ETV Bharat / state

कोरोना के कहर में बेबसी की इंतेहा: एंबुलेंस के इंतजार में गई एक और जान

राजधानी में एक और कोरोना संक्रमित मरीज एंबुलेंस का इंतजार करता रहा, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई. थकहार कर मरीज के परिजन उसे लेकर अयोध्या मेडिकल कॉलेज गए, जहां मरीज ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. मृतक मरीज की कोरोना संक्रमित पत्नी की हालत गंभीर बनी हुई है.

कॉन्सेप्ट इमेज.
कॉन्सेप्ट इमेज.
author img

By

Published : Apr 16, 2021, 8:21 PM IST

Updated : Apr 16, 2021, 10:15 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बेकाबू कोरोना संक्रमण के बीच स्वास्थ्य सेवाओं का हाल अब किसी से छिपा नहीं रह गया है. प्रदेश की राजधानी कोरोना से कराह रही है. मरीज घंटों एंबुलेंस में बैठकर अस्पताल के बाहर अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं कि कब उनको बेड मिलेगा. अब तो बेड मिलने की भी बात छोड़िये, कोरोना मरीजों के घर तक एंबुलेंस पहुंच जाए, यही बहुत बड़ी बात है. इसके कई उदाहरण हैं.

कोरोना पीड़तों की खौफनाक कहानियां लखनऊ में बेहद डरावनी हो चली हैं. गोमती नगर में विनम्र खंड के निवासी पूर्व जिला जज रमेश चंद्रा और उनकी पत्नी मधु चंद्रा दोनों ही संक्रमण की चपेट में आए, जिसके बाद एंबुलेंस नहीं मिल पाने के कारण गुरुवार सुबह मधु चंद्रा की मौत हो गई. पूर्व जिला जज रमेश चंद्रा ने आरोप लगाया है कि एंबुलेंस अगर सही समय पर आती तो शायद उनकी पत्नी को बचाया जा सकता था.

इस घटना के 24 घंटे बाद शुक्रवार को एंबुलेंस के इंतजार में एक और जान चली गई. अयोध्या के साकेत महाविद्यालय छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष ओम प्रकाश मिश्रा और उनकी पत्नी दीपा मिश्रा दोनों कोरोना पॉजिटिव थे. ओम प्रकाश मिश्रा की बेटी और बेटा दोनों लगातार लखनऊ के कोविड कमांड सेंटर और लोहिया संस्थान में फोन कर एंबुलेंस भेजने की गुहार लगाते रहे, लेकिन एंबुलेंस नहीं भेजी गई.

इसे भी पढ़ें:- तड़प-तड़पकर मर गईं पूर्व जिला जज की पत्नी, लेने नहीं आई एंबुलेंस

इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया तो उन्हें लखनऊ सीएमओ का नंबर दिया गया. जब उन्होंने सीएमओ के नंबर पर फोन किया तो सीएमओ ने फोन नहीं उठाया. कई बार फोन करने के बाद भी सीएमओ का फोन नहीं उठा. राजधानी में मदद न मिलते देख ओम प्रकाश मिश्रा के परिजन उन्हें और उनकी पत्नी को लेकर अयोध्या मेडिकल कॉलेज रवाना हो गए. यहां इलाज के दौरान ओम प्रकाश मिश्रा की मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी दीपा मिश्रा की हालत गंभीर बताई जा रही है.

एल-2 व एल-3 में बेड फुल
राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने व इलाज की व्यवस्था पूरी तरह चौपट है. आलम यह है कि स्वास्थ्य महानिदेशक से लेकर सीएमओ, एसीएमओ व मरीजों की भर्ती के लिए लगाए गए अन्य अधिकारी न तो फोन का जवाब दे रहे हैं और न ही मैसेज का. ऐसे में गंभीर मरीजों की हालत बिगड़ती जा रही है. किसी भी अस्पताल में यदि मरीज स्वयं भर्ती होने के लिए बेड तलाश भी रहा है तो सीएमओ की अनुमति पाना उसके लिए असंभव साबित हो रहा है. कोई भी अधिकारी ऐसे मरीजों को भर्ती होने के लिए अनुमति पत्र तक तैयार नहीं कर रहा है. इससे वह भर्ती नहीं हो पा रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एल-2 व एल-3 में बेड लगभग फुल हैं. इस वजह से मरीजों को भर्ती करने में मुश्किल हो रही है.

