लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी के तहत ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में अधिकारियों के साथ ही कर्मचारियों का भी ट्रांसफर किया गया है. इनमें कनिष्ठ सहायक, वरिष्ठ सहायक, प्रधान सहायक, उर्दू ट्रांसलेटर और स्टेनो भी शामिल हैं. लखनऊ में पिछले काफी सालों से तैनात पांच बाबुओं का तबादला किया गया है. हालांकि जिन बाबुओं का तबादला हुआ, उनसे पहले के कई बाबू आरटीओ कार्यालय में जमे रहने में सफल हुए हैं. इन पर ट्रांसफर पॉलिसी का कोई असर नहीं पड़ा है.
उत्तर प्रदेश के विभिन्न संभागीय और उप संभागीय परिवहन कार्यालयों में काफी सालों से जमे कई बाबू को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी. ट्रांसफर पॉलिसी के तहत एडीशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर प्रशासन नरेंद्र सिंह ने 27 प्रधान सहायक, 54 वरिष्ठ सहायक, 14 कनिष्ठ सहायक तीन स्टेनो और छह उर्दू अनुवादक सह प्रधान सहायक का तबादला किया है.
हालांकि परिवहन विभाग की तबादला नीति को लेकर विभागीय कर्मचारियों में लेन-देन की चर्चाएं भी तेज हो गईं. यहां तक कहा जा रहा है कि तबादलों में जमकर कमीशनबाजी का खेल हुआ है. मनचाही पोस्टिंग के लिए मनचाहा धन वसूला गया है, जिन बाबू का तबादला सेटिंग के साथ हुआ उन्हें मनचाही पोस्टिंग मिली और जिनका तबादला ऐसे ही हुआ उन्हें उन कार्यालयों में तैनाती दी गई जहां पर पहले से ही बाबुओं की संख्या कम है.
ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय के पांच बाबुओं का ट्रांसफर पालिसी के तहत तबादला कर दिया गया. इनमें कनिष्ठ सहायक रोहित यादव को लखनऊ से एआरटीओ सीतापुर भेजा गया है. वरिष्ठ सहायक केदारनाथ पांडेय को लखनऊ से उप परिवहन आयुक्त परिक्षेत्र लखनऊ में तैनाती दी गई है. वरिष्ठ सहायक पवन कुमार त्रिपाठी को लखनऊ से श्रावस्ती भेजा गया है. प्रधान सहायक श्रीप्रकाश मालवीय को लखनऊ से अयोध्या भेजा गया है. प्रधान सहायक विनय कुमार शाही को लखनऊ से बस्ती भेजा गया है.
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