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क्या कहता है राजभर का सियासी गठजोड़, 2022 में कैसी होगी फतह

यूपी में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं. बिहार की तर्ज पर यूपी में भी ओवैसी और ओमप्रकाश राजभर ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि यूपी में इस समीकरण को चुनाव के दौरान कितना लाभ मिल पाता है.

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Published : Dec 17, 2020, 3:48 AM IST

ओमप्रकाश राजभर
ओमप्रकाश राजभर

लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. मुस्लिम वोट बैंक पर यूपी में सत्तारूढ़ भाजपा विरोधी सभी राजनीतिक दलों की नजर है. इसी लिहाज से ओवैसी और ओमप्रकाश राजभर की मुलाकात ने उत्तर प्रदेश में नए सियासी गठजोड़ का संकेत दे दिया है.

मुलाकात के कई मायने.

केजरीवाल की घोषणा के बाद बढ़ी सरगर्मी

यूपी में होने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा विधानसभा चुनाव लड़े जाने की घोषणा किए जाने के बाद से उत्तर प्रदेश में सियासत गर्म हो गई है. इसी क्रम में सुहेलदेव पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और ओवैसी के बीच हुई मुलाकात ने एक नए राजनीतिक समीकरण की तरफ इशारा किया है. यह सारी कवायद उत्तर प्रदेश में दलितों और पिछड़ों के साथ मुस्लिम वोटों पर से सेंधमारी मानी जा रही है.

बिहार विधानसभा चुनाव में हो चुका है गठबंधन का प्रयोग

बिहार विधानसभा चुनाव में भी ओवैसी और बसपा सुप्रीमो मायावती का गठबंधन हुआ था. ओमप्रकाश राजभर भी इस गठबंधन में साथ थे. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी यदि वही समीकरण धरातल पर आएंगे और सभी दल एक साथ चुनाव लड़ेंगे तो इसका फायदा भी देखने को मिलेगा. बिहार में इस गठबंधन को छह सीटें मिली हैं. स्वाभाविक है कि इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है.

गठबंधन से मिलेगी भाजपा को चुनौती

उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ा दलित के साथ यदि मुसलमान वोट जुड़ेगा तो स्वाभाविक रूप से भागीदारी संयुक्त मोर्चा को सफलता मिल सकती है. इस गठबंधन में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी आ सकती है. ऐसे में यदि यह गठबंधन उत्तर प्रदेश में मिलकर चुनाव लड़ेगा तो निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी के सामने एक कड़ी चुनौती पेश करेगा.

भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं ओमप्रकाश राजभर

प्रदेश की योगी सरकार के गठन के बाद प्रदेश के कैबिनेट में शामिल रहे सुहेलदेव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने के बाद लगातार भाजपा पर निशाना साध रहे हैं. ऐसे में जिस तरह से ओमप्रकाश राजभर अपनी पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल हो रहे हैं. निश्चित रूप से भाजपा से अपनी पुरानी अदावत का बदला लेने की पूरी कोशिश करेंगे.

अपने मंसूबे में ओमप्रकाश राजभर कितना सफल होंगे, यह तो आने वाला समय बताएगा. लेकिन जिस तरह से यह नया गठबंधन बन रहा है, उससे निश्चित रूप से भाजपा के सामने चुनौती पेश करेगा. बताते चलें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जिस तरह से सियासी गोटियां अभी से बैठाई जा रही हैं. निश्चित रूप से इस सियासत में राजनीतिक समीकरण नए तरह के आगे और भी नजर आएंगे.

लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. मुस्लिम वोट बैंक पर यूपी में सत्तारूढ़ भाजपा विरोधी सभी राजनीतिक दलों की नजर है. इसी लिहाज से ओवैसी और ओमप्रकाश राजभर की मुलाकात ने उत्तर प्रदेश में नए सियासी गठजोड़ का संकेत दे दिया है.

मुलाकात के कई मायने.

केजरीवाल की घोषणा के बाद बढ़ी सरगर्मी

यूपी में होने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा विधानसभा चुनाव लड़े जाने की घोषणा किए जाने के बाद से उत्तर प्रदेश में सियासत गर्म हो गई है. इसी क्रम में सुहेलदेव पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और ओवैसी के बीच हुई मुलाकात ने एक नए राजनीतिक समीकरण की तरफ इशारा किया है. यह सारी कवायद उत्तर प्रदेश में दलितों और पिछड़ों के साथ मुस्लिम वोटों पर से सेंधमारी मानी जा रही है.

बिहार विधानसभा चुनाव में हो चुका है गठबंधन का प्रयोग

बिहार विधानसभा चुनाव में भी ओवैसी और बसपा सुप्रीमो मायावती का गठबंधन हुआ था. ओमप्रकाश राजभर भी इस गठबंधन में साथ थे. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी यदि वही समीकरण धरातल पर आएंगे और सभी दल एक साथ चुनाव लड़ेंगे तो इसका फायदा भी देखने को मिलेगा. बिहार में इस गठबंधन को छह सीटें मिली हैं. स्वाभाविक है कि इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है.

गठबंधन से मिलेगी भाजपा को चुनौती

उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ा दलित के साथ यदि मुसलमान वोट जुड़ेगा तो स्वाभाविक रूप से भागीदारी संयुक्त मोर्चा को सफलता मिल सकती है. इस गठबंधन में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी आ सकती है. ऐसे में यदि यह गठबंधन उत्तर प्रदेश में मिलकर चुनाव लड़ेगा तो निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी के सामने एक कड़ी चुनौती पेश करेगा.

भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं ओमप्रकाश राजभर

प्रदेश की योगी सरकार के गठन के बाद प्रदेश के कैबिनेट में शामिल रहे सुहेलदेव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने के बाद लगातार भाजपा पर निशाना साध रहे हैं. ऐसे में जिस तरह से ओमप्रकाश राजभर अपनी पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल हो रहे हैं. निश्चित रूप से भाजपा से अपनी पुरानी अदावत का बदला लेने की पूरी कोशिश करेंगे.

अपने मंसूबे में ओमप्रकाश राजभर कितना सफल होंगे, यह तो आने वाला समय बताएगा. लेकिन जिस तरह से यह नया गठबंधन बन रहा है, उससे निश्चित रूप से भाजपा के सामने चुनौती पेश करेगा. बताते चलें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जिस तरह से सियासी गोटियां अभी से बैठाई जा रही हैं. निश्चित रूप से इस सियासत में राजनीतिक समीकरण नए तरह के आगे और भी नजर आएंगे.

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