अधिकारी को फोन करने पर नहीं आया कोई जवाब
शुक्रवार को भी बहुत से मरीज भर्ती के लिए कंट्रोल रूम से लेकर सीएमओ व अन्य अधिकारियों को फोन करते रहे, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. ईटीवी भारत ने भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय भटनागर को अलग-अलग समय पर दिन में तीन बार फोन किया, लेकिन एक बार भी फोन नहीं उठा. दो बार नंबर बंद पाया गया. इसके बाद एसीएमओ डॉ. रवि पांडेय को भी एक-दो घंटे के अंतराल पर तीन से चार बार फोन किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. एलडीए के सचिव पवन गंगवार को भी कई बार फोन किया गया, सिर्फ एक बार उनके सहायक ने उठाकर कहा कि साहब मीटिंग में हैं.

इसके बाद कई घंटे के अंतराल पर दो-दो बार स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी व स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह को फोन किया गया, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया. फिर एलडीए की अधिकारी ऋतु सुहास को फोन किया तो उन्होंने मरीज का ब्यौरा मांगा. जिन अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया, उन्हें मरीजों की समस्या ब्यौरे के साथ व्हाट्सएप भी किया गया, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. एसीएमओ डॉ. एके श्रीवास्तव ने दिन में दो बार फोन करने व व्हाट्सएप करने पर एक बार फोन उठाया. तब उन्होंने बताया कि मरीज इसलिए भर्ती नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि केजीएमयू, लोहिया संंस्थान, पीजीआई, एरा, इंटिग्रल जैसे कोई भी एल-3 व एल-2 लेवल के अस्पताल बेड खाली नहीं होने की बात कर रहे हैं. इससे मरीजों को भर्ती कराने में मुश्किल आ रही है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बेकाबू कोरोना संक्रमण के बीच स्वास्थ्य सेवाओं का हाल अब किसी से छिपा नहीं रह गया है. प्रदेश की राजधानी कोरोना से कराह रही है. मरीज घंटों एंबुलेंस में बैठकर अस्पताल के बाहर अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं कि कब उनको बेड मिलेगा. अब तो बेड मिलने की भी बात छोड़िये, कोरोना मरीजों के घर तक एंबुलेंस पहुंच जाए, यही बहुत बड़ी बात है. इसके कई उदाहरण हैं.

कोरोना पीड़तों की खौफनाक कहानियां लखनऊ में बेहद डरावनी हो चली हैं. गोमती नगर में विनम्र खंड के निवासी पूर्व जिला जज रमेश चंद्रा और उनकी पत्नी मधु चंद्रा दोनों ही संक्रमण की चपेट में आए, जिसके बाद एंबुलेंस नहीं मिल पाने के कारण गुरुवार सुबह मधु चंद्रा की मौत हो गई. पूर्व जिला जज रमेश चंद्रा ने आरोप लगाया है कि एंबुलेंस अगर सही समय पर आती तो शायद उनकी पत्नी को बचाया जा सकता था.

इस घटना के 24 घंटे बाद शुक्रवार को एंबुलेंस के इंतजार में एक और जान चली गई. अयोध्या के साकेत महाविद्यालय छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष ओम प्रकाश मिश्रा और उनकी पत्नी दीपा मिश्रा दोनों कोरोना पॉजिटिव थे. ओम प्रकाश मिश्रा की बेटी और बेटा दोनों लगातार लखनऊ के कोविड कमांड सेंटर और लोहिया संस्थान में फोन कर एंबुलेंस भेजने की गुहार लगाते रहे, लेकिन एंबुलेंस नहीं भेजी गई.

