बर्दवान (पश्चिम बंगाल) : राज्य के सरकारी बर्दवान मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 24 घंटे में 9 जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ है. अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि मां और नवजात सभी स्वस्थ हैं. डॉक्टरों का दावा है कि पश्चिम बंगाल में इस तरह की यह पहली घटना है.
अस्पताल के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर होने के बावजूद काम संभाले हुए हैं. अस्पताल सूत्रों के अनुसार, मंगलवार सुबह 8 बजे से बुधवार सुबह 8 बजे के बीच बर्दवान मेडिकल कॉलेज में 18 जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ. इनमें 9 प्रसवों में से 8 की सिजेरियन डिलीवरी हुई और एक महिला की सामान्य डिलीवरी हुई. ये मरीज बांकुरा, हुगली, नादिया, झारग्राम और बर्दवान के रहने वाले हैं. सभी माताओं और नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए 11 डॉक्टरों की एक मेडिकल टीम को लगाया गया था.
इस बारे में स्त्री रोग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर (डॉ) मलय सरकार ने कहा कि पिछले 24 घंटों में कुल नौ जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि राज्य में पहले कहीं भी इतनी संख्या में जुड़वां बच्चे पैदा हुए हैं या नहीं. इसका मुख्य कारण बर्दवान रेफरल सेंटर है. उन्होंने कहा, "कई मामलों में विभिन्न स्थानों से उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की बात कही गई है. हड़ताल के दौरान भी मरीज के परिवार के प्रति हमारी जिम्मेदारी है." हमारे स्त्री रोग विभाग के जूनियर डॉक्टरों ने बहुत ही आत्मविश्वास के साथ दबाव को संभाला है.
9 जुड़वां प्रसवों में से 8 सिजेरियन द्वारा और एक सामान्य प्रसव द्वारा हुआ है." उन्होंने कहा कि मां और उनके नवजात सभी ठीक हैं. अपने 25 साल के जीवन में मैंने ऐसी बात कभी नहीं सुनी. वास्तव में 80 में से एक प्रसव ऐसा होता है. 24 घंटे में 9 जुड़वां प्रसव बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल का रिकॉर्ड है. वहीं बर्दवान मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एवं उप-प्राचार्य डॉ. तपस घोष ने कहा, "पिछले 24 घंटों में बर्दवान मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक अभूतपूर्व घटना घटी है. यहां पर नौ माताओं को जुड़वां बच्चे हुए हैं. उन्होंने कुल 18 बच्चों को जन्म दिया है. पहले औसतन एक दिन में तीन से चार बच्चे जन्म लेते थे." उन्होंने कहा कि जुड़वां गर्भधारण जोखिम भरा है, उस स्थिति में, दो शिशुओं का वजन एक गर्भावस्था से कम होता है, इसलिए जोखिम कारक बना रहता है.
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