसके अलावा कई बहुकेंद्रीय प्रयोगशालाओं में वायरस संरचना के विस्तृत अध्ययन में किसी भी ज्ञात सार्स वेरिएंट के साथ रासायनिक विन्यास में कोई समानता नहीं पाई गई है. जो इशारा करता है कि वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक रूप से नहीं हुई थी.

इसे भी पढ़ें- स्मार्ट सिटी मिशन में यूपी का शहर न आने पर हमलावर विपक्ष

चीन की जिम्मेदारी बनती है

वेबिनार में यह भी बात रखी गई कि इसी देश के वैज्ञानिकों ने जल्द से जल्द वैक्सीन विकसित करने का दावा किया. क्या इसलिए कि वे वायरस के क्रम को पहले से जानते थे. वुहान जैसे अनुसंधान प्रयोगशालाओं को अनुसंधान करने के लिए जिम्मेदार होना चाहिए. महामारी ने चीन को आधिकारिक तौर पर उनके द्वारा रिपोर्ट किए जाने की तुलना में अधिक प्रभावित किया है. चीन की महामारी की रोकथाम के मंत्रों को पूरी दुनिया से साझा किया जाना चाहिए. वेबिनार में डॉक्टर अमिता नेने, डॉ. अगम वोरा, डॉ. बीवी मुरली मोहन, डॉ. एनएच कृष्णा समेत कई लोग बतौर पैनलिस्ट शामिल हुए. वेबिनार में करीब 10 हजार प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

लखनऊः केजीएमयू अस्पताल की ओपीडी क्षमता को बढ़ाया गया है. इसके साथ ही कोविड नियमों का पालन करते हुए ओपीडी चलाई जाएगी. कोविड काल में एक निर्धारित संख्या में मरीजों को देखा जा रहा था. मरीज की देखभाल के व्यापक हित में सुपर स्पेशियलिटी विभाग अब अपनी ओपीडी और दंत चिकित्सा सहित अन्य विभाग में प्रतिदिन 75 मरीजों (25 नए और 50 अनुवर्ती) को देखेगा. दंत डिपार्टमेंट की ओपीडी में रोजाना 150 मरीज (50 नए और 100 फॉलोअप) देखे जाएंगे.

वायरस की उत्पत्ति की वजह पता नहीं

चेस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के एक नदी की उत्पत्ति, एक संत की उत्पत्ति और कोविड-19 के मूल देश हमेशा रहस्यमय रहे हैं, टॉपिक पर केजीएमयू में एक ऑनलाइन वेबिनार हुआ. जहां पैनलिस्ट ने बताया कि जबतक वायरस की उत्पत्ति का तरीका स्पष्ट नहीं है. वर्तमान महामारी को खत्म करने का कोई तरीका नहीं है और न ही भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोका जा सकता है. ये वेबिनार गलती खोजने का अभ्यास नहीं है, बल्कि एक तथ्य खोजने वाला है. क्योंकि केवल तथ्यों के आधार पर ही इस महामारी को खत्म किया जा सकता है.

कृत्रिम उत्पत्ति की ओर कर रहे इशारा

वेबिनार में मॉडरेटर केजीएमयू के रेस्परेटरी विभाग के एचओडी डॉक्टर सूर्यकांत रहे. वेबिनार में प्रमुख बातें जो सामने आई उसमें कई सवालों के जवाब की मांग रखी गई. जहां पैनल चर्चा के दौरान कोविड-19 की उत्पत्ति के चार सिद्धांतों पर चर्चा की गई. जिसके तहत प्राकृतिक उत्पत्ति, लैब रिसाव, आनुवंशिक हेरफेर और खाद्य शीत श्रृंखला सिद्धांत इसके अलावा इस संक्रमण से मचे त्राहिमाम से पहले ही कई शोध पत्र प्रकाशित हुए थे. ऐसे में कोविड-19 के लिए उत्पत्ति के अन्य सिद्धांत कृत्रिम उत्पत्ति की ओर इशारा करते हैं. इसके अलावा कई बहुकेंद्रीय प्रयोगशालाओं में वायरस संरचना के विस्तृत अध्ययन में किसी भी ज्ञात सार्स वेरिएंट के साथ रासायनिक विन्यास में कोई समानता नहीं पाई गई है. जो इशारा करता है कि वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक रूप से नहीं हुई थी.

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चीन की जिम्मेदारी बनती है

वेबिनार में यह भी बात रखी गई कि इसी देश के वैज्ञानिकों ने जल्द से जल्द वैक्सीन विकसित करने का दावा किया. क्या इसलिए कि वे वायरस के क्रम को पहले से जानते थे. वुहान जैसे अनुसंधान प्रयोगशालाओं को अनुसंधान करने के लिए जिम्मेदार होना चाहिए. महामारी ने चीन को आधिकारिक तौर पर उनके द्वारा रिपोर्ट किए जाने की तुलना में अधिक प्रभावित किया है. चीन की महामारी की रोकथाम के मंत्रों को पूरी दुनिया से साझा किया जाना चाहिए. वेबिनार में डॉक्टर अमिता नेने, डॉ. अगम वोरा, डॉ. बीवी मुरली मोहन, डॉ. एनएच कृष्णा समेत कई लोग बतौर पैनलिस्ट शामिल हुए. वेबिनार में करीब 10 हजार प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

Last Updated : Jun 26, 2021, 8:12 AM IST
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