लखनऊः सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने एआईएमआईएम, पीएसपीएल और आजाद समाज पार्टी को मिलाकर जन भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया था. इनके प्रमुखों ने मिलकर संकल्प लिया था कि ये मोर्चा एक विकल्प बनकर उभरेगा. लेकिन जैसे ही मोर्चा के संयोजक ओमप्रकाश राजभर को अपने लिए विकल्प मिला. उन्होंने संकल्प को ही किनारे रख दिया. अब राजभर समाजवादी पार्टी के साथ खड़े हो गए. कुल मिलाकर अब मोर्चा का अस्तित्व खतरे में है. हालांकि इन पार्टियों के नेता अपने-अपने तर्क दे रहे हैं.
अब राजभर के एसपी के साथ जाने के बाद कोई कह रहा है कि कोई मोर्चा बनकर अभी तैयार नहीं हुआ था, तो कोई कह रहा है कि जब ओमप्रकाश ही चले गए तो मोर्चा का क्या मतलब है. हालांकि जब इस मोर्चे की नींव पड़ी थी तो इनके नेता कह रहे थे कि भागीदारी मोर्चा अकेले दम पर ही यूपी में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को खदेड़ देगा. लेकिन इसी बीच भागीदारी संकल्प मोर्चा के अन्य नेताओं को अंधेरे में रखकर राजभर अपने लिए व्यवस्था करने में जुट गए. जिस भारतीय जनता पार्टी को हराने की कसम खा रहे थे. उन्ही बीजेपी के नेताओं से इसी बीच ओपी राजभर की बात भी हुई और मुलाकात भी. लेकिन जब बात नहीं बनी तो उन्होंने अखिलेश यादव के पक्ष में बयानबाजी शुरू कर दी. यहां तक कह डाला था कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को अखिलेश यादव ही हरा सकते हैं. यहीं से समाजवादी पार्टी से गठबंधन के लिए ओपी राजभर ने दरवाजे खोलने शुरू कर दिए. धीरे से भागीदारी संकल्प मोर्चा के अन्य नेताओं को खबर किए बिना राजभर अखिलेश के दर पर जा पहुंचे और अपने लिए अखिलेश के साथ विकल्प तलाश लिया और भागीदारी संकल्प मोर्चा के संकल्प को किनारे रख दिया.
भागीदारी संकल्प मोर्चा में तो शिवपाल सिंह यादव कभी नहीं रहे. कभी कोई यह नहीं कह सकता. बातें चल रही थीं. यह अलग बात है कि कई बार बैठकें हुईं, बातें हुईं. हां शिवपाल सिंह यादव ने यह जरूर कहा चाहे ओवैसी हों या फिर ओमप्रकाश राजभर सभी समाजवादी विचारधारा के लोग एक मंच पर आएं और संप्रदायिकता वाली सरकार सत्तारूढ़ भाजपा को सत्ता से बेदखल किया जाए. लेकिन सच यह है कि जितने पुराने गठबंधन हुए चाहे 2017 का हो, चाहे 2019 का. अलायन्स से शिवपाल यादव को दूर रखा गया, वह सफल नहीं हो पाया. यह सच है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को हटाने के लिए कोई भी गठबंधन बन जाए, वह हर समय फेल साबित होगा. जब तक शिवपाल सिंह यादव को गठबंधन में साथ नहीं रखेंगे. राजभर के समाजवादी पार्टी के साथ जाने पर सपा प्रवक्ता अरविंद यादव कहते हैं कि हमें बहुत खुशी है कि शिवपाल सिंह यादव जिस विचारधारा की बात करते हैं कि सभी लोग मंच आए, उस पर राजभर को अखिलेश यादव ने लिया है. हमारे यहां राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि उनकी भी बात हो रही है. हमारे यहां शीर्ष नेतृत्व तय करेगा. सच है कि शिवपाल के बिना कोई गठबंधन सफल नहीं हो सकता. भाजपा को हटाने के लिए, सांप्रदायिक सरकार को हटाने के लिए शिवपाल सिंह यादव जरूरी ही नहीं मजबूरी भी हैं.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 19वें स्थापना दिवस पर वंचित पिछड़ा अल्पसंख्यक महापंचायत हुई. यह भागीदारी संकल्प मोर्चा का कार्यक्रम था. यहां पर भागीदारी संकल्प मोर्चा का गठबंधन हुआ है. सिर्फ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ही नहीं थी. उसमें भागीदारी संकल्प मोर्चा के प्रेमचंद प्रजापति हैं, बाबू रामपाल हैं, रामसागर बिंद हैं, सुनील अर्कवंशी हैं, सतीश बंजारा हैं, गुलाब सिंह खंगार हैं. ओवैसी से वार्ताक्रम चल रहा है. जब ओवैसी से वार्ता फाइनल हो जाएगी तो वह भी मंच साझा करेंगे. जहां तक ओवैसी के प्रवक्ता का कहना है कि अब मोर्चा बचा ही कहां है तो वह प्रवक्ता हैं वह अपना बयान दे रहे हैं. उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष कुछ और कहते हैं. यह लोग आपस में ही सहमति नहीं बना पा रहे हैं कि हमें कहना क्या है? उत्तर प्रदेश की जनता इस समय बदलाव चाह रही है. जनता भारतीय जनता पार्टी को खदेड़ना चाहती है. 2022 में खदेड़ना होगा और भारतीय जनता पार्टी का सफाया होगा.
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एआईएमआईएम के पदाधिकारी आसिम वकार ओमप्रकाश राजभर के अखिलेश के साथ गठबंधन करने पर कहते हैं कि अब भागीदारी संकल्प मोर्चा बचा ही कहां है? हालांकि इससे कुछ भी ज्यादा कहने से वो पूरी तरह रहे हैं.
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