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सावधान ! कोरोना और डेंगू के बाद अब स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया ने यूपी पर बोला हमला

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Published : Sep 1, 2021, 10:11 PM IST

उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का कहर कम हुआ तो डेंगू ने लोगों पर हमला बोल दिया. इन सबके बीच अब स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया ने यूपी पर अटैक कर दिया है. शासन द्वारा फिरोजाबाद और मथुरा भेजी गई स्वास्थ्य विभाग की टीम की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है.

स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया
स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया

लखनऊ : प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों बुखार का प्रकोप छाया हुआ है. डेंगू और मलेरिया के मरीज बड़े पैमाने पर मिल रहे हैं. फिरोजाबाद में बुखार से लोगों की मौत के बाद शासन की तरफ से फिरोजाबाद और मथुरा में लोगों की जांच के लिए हेल्थ टीम भेजी गई थी. संचारी रोग निदेशक डॉ. जीएस वाजपेयी के मुताबिक मथुरा की रिपोर्ट आ गयी है. इसमें बुखार का कारण स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया मिला. इसके 26 केस मिले. उन्होंने बताया कि यह बैक्टीरिया चूहा, छछूंदर और झाड़ियों पर पाया जाता है. यह बैक्टीरिया सीधे ब्रेन पर अटैक करता है. दिमाग में सूजन लाकर मरीज की हालत गंभीर बना देता है. इसके लिए मथुरा में बुखार के रोगियों के लिए डॉक्सीसाइक्लिन टेबलेट अनिवार्य कर दी गई है. बुखार आते ही यह टेबलेट 5 दिन तक लेने से स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया ब्रेन पर अटैक नहीं कर सकेगा. वहीं फ़िरोजाबाद में लापरवाही पर सीएमओ को हटा दिया गया. यहां 43 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है. शासन ने मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि फिरोजाबाद में बुखार के मरीजों में कोरोना वायरस नहीं मिला. इस दौरान शहरी व ग्रमीण क्षेत्र में बीमारियों से निपटने के लिए साफ-सफाई की पुख्ता व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही मथुरा-फ़िरोजाबाद में 15 डॉक्टरों की टीम भेजी गई है.


लखनऊ में बुखार का प्रकोप, घर-घर लार्वा की जांच
उधर, लखनऊ के अस्पतालों में 50 के करीब बुखार के मरीज भर्ती हैं. इसके अलावा सबसे अधिक फैजुल्लागंज में बीमारी फैली है. यहां 20 मरीज पाए गए. ऐसे में बुखार प्रभावित फैज्जुलागंज में स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को अभियान चलाया. जिसमें फॉगिंग व एंटीलार्वा का छिड़काव कराया गया. घरों में कूलर, गमले आदि की जांच कराई गई. इस दौरान 215 घरों में लार्वा की जांच की गई. जिसमें दो घरों में डेंगू मच्छर के लार्वा मिले. जिन्हें नोटिस जारी की गई है. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बुखार पीड़ितों के बारे में जानकारी हासिल की. अबर्न हेल्थ पोस्ट सेंटर में मुफ्त जांच व इलाज संबंधी जानकारी दी. लखनऊ में जनवरी से अब टीम 60 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है.


क्या है स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक स्क्रब टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाली गंभीर बीमारी है. स्क्रब टाइफस संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से इंसानों में फैलता है. इस रोग को बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण पूर्व एशिया, इंडोनेशिया, चीन, जापान, भारत और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों में इस बीमारी के मामले ज्यादा देखे जाते हैं. जिन स्थानों में यह संक्रमण हो वहां रहने वाले या वहां की यात्रा करने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा हो सकता है.

स्क्रब टाइफस की पहचान कैसे करें ?

विशेषज्ञों के मुताबिक संक्रमित कीट के काटने के 10 दिनों के भीतर इसके लक्षण नजर आने लगते हैं. रोगियों को बुखार और ठंड लगने के साथ सिरदर्द, शरीर और मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है. जिस स्थान पर कीट ने काटा होता है वहां पर त्वचा का रंग गहरा हो जाता है और त्वचा पर पपड़ी पड़ सकती है. कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते भी नजर आ सकते हैं. समस्या बढ़ने के साथ रोगियों में भ्रम से लेकर कोमा तक की समस्या भी हो सकती है. रोग की गंभीर स्थिति में अंगों के खराब होने और रक्तस्राव की भी दिक्कत हो सकती है. यदि समय पर इस रोग का इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है.

स्क्रब टाइफस का क्या है इलाज ?

स्क्रब टाइफस के लक्षण कई अन्य बीमारियों की तरह ही होते हैं, यही कारण है कि लोग इसमें अक्सर भ्रमित हो जाया करते हैं. लक्षणों के आधार पर डॉक्टर कुछ प्रकार की जांच कराने को कह सकते हैं, जिसके आधार पर संक्रमण का निदान किया जाता है. यदि रोगी में स्क्रब टाइफस का निदान होता है तो सामान्य तौर पर उसे कुछ विशेष तरह की एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं, व्यक्ति की उम्र और स्थिति की गंभीरता के हिसाब से इसका डोज अलग हो सकता है. गंभीर रोग की स्थिति में आवश्यकतानुसार अन्य दवाओं और उपचार के अन्य माध्यमों को प्रयोग में लाया जा सकता है.

स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए क्या करें ?