इसे भी पढ़ें:- तड़प-तड़पकर मर गईं पूर्व जिला जज की पत्नी, लेने नहीं आई एंबुलेंस

इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया तो उन्हें लखनऊ सीएमओ का नंबर दिया गया. जब उन्होंने सीएमओ के नंबर पर फोन किया तो सीएमओ ने फोन नहीं उठाया. कई बार फोन करने के बाद भी सीएमओ का फोन नहीं उठा. राजधानी में मदद न मिलते देख ओम प्रकाश मिश्रा के परिजन उन्हें और उनकी पत्नी को लेकर अयोध्या मेडिकल कॉलेज रवाना हो गए. यहां इलाज के दौरान ओम प्रकाश मिश्रा की मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी दीपा मिश्रा की हालत गंभीर बताई जा रही है.

एल-2 व एल-3 में बेड फुल
राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने व इलाज की व्यवस्था पूरी तरह चौपट है. आलम यह है कि स्वास्थ्य महानिदेशक से लेकर सीएमओ, एसीएमओ व मरीजों की भर्ती के लिए लगाए गए अन्य अधिकारी न तो फोन का जवाब दे रहे हैं और न ही मैसेज का. ऐसे में गंभीर मरीजों की हालत बिगड़ती जा रही है. किसी भी अस्पताल में यदि मरीज स्वयं भर्ती होने के लिए बेड तलाश भी रहा है तो सीएमओ की अनुमति पाना उसके लिए असंभव साबित हो रहा है. कोई भी अधिकारी ऐसे मरीजों को भर्ती होने के लिए अनुमति पत्र तक तैयार नहीं कर रहा है. इससे वह भर्ती नहीं हो पा रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एल-2 व एल-3 में बेड लगभग फुल हैं. इस वजह से मरीजों को भर्ती करने में मुश्किल हो रही है.

अधिकारी को फोन करने पर नहीं आया कोई जवाब
शुक्रवार को भी बहुत से मरीज भर्ती के लिए कंट्रोल रूम से लेकर सीएमओ व अन्य अधिकारियों को फोन करते रहे, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. ईटीवी भारत ने भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय भटनागर को अलग-अलग समय पर दिन में तीन बार फोन किया, लेकिन एक बार भी फोन नहीं उठा. दो बार नंबर बंद पाया गया. इसके बाद एसीएमओ डॉ. रवि पांडेय को भी एक-दो घंटे के अंतराल पर तीन से चार बार फोन किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. एलडीए के सचिव पवन गंगवार को भी कई बार फोन किया गया, सिर्फ एक बार उनके सहायक ने उठाकर कहा कि साहब मीटिंग में हैं.

इसके बाद कई घंटे के अंतराल पर दो-दो बार स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी व स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह को फोन किया गया, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया. फिर एलडीए की अधिकारी ऋतु सुहास को फोन किया तो उन्होंने मरीज का ब्यौरा मांगा. जिन अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया, उन्हें मरीजों की समस्या ब्यौरे के साथ व्हाट्सएप भी किया गया, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. एसीएमओ डॉ. एके श्रीवास्तव ने दिन में दो बार फोन करने व व्हाट्सएप करने पर एक बार फोन उठाया. तब उन्होंने बताया कि मरीज इसलिए भर्ती नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि केजीएमयू, लोहिया संंस्थान, पीजीआई, एरा, इंटिग्रल जैसे कोई भी एल-3 व एल-2 लेवल के अस्पताल बेड खाली नहीं होने की बात कर रहे हैं. इससे मरीजों को भर्ती कराने में मुश्किल आ रही है.

Last Updated : Apr 16, 2021, 10:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.