लखनऊ: हर साल मई के दूसरे सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस 12 मई को मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य मात्र इतना है कि मरीजों की सेवा में दिन-रात तत्पर नर्सों को सम्मानित किया जा सके. कोविड काल में स्टाफ कर्मचारियों का भरपूर सहयोग रहा. इस दौरान बहुत सारी नर्स मरीजों की सेवा करते हुए कोरोना वायरस से पीड़ित हुई और वह कोरोना की भेंट चढ़ गई.
वर्तमान समय को देखते हुए इस बार की थीम 'हमारी नर्स-हमारा भविष्य' रखा गया है. अस्पताल में अगर यह नर्स न हो तो मरीज कोई भी देखने वाला नहीं होगा. यही नर्स है जो अस्पताल में मरीजों का ख्याल रखती हैं. एक बार के बुलाने पर तुरंत मरीज को देखने के लिए आती हैं. अंतरराष्ट्रीय नर्सेज दिवस के मौके पर सभी अस्पतालों में नर्सों को सम्मानित किया गया.
बहुत सारी संविदा पर तैनात नर्स हैं जो अपने हक की लड़ाई लड़ रही है. जिनकी मांग है कि जिस पद पर हम नौकरी कर रहे हैं, हमारी योग्यता और एक्सपीरियंस के आधार पर हमें परमानेंट कर दिया जाए. नर्सों का कहना है कि कोरोना काल में हमने निस्वार्थ भाव से मरीजों की सेवा की, हमारा एक लंबा एक्सपीरियंस है और हम भी सारी परीक्षा और इंटरव्यू पास करके आए हुए हैं. जब हम किसी मरीज के साथ दोहरा व्यवहार नहीं करते हैं, तो कृपया सरकार भी हमारे साथ दोहरा व्यवहार न करें. हम जिस पद पर हैं उसी पद पर हमें परमानेंट नियुक्ति प्रदान करें.
इसी पद पर सरकार हमें करे परमानेंट: हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में स्टाफ नर्स के पद पर तैनात पूनम निगम ने कहा कि जीवन संघर्ष का नाम है. हर किसी के जीवन में जाहिर तौर पर संघर्ष होता है चाहे वह हाउसवाइफ हो या फिर वर्किंग वूमेन हो. हम ड्यूटी भी करते हैं उसके बाद अपने घर परिवार को भी संभालते हैं. इन दोनों का ही तार्तम्य बैठ आना बहुत जरूरी है. अभी तक की जिंदगी में सबसे खतरनाक मंजर कोरोना काल रहा है.
यह ऐसा दौर था जब हमें खुद नहीं पता था कि आने वाला समय में क्या हो जाएगा.
अभी तक की कैरियर में इसके अलावा दूसरा कोई खतरनाक दौर नहीं रहा. कोरोना ने ऐसी दहशत फैलाई थी कि अस्पताल आना काम करना और फिर जब घर वापस जाना. कभी-कभी तो अस्पताल में ही रुकना पड़ता था तो घर परिवार की बड़ी याद आती थी, क्योंकि उस समय किसी को नहीं मालूम था कि किसको कब क्या हो जाए. सरकार ने कोरोना काल में हमें सम्मान दिया था कि आप नर्स हमारी आधार स्तंभ हैं.
कोविड की कठिन परिस्थितियों में आप सभी काम कर रहे हैं. परिस्थितियों को संभाल रहे हैं, तो फिर अब हमारे साथ दोहरा व्यवहार ना करें. हमें भी परमानेंट किया जाए, हम सभी अस्पताल में संविदा के पद पर हैं. सभी परीक्षा और इंटरव्यू पास करके यहां पर नियुक्त हुए हैं, तो हमारे साथ दोहरा व्यवहार क्यों हो रहा है. हम सभी यहां पर पढ़ाई कंप्लीट और परीक्षा देने के बाद आए हुए हैं और हमें सालों हो गया है. यहां पर नौकरी करते हुए तो हमारी योग्यता और एक्सपीरियंस के आधार पर हमें परमानेंट करें. मेरे साथ दोहरा व्यवहार न करें.
कोविड काल सबसे खौफनाक समय: नर्सिंग ऑफिसर उर्मिला यादव ने कहा कि कोरोना काल ने सभी को कोई न कोई बुरी याद जरूर दिया है. हमारे अस्पताल में अल्ट्रासाउंड विभाग में एक नर्स थी जो कोरोनावायरस की दूसरी लहर में संक्रमित हुई. इसके बाद उनकी स्थिति काफी ज्यादा खराब हो गई थी. यहां तक कि अस्पताल में बेड़ तक भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा था. बाद में उन्हें केजीएमयू में भर्ती किया गया. वेंटिलेटर पर जाकर उन्होंने दम तोड़ दिया था. यह वह दौर था जब हम सभी की हालत बहुत खराब हो गई थी. कुछ समय के लिए हमारी हिम्मत भी टूटी थी लेकिन हमने अपना कर्तव्य पूरी तरह से निभाया. मरीजों की सेवा की, ड्यूटी किया.
जब घर भी जाते थे तो बहुत बच बचाकर जाते थे. क्योंकि हम लोग अस्पताल से जब घर जाते हैं, तो बहुत से वायरस साथ में लेकर जाते हैं. और हमारे घर में बच्चे भी हैं बुजुर्ग माता-पिता भी हैं, तो ऐसे में बहुत डर लगता था. अभी भी हम ऐतिहात बरतते हैं. अभी भी तमाम सावधानी का ख्याल रखते हैं ताकि हमारी वजह से हमारी किसी अपने को कोई नुकसान न पहुंचे. सरकार से हमारी यही मांग है कि हमारे साथ इस तरह का दोहरा व्यवहार न किया जाए. हम जिस पद पर काम कर रहे हैं, हमारी योग्यता और एक्सपीरियंस के आधार पर हमें परमानेंट नियुक्त किया जाए.
मरीजों से प्यार से बात करना बेहद जरूरी: स्टाफ नर्स अंजलि चौरसिया ने कहा कि अभी तक के करियर में सबसे खतरनाक दौर कोरोना काल का था. इस दौरान हमारे बहुत से अपने हमसे बहुत दूर हो गए. अस्पताल में भी नर्स की मौत हुई थी इसके बाद हम सभी खौफ में थे बावजूद इसके हमने ड्यूटी की. मरीजों का ख्याल रखा. इस समय भी हम मास्क का इस्तेमाल करते हैं. साथ ही थोड़ी सी दूरी भी मेंटेन करके रखते हैं क्योंकि हम अस्पताल में रहते हैं. हमारे साथ हमारे घर न जाने कितने वायरस जाते हैं. इसलिए बहुत ही सावधानी अभी भी बरतते हैं. हम मरीज को मेडिसिन और इंजेक्शन देने के अलावा उनसे प्यार से बात भी करते हैं. ताकि उन्हें ऐसा महसूस होकर अस्पताल में उनका कोई अपना है, जो उनका ख्याल रख रहा है. इसलिए हम पूरी कोशिश करते हैं कि मरीज से बहुत ही प्यार से बात करें.
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