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'मस्ट' से पता चलेगा मरीज के कुपोषण का स्तर, न्यूट्रिनिस्ट ने कही यह बात...

यूपी की राजधानी लखनऊ में 'नेशनल न्यूट्रिशन मंथ' 2019 के तहत 'कंटिन्यूइंग न्यूट्रिशन एजुकेशन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कई अस्पतालों और संस्थानों के विशेषज्ञ और वक्ता शामिल हुए.

'नेशनल न्यूट्रिशन मंथ' 2019 कार्यक्रम.
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Published : Sep 9, 2019, 12:01 AM IST

लखनऊ: 'नेशनल न्यूट्रिशन मंथ' 2019 के तहत 'कंटिन्यूइंग न्यूट्रिशन एजुकेशन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह आयोजन गोमती नगर स्थित एक निजी स्थान पर किया गया. इस आयोजन में पीजीआई, केजीएमयू, अपोलो, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, स्कोप हॉस्पिटल और कुछ अन्य संस्थानों के विशेषज्ञ और वक्ता समेत कई प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया.

'नेशनल न्यूट्रिशन मंथ' 2019 कार्यक्रम.

'राष्ट्रीय पोषण माह' पोषण अभियान
'फूड एंड न्यूट्रिशन सोसायटी' की सचिव डाइटिशियन रानू सिंह ने बताया कि यह एक पोषण अभियान कार्यक्रम ना होकर एक जन आंदोलन और भागीदारी है. सितंबर 'राष्ट्रीय पोषण माह' के तौर पर मनाया जाता है. इस कार्यक्रम में उन तमाम पहलुओं पर चर्चा और जानकारी दी जा रही है, जिस पर आने वाले नए न्यूट्रीशनिस्ट को जानने और काम करने की जरूरत है.
न्यूट्रिशनिस्ट को होनी चाहिए डाइट की सही जानकारी
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की डाइटिशियन पूनम तिवारी ने बताया कि पोषण लेना हर व्यक्ति की जरूरत है. इसमें कई ऐसी बातें होती हैं, जो एक न्यूट्रीशनिस्ट को जानना चाहिए. कुछ ऐसे टूल्स होते हैं, जिनके बारे में एक न्यूट्रीशनिस्ट को पता होना चाहिए, जिससे वह मरीजों के डाइट को बेहतर बना सके.
'मालन्यूट्रिशन यूनिवर्सल स्क्रीनिंग' से कुपोषण का इलाज
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की डाइटिशियन पूनम तिवारी ने बताया कि डाइटिशियन और न्यूट्रीशनिस्ट के लिए 'मालनूट्रिशन यूनिवर्सल स्क्रीनिंग' (मस्ट) टेस्ट नामक टूल होता है, जो कि यह पता लगाने में सक्षम होता है कि काउंसलिंग करवाने आए एक मरीज को किस स्तर तब कुपोषण है और उसे किस तरह का डाइट चार्ट देना चाहिए.
विद्यार्थियों के लिए होते रहने चाहिए ऐसे कार्यक्रम
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की चीफ डाइटिशियन सुनीता सक्सेना कहती हैं कि जो आयोजन किया गया है, ऐसे आयोजनों में आने वाले नए न्यूट्रीशनिस्ट और विद्यार्थियों को डाइटिशियंस और न्यूट्रिशन के तहत होने वाले नए अपडेट के बारे में पता चलता है, साथ ही उन्हें एक नया प्लेटफार्म भी मिलता है, जहां पर वह अपने सवालों का उत्तर पा सकें.
न्यूट्रिशनिस्ट मरीजों को बताएं सही डाइट
एसजीपीजीआई से आई सीनियर डायटिशियन रमा त्रिपाठी कहती हैं कि नए न्यूट्रीशनिस्ट को मैं यह कहना चाहूंगी कि जब वह किसी मरीज की डाइट काउंसलिंग करें तो, उन्हें वह सही डाइट बताएं. किसी भी तरह का फैशनेबल डाइट चार्ट बनाकर न दें, साथ ही उसके डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें, जो वह आहार लेने में सक्षम हो.
डाइट में क्या बदलाव लाएं, जिससे पोषण स्तर सुधर सके
लखनऊ के जगरानी अस्पताल की क्लीनिकल डाइटिशियन ऋतु सिंह कहती हैं कि जो पेशेंट आईसीयू में आते हैं, उनका पोषण स्तर काफी गिर चुका होता है और वह काफी कमजोर होते हैं. ऐसे में उस मरीज की सही स्थिति और पोषण के बारे में हम तभी पहचान सकते हैं, जब उनका न्यूट्रीशनल स्टेटस जान पाएं. इसी आधार पर ही हम यह तय कर सकते हैं कि आईसीयू में रहने वाले पेशेंट को किस तरह का पोषण देना जरूरी है.

