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यूपी में केंद्र की योजना फेल, सिर्फ कागजों में चल रहे वन स्टॉप सेंटर

केंद्र सरकार की ओर से हिंसा से पीड़ित महिलाओं को सहायता देने के लिए वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की गई, लेकिन यूपी आते-आते केंद्र की योजना विफल होती नजर आ रही है. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में वन स्टॉप सेंटर अब तक खुल ही नहीं सके हैं. कहीं बिल्डिंग नहीं है तो कहीं अभी तक नियुक्ति ही नहीं हुई है. हालांकि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर यह दावा किया जा रहा है कि यूपी के सभी जिलों में वन स्टॉप सेंटर चल रहे हैं, लेकिन यूपी में सखी सेंटर कहे जाने वाले वन स्टॉप सेंटरों की सच्चाई कुछ और ही है.

one stop center running on paper only
कागजों में चल रहे वन स्टॉप सेंटर
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Published : Mar 16, 2020, 12:18 PM IST

Updated : Mar 16, 2020, 11:57 PM IST

लखनऊ: 2012 में निर्भया कांड के खिलाफ देश भर में उठी आवाज के बाद जागी केंद्र सरकार ने निर्भया फंड के तहत देश के हर जिले में एक वन स्टॉप सेंटर खोलने की योजना बनाई, लेकिन ये योजना यूपी आते-आते फेल हो गई. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से ये दावा किया गया है कि प्रदेश के हर जिले में सखी सेंटर खुल चुके हैं, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में सखी की सच्चाई कुछ और ही नजर आई.

जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कई जिलों में वन स्टॉप सेंटर खुले ही नहीं हैं. कहीं बोर्ड तो लगा दिया गया, लेकिन नियुक्ति ही नहीं हुई. कहीं किराये के कमरे में दो कुर्सी-टेबल रखकर वन स्टॉप सेंटर के बोर्ड लगा दिए गए हैं.

शर्म की बात तो यह है कि महिला अपराध के मामलों में यूपी अपने ही रिकॉर्ड तोड़ रहा है. सरकारी उदासीनता के चलते सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना भी विफल होती नजर आ रही है. आंकड़ों के हिसाब से तो यह 2015 से ही कई जिलों में संचालित हो रहा है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

प्रदेश में कागजों में चल रहे वन स्टॉप सेंटर.

बात करें हमीरपुर जिले की तो वहां वन स्टॉप सेंटर ही नहीं है. इस पर जिला प्रोबेशन अधिकारी का कहना है कि जमीन का चिन्हीकरण हो चुका है और निर्माण की प्रक्रिया शुरू होनी है. वहीं दूसरी ओर बस्ती जिले में 2018-19 में वन स्टॉप सेंटर के लिए बजट मिला था, लेकिन जमीन नहीं मिल सकी.

बहराईच में अब तक वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत नहीं हुई. यहां तक कि जमीन तक नहीं मिल सकी है.

यूपी के अंबेडकर नगर के 181 के कार्यालय पर ही वन स्टॉप सेंटर लिख दिया गया, लेकिन वन स्टॉप सेंटर का निर्माण नहीं कराया गया. जिला प्रोबेशन का कहना है कि अस्थाई रूप से वन स्टॉप सेंटर को संचालित किया जा रहा है. हालांकि सेंटर के लिए जमीन चिन्हीकरण कर लिया गया.

वहीं औरैया में बिल्डिंग बनाने की सिर्फ बात की जा रही है. चंदौली में भी वन स्टॉप सेंटर अस्थाई रूप से चल रहा है, लेकिन हाल यहां का ऐसा की यहां किसी की नियुक्ति ही नहीं की गई है. वहीं बात करें प्रतापगढ़ जिले की तो 181 के कर्मचारी ही यहां वन स्टॉप सेंटर चला रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- क्या होता है वन स्टॉप सेंटर, जहां पीड़िताओं को मिलती है 'सखी' की सहायता

लखनऊ: 2012 में निर्भया कांड के खिलाफ देश भर में उठी आवाज के बाद जागी केंद्र सरकार ने निर्भया फंड के तहत देश के हर जिले में एक वन स्टॉप सेंटर खोलने की योजना बनाई, लेकिन ये योजना यूपी आते-आते फेल हो गई. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से ये दावा किया गया है कि प्रदेश के हर जिले में सखी सेंटर खुल चुके हैं, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में सखी की सच्चाई कुछ और ही नजर आई.

जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कई जिलों में वन स्टॉप सेंटर खुले ही नहीं हैं. कहीं बोर्ड तो लगा दिया गया, लेकिन नियुक्ति ही नहीं हुई. कहीं किराये के कमरे में दो कुर्सी-टेबल रखकर वन स्टॉप सेंटर के बोर्ड लगा दिए गए हैं.

शर्म की बात तो यह है कि महिला अपराध के मामलों में यूपी अपने ही रिकॉर्ड तोड़ रहा है. सरकारी उदासीनता के चलते सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना भी विफल होती नजर आ रही है. आंकड़ों के हिसाब से तो यह 2015 से ही कई जिलों में संचालित हो रहा है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

प्रदेश में कागजों में चल रहे वन स्टॉप सेंटर.

बात करें हमीरपुर जिले की तो वहां वन स्टॉप सेंटर ही नहीं है. इस पर जिला प्रोबेशन अधिकारी का कहना है कि जमीन का चिन्हीकरण हो चुका है और निर्माण की प्रक्रिया शुरू होनी है. वहीं दूसरी ओर बस्ती जिले में 2018-19 में वन स्टॉप सेंटर के लिए बजट मिला था, लेकिन जमीन नहीं मिल सकी.

बहराईच में अब तक वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत नहीं हुई. यहां तक कि जमीन तक नहीं मिल सकी है.

यूपी के अंबेडकर नगर के 181 के कार्यालय पर ही वन स्टॉप सेंटर लिख दिया गया, लेकिन वन स्टॉप सेंटर का निर्माण नहीं कराया गया. जिला प्रोबेशन का कहना है कि अस्थाई रूप से वन स्टॉप सेंटर को संचालित किया जा रहा है. हालांकि सेंटर के लिए जमीन चिन्हीकरण कर लिया गया.

वहीं औरैया में बिल्डिंग बनाने की सिर्फ बात की जा रही है. चंदौली में भी वन स्टॉप सेंटर अस्थाई रूप से चल रहा है, लेकिन हाल यहां का ऐसा की यहां किसी की नियुक्ति ही नहीं की गई है. वहीं बात करें प्रतापगढ़ जिले की तो 181 के कर्मचारी ही यहां वन स्टॉप सेंटर चला रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- क्या होता है वन स्टॉप सेंटर, जहां पीड़िताओं को मिलती है 'सखी' की सहायता

Last Updated : Mar 16, 2020, 11:57 PM IST
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