लखनऊ: केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में सिंचाई प्रणाली का मूल्यांकन और उच्च जल उत्पादकता की रणनीति पर योजना बनाई गई. इस परियोजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति के किसानों के लिए जल एकांत और ऊसर भूमि के सुधार के विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया.
इस प्रशिक्षण आयोजन के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के शोध संयुक्त निदेशक डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह रहे. संस्थान के अध्यक्ष जसपाल सिंह ने ऊसर भूमि के सुधार और प्रबंधन पर किए जा रहे प्रयासों के बारे में मुख्य अतिथि और किसानों को अवगत कराया. साथ ही संस्थान द्वारा विकसित जैविक उर्वरक जैसे सीएसआर बायो, हैलो एजो, हैलो पीसीबी, हैलो जिंक, फसल अवशेष विगालक, आईसीआर फ्यूजीकांट, प्रशिक्षण के मुख्य आकर्षण रहे.
ये लोग रहे मौजूद
इस अवसर पर जल एकांत और ऊसर भूमि में सुधार, प्रबंधन में जैविक खाद का उपयोग, फसल सुरक्षा उपकरण और उनके प्रयोग, ऊसर भूमि के लिए लवण सहनशील प्रजातियों का प्रयोग, ऊसर और सामान्य भूमि में एप्पल बेर की खेती किए जाने को लेकर विभिन्न वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण दिए. इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से वक्ता डॉ. दामोदरन, डॉ. छेदीलाल वर्मा, डॉ. रामगोपाल, डॉ. राम प्रताप ओझा और श्याम मिश्रा मौजूद थे.
अनुसूचित जाति के किसानों को नैपसैक स्पेयर दिए गए
इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने रायबरेली के अनुसूचित जाति के किसानों को नैपसैक स्प्रेयर वितरित किए गए. वहीं मुख्य अतिथि ने किसानों की आय दोगुना करने के लिए कृषि यंत्रों के योगदान पर विशेष बल दिया. साथ ही उसर भूमि में कार्बनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सरकारों द्वारा दी गई विभिन्न योजनाओं को समझाया.