लखनऊ: 'नेशनल न्यूट्रिशन मंथ' 2019 के तहत 'कंटिन्यूइंग न्यूट्रिशन एजुकेशन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह आयोजन गोमती नगर स्थित एक निजी स्थान पर किया गया. इस आयोजन में पीजीआई, केजीएमयू, अपोलो, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, स्कोप हॉस्पिटल और कुछ अन्य संस्थानों के विशेषज्ञ और वक्ता समेत कई प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया.

'नेशनल न्यूट्रिशन मंथ' 2019 कार्यक्रम.

'राष्ट्रीय पोषण माह' पोषण अभियान
'फूड एंड न्यूट्रिशन सोसायटी' की सचिव डाइटिशियन रानू सिंह ने बताया कि यह एक पोषण अभियान कार्यक्रम ना होकर एक जन आंदोलन और भागीदारी है. सितंबर 'राष्ट्रीय पोषण माह' के तौर पर मनाया जाता है. इस कार्यक्रम में उन तमाम पहलुओं पर चर्चा और जानकारी दी जा रही है, जिस पर आने वाले नए न्यूट्रीशनिस्ट को जानने और काम करने की जरूरत है.
न्यूट्रिशनिस्ट को होनी चाहिए डाइट की सही जानकारी
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की डाइटिशियन पूनम तिवारी ने बताया कि पोषण लेना हर व्यक्ति की जरूरत है. इसमें कई ऐसी बातें होती हैं, जो एक न्यूट्रीशनिस्ट को जानना चाहिए. कुछ ऐसे टूल्स होते हैं, जिनके बारे में एक न्यूट्रीशनिस्ट को पता होना चाहिए, जिससे वह मरीजों के डाइट को बेहतर बना सके.
'मालन्यूट्रिशन यूनिवर्सल स्क्रीनिंग' से कुपोषण का इलाज
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की डाइटिशियन पूनम तिवारी ने बताया कि डाइटिशियन और न्यूट्रीशनिस्ट के लिए 'मालनूट्रिशन यूनिवर्सल स्क्रीनिंग' (मस्ट) टेस्ट नामक टूल होता है, जो कि यह पता लगाने में सक्षम होता है कि काउंसलिंग करवाने आए एक मरीज को किस स्तर तब कुपोषण है और उसे किस तरह का डाइट चार्ट देना चाहिए.
विद्यार्थियों के लिए होते रहने चाहिए ऐसे कार्यक्रम
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की चीफ डाइटिशियन सुनीता सक्सेना कहती हैं कि जो आयोजन किया गया है, ऐसे आयोजनों में आने वाले नए न्यूट्रीशनिस्ट और विद्यार्थियों को डाइटिशियंस और न्यूट्रिशन के तहत होने वाले नए अपडेट के बारे में पता चलता है, साथ ही उन्हें एक नया प्लेटफार्म भी मिलता है, जहां पर वह अपने सवालों का उत्तर पा सकें.
न्यूट्रिशनिस्ट मरीजों को बताएं सही डाइट
एसजीपीजीआई से आई सीनियर डायटिशियन रमा त्रिपाठी कहती हैं कि नए न्यूट्रीशनिस्ट को मैं यह कहना चाहूंगी कि जब वह किसी मरीज की डाइट काउंसलिंग करें तो, उन्हें वह सही डाइट बताएं. किसी भी तरह का फैशनेबल डाइट चार्ट बनाकर न दें, साथ ही उसके डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें, जो वह आहार लेने में सक्षम हो.
डाइट में क्या बदलाव लाएं, जिससे पोषण स्तर सुधर सके
लखनऊ के जगरानी अस्पताल की क्लीनिकल डाइटिशियन ऋतु सिंह कहती हैं कि जो पेशेंट आईसीयू में आते हैं, उनका पोषण स्तर काफी गिर चुका होता है और वह काफी कमजोर होते हैं. ऐसे में उस मरीज की सही स्थिति और पोषण के बारे में हम तभी पहचान सकते हैं, जब उनका न्यूट्रीशनल स्टेटस जान पाएं. इसी आधार पर ही हम यह तय कर सकते हैं कि आईसीयू में रहने वाले पेशेंट को किस तरह का पोषण देना जरूरी है.

