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सोशल मीडिया पर 'लाइक, कमेंट और शेयर' करते हुए बीत गया अधिकारियों का समाधान दिवस !

जनता की समस्या को सुलझाने के लिए सीएम योगी ने समाधान दिवस की शुरुआत की थी. प्रदेश के सभी जिलों में समाधान दिवस के आयोजन के निर्देश दिए गए. इसके बाद जनता को कम वक्त में उनकी समस्याओं के निदान की उम्मीद जगी थी लेकिन अधिकारी जनता की इन उम्मीदों का सरेआम गला घोंट रहे हैं. फरियादियों की सुनवाई करने के लिए आने वाले अधिकारी आते ही अपने-अपने मोबाइल फोन में मुब्तला हो जाते हैं.

समाधान दिवस पर मोबाइल फोन में बिजी अधिकारी.
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Published : Aug 20, 2019, 11:09 PM IST

लखनऊ: प्रदेश में समाधान दिवस एक मजाक बनकर रह गया है. यहां अधिकारी और कर्मचारी फरियादियों की सुनवाई करने आते हैं लेकिन तहसील दिवस की शुरूआत होते ही सभी लोग अपने-अपने मोबाइल फोन में बिजी हो जाते हैं. कन्नौज से जालौन तक प्रशासनिक अधिकारी जनता की समस्या सुनने की बजाय सोशल मीडिया पर लाइक, कमेंट और शेयर करने को ज्यादा तवज्जो देते हैं. साथ ही इनके लिए नाश्ते के भी इंतजाम किए जाते हैं. तमाम आला अधिकारियों की मौजूदगी में यह खेल चलता रहता है और फरियादी निराश होकर लौट जाते हैं.

समाधान दिवस पर मोबाइल फोन में बिजी अधिकारी.
मोबाइल पर बिताया जा रहा समाधान दिवस का समय

समाधान दिवस पर जनता अपनी समस्याएं लेकर आती है लेकिन फरियादियों की समस्याओं से बेखबर अधिकारी मोबाइल में बिजी रहते हैं. महिला कर्मचारी और अधिकारी ग्रुप में मोबाइल देखने में मुब्तला रहते हैं तो कुछ अधिकारी पीछे की लाइन में बैठकर सोशल मीडिया का मजा लेते नजर आते हैं. कुछ लोग नजरें बचाकर टेबल के नीचे से फोन में ताक-झांक करते देखे जा सकते हैं. ये हालात तब हैं जब मौके पर जिले के बड़े अधिकारी भी मौजूद रहते हैं. इतना ही नहीं जनता की फरियाद सुनने के नाम पर मोबाइल में खोये इन सरकारी बाबुओं के लिए चाय-नाश्ता का भी इंतजाम किया जाता है. ये हाल किसी एक जिले का नहीं है, प्रदेश के कई जिलों में अधिकारियों के लिए मोबाइल जनता की समस्याओं से ज्यादा जरूरी बन गया है.

प्रदेश के मुख्यमंत्री कितने भी दावे कर लें लेकिन इन अधिकारियों की जनता को समाधान देने में जरा भी दिलचस्पी नहीं है. सरकारी बाबुओं ने मान लिया है कि मोबाइल के इस दौर में आप समाधान की इच्छा न करें.

लखनऊ: प्रदेश में समाधान दिवस एक मजाक बनकर रह गया है. यहां अधिकारी और कर्मचारी फरियादियों की सुनवाई करने आते हैं लेकिन तहसील दिवस की शुरूआत होते ही सभी लोग अपने-अपने मोबाइल फोन में बिजी हो जाते हैं. कन्नौज से जालौन तक प्रशासनिक अधिकारी जनता की समस्या सुनने की बजाय सोशल मीडिया पर लाइक, कमेंट और शेयर करने को ज्यादा तवज्जो देते हैं. साथ ही इनके लिए नाश्ते के भी इंतजाम किए जाते हैं. तमाम आला अधिकारियों की मौजूदगी में यह खेल चलता रहता है और फरियादी निराश होकर लौट जाते हैं.

समाधान दिवस पर मोबाइल फोन में बिजी अधिकारी.
मोबाइल पर बिताया जा रहा समाधान दिवस का समय

समाधान दिवस पर जनता अपनी समस्याएं लेकर आती है लेकिन फरियादियों की समस्याओं से बेखबर अधिकारी मोबाइल में बिजी रहते हैं. महिला कर्मचारी और अधिकारी ग्रुप में मोबाइल देखने में मुब्तला रहते हैं तो कुछ अधिकारी पीछे की लाइन में बैठकर सोशल मीडिया का मजा लेते नजर आते हैं. कुछ लोग नजरें बचाकर टेबल के नीचे से फोन में ताक-झांक करते देखे जा सकते हैं. ये हालात तब हैं जब मौके पर जिले के बड़े अधिकारी भी मौजूद रहते हैं. इतना ही नहीं जनता की फरियाद सुनने के नाम पर मोबाइल में खोये इन सरकारी बाबुओं के लिए चाय-नाश्ता का भी इंतजाम किया जाता है. ये हाल किसी एक जिले का नहीं है, प्रदेश के कई जिलों में अधिकारियों के लिए मोबाइल जनता की समस्याओं से ज्यादा जरूरी बन गया है.

प्रदेश के मुख्यमंत्री कितने भी दावे कर लें लेकिन इन अधिकारियों की जनता को समाधान देने में जरा भी दिलचस्पी नहीं है. सरकारी बाबुओं ने मान लिया है कि मोबाइल के इस दौर में आप समाधान की इच्छा न करें.

Intro:कन्नौज का समाधान दिवस बना एक मजाक
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कन्नौज में तहसील दिवस यानि कि समाधान दिवस एक मजाक बनकर रह गया है। यहाॅ पर अधिकारी व कर्मचारी आते तो है यहाॅ पर फरियादियों की सुनवाई करने लेकिन तहसील दिवस की शुरूआत होने के बाद सभी लोग अपने-अपने मोबाइलों में मशगुल हो जाते है। ऐसा ही नजारा यूपी के कन्नौज के तहसील दिवस (समाधान दिवस) के दौरान देखने को मिला। आइये देखते है कन्नौज से यह स्पेशल रिपोर्ट।
Body:कन्नौज सदर तहसील का यह नजारा देखिए जहाॅ फरियादियों की सुनने वाले तो कम है लेकिन मोबाइल में बिजी काफी लोग देखने को मिलेंगे। महिला कर्मचारी और अधिकारी एक ग्रुप में मोबाइल को देखने में मशगुल है तो वहीं कुछ अधिकारी व कर्मचारी अपने-अपने मोबाइल में बिजी दिख रहे है।Conclusion:इतना ही नही तहसील दिवस के दौरान चाय नास्ता का भी खास इन्तजाम है तो फरियादियों की सुनवाई के समय ही कर्मचारियों और अधिकारियों को मिलता है। फरियादियों की सुनवाई भले ही न हो पाये लेकिन जनबा नाश्ता अवश्य होना चाहिए। जो इन तस्वीरों में दिख रहा है। उससे तो यही लगता है कि अब तहसील दिवस में अधिकारी व कर्मचारी मोबाइलों में ही मशगुल ज्यादा रहना पसंद करते है। उनका ध्यान फरियादियों की तरफ कम और मोबाइल में ज्यादा रहता है।

कन्नौज रिपोर्टर-पंकज श्रीवास्तव - पीटूसी
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कन्नौज से पंकज श्रीवास्तव
09415168969
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