Intro:लखनऊ। नेशनल न्यूट्रिशन मंथ 2019 के तहत कंटिन्यूइंग न्यूट्रिशन एजुकेशन कार्यक्रम का आयोजन गोमती नगर स्थित एक निजी स्थान पर किया गया। इस आयोजन में पीजीआई, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, अपोलो अस्पताल, डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, स्कोप हॉस्पिटल और कुछ अन्य संस्थानों से विशेषज्ञ और वक्ता समेत प्रतिभागी शामिल हुए।


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फूड एंड न्यूट्रिशन सोसायटी की सचिव डाइटिशियन रानू सिंह ने बताया कि पोषण अभियान कार्यक्रम ना होकर एक जन आंदोलन और भागीदारी है सितंबर में राष्ट्रीय पोषण माह के तौर पर मनाया जाता है इस वजह से यह सीएमई की जा रही है। इस सीएमई में उन तमाम पहलुओं पर चर्चा और जानकारी दी जा रही है जिन पर आने वाले नए न्यूट्रीशनिस्ट को जानने और काम करने की जरूरत है।

डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की डाइटिशियन पूनम तिवारी ने कहा कि पोषण लेना हर व्यक्ति की आज की जरूरत है और इसमें कई ऐसी बातें होती हैं जो एक न्यूट्रीशनिस्ट को जानना चाहिए जैसे कि कुछ ऐसे टूल्स होते हैं जिनके बारे में एक न्यूट्रीशनिस्ट को पता होना चाहिए जिससे वह मरीजों के डाइट को बेहतर बना सके। डाइटिशियन और न्यूट्रीशनिस्ट के लिए मालनूट्रिशन यूनिवर्सल स्क्रीनिंग टेस्ट नामक टूल होता है जो काफी आसान होता है और न्यूट्रिशन के पहले स्तर पर ही यह पता लगाने में बेहद सक्षम होता है कि काउंसलिंग करवाने आए एक मरीज को किस स्तर तब कुपोषण का शिकार है और उसे किस तरह का डाइट चार्ट देना चाहिए।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के चीफ डाइटिशियन सुनीता सक्सेना कहती हैं कि ऐसे आयोजन में आने वाले नए न्यूट्रीशनिस्ट और विद्यार्थियों को डाइटिशियंस और न्यूट्रिशन के तहत होने वाले नए अपडेट के बारे में पता चलता है और साथ ही उन्हें एक नया प्लेटफार्म भी मिलता है जहां पर वह अपने सवालों को रख कर एक नया अनुभव प्राप्त कर सकें।
एसजीपीजीआई से आई सीनियर डायटिशियन रमा त्रिपाठी कहती है कि नए न्यूट्रीशनिस्ट को मैं यह कहना चाहूंगी कि जब भी वह किसी मरीज की डाइट काउंसलिंग करें तो उन्हें वह सही डाइट बताएं। किसी भी तरह का फैशनेबल डाइट चार्ट बनाकर न दें। साथ ही उसके डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें जो वह आहार लेने में सक्षम हो और उसके लिए यह आसान हो।




Conclusion:लखनऊ के जगरानी अस्पताल की क्लीनिकल डाइटिशियन ऋतु सिंह कहती हैं कि जो पेशेंट आईसीयू में आते हैं, उनका पोषण स्तर काफी गिर चुका होता है और वह काफी कमजोर होते हैं ऐसे में उस मरीज की सही स्थिति और पोषण के बारे में हम तभी पहचान सकते हैं जब उनका न्यूट्रीशनल स्टेटस जज कर पाए। इसी आधार पर ही हम यह तय कर सकते हैं कि आईसीयू में रहने वाले पेशेंट को किस तरह का पोषण देना जरूरी है और हर स्तर पर क्या-क्या बदलाव लाने चाहिए ताकि उसका पोषण स्तर सुधर सके।

बाइट- रानू सिंह, सचिव फूड एंड न्यूट्रिशन सोसाइटी
बाइट- पूनम तिवारी, डाइटिशियन डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान
बाइट- सुनीता सक्सेना, सीनियर डाइटिशियन किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी
बाइट- रमा त्रिपाठी, सीनियर डायटिशियन एसजीपीजीआई
बाइट- रितु सिंह, क्लीनिकल डाइटिशियन जगरानी अस्पताल


रामांशी मिश्रा
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