स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है. ऐसे में संक्रमित चिगर्स के संपर्क से बचकर रहना उचित होता है. जंगलों और झाड़ वाले इलाकों में यह कीड़े अधिक हो सकते हैं, ऐसे में ऐसी जगहों पर जाने से बचें. यदि आपको कोई भी कीड़ा काट ले तो तुरंत साफ पानी से उस हिस्से को धोकर एंटीबायोटिक दवाएं लगा लें. ऐसे कपड़े पहनें जिससे हाथ और पैर अच्छी तरीके से ढके रह सकें. इस रोग से सुरक्षित रहने के लिए बचाव ही सबसे प्रभावी तरीका है.


डेंगू के लक्षण

तेज बुखार, सिर, मांसपेशियों, जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द कमजोरी लगना, भूख न लगना व मरीज का जी मिचलाना चेहरे, गर्दन, चेस्ट, पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज पड़ना है. वहीं डेंगू हेमरेजिक में नाक, मुंह, मसूड़े व मल मार्ग से खून आना है. साथ ही डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लडप्रेश लो होना, बेहोशी होना शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगना है.

ऐसे करें डेंगू से बचाव

घर व आस-पास पानी को जमा न होने दें. कूलर, बाथरूम, किचन में जलभराव पर ध्यान दें. एकत्र पानी में मच्छर का लार्वा नष्ट करने का तेल स्प्रे करें. एसी की पानी टपकने वाली ट्रे को रोज साफ करें. घर में रखे गमले में पानी जमा न होने दें. छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें. पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज साफ करें. शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनें. बच्चों को फुल पेंट व पूरी बाजू की शर्ट पहनाएं. संभव हो तो मच्छरदानी लगाकर सोएं.

खानपान का रखें ध्यान
बुखार में आहार का ध्यान रखें. हरी सब्जियां, फलों के साथ सुपाच्य भोजन करें. तरल चीजें खूब पिएं. पानी सूप, दूध, छाछ, नारियल पानी, ओआरएस का घोल, जूस, शिकंजी आदि लें. बासी व तैलीय खाना न खाएं.

दवा की कमी पर मरीजों का हंगामा
एक तरफ जहां शहर में बुखार का प्रकोप बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकारी अस्पतालों में बुखार की दवा का संकट छा गया है. स्थिति यह है इस शहर में खुली अर्बन सीएचसी पर पेरासीटामोल दवा का संकट हो गया है. इंदिरा नगर की सीएचसी पर 2 दिन से पेरासीटामॉल मरीजों को नहीं मिल रही है. इसको लेकर बुधवार को मरीजों ने हंगामा किया. ऐसे ही अन्य सीएससी पर भी परासीटामॉल की आपूर्ति नहीं हो सकी है. बच्चों के लिए भी सीरप का संकट है.

लखनऊ : प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों बुखार का प्रकोप छाया हुआ है. डेंगू और मलेरिया के मरीज बड़े पैमाने पर मिल रहे हैं. फिरोजाबाद में बुखार से लोगों की मौत के बाद शासन की तरफ से फिरोजाबाद और मथुरा में लोगों की जांच के लिए हेल्थ टीम भेजी गई थी. संचारी रोग निदेशक डॉ. जीएस वाजपेयी के मुताबिक मथुरा की रिपोर्ट आ गयी है. इसमें बुखार का कारण स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया मिला. इसके 26 केस मिले. उन्होंने बताया कि यह बैक्टीरिया चूहा, छछूंदर और झाड़ियों पर पाया जाता है. यह बैक्टीरिया सीधे ब्रेन पर अटैक करता है. दिमाग में सूजन लाकर मरीज की हालत गंभीर बना देता है. इसके लिए मथुरा में बुखार के रोगियों के लिए डॉक्सीसाइक्लिन टेबलेट अनिवार्य कर दी गई है. बुखार आते ही यह टेबलेट 5 दिन तक लेने से स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया ब्रेन पर अटैक नहीं कर सकेगा. वहीं फ़िरोजाबाद में लापरवाही पर सीएमओ को हटा दिया गया. यहां 43 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है. शासन ने मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि फिरोजाबाद में बुखार के मरीजों में कोरोना वायरस नहीं मिला. इस दौरान शहरी व ग्रमीण क्षेत्र में बीमारियों से निपटने के लिए साफ-सफाई की पुख्ता व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही मथुरा-फ़िरोजाबाद में 15 डॉक्टरों की टीम भेजी गई है.


लखनऊ में बुखार का प्रकोप, घर-घर लार्वा की जांच
उधर, लखनऊ के अस्पतालों में 50 के करीब बुखार के मरीज भर्ती हैं. इसके अलावा सबसे अधिक फैजुल्लागंज में बीमारी फैली है. यहां 20 मरीज पाए गए. ऐसे में बुखार प्रभावित फैज्जुलागंज में स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को अभियान चलाया. जिसमें फॉगिंग व एंटीलार्वा का छिड़काव कराया गया. घरों में कूलर, गमले आदि की जांच कराई गई. इस दौरान 215 घरों में लार्वा की जांच की गई. जिसमें दो घरों में डेंगू मच्छर के लार्वा मिले. जिन्हें नोटिस जारी की गई है. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बुखार पीड़ितों के बारे में जानकारी हासिल की. अबर्न हेल्थ पोस्ट सेंटर में मुफ्त जांच व इलाज संबंधी जानकारी दी. लखनऊ में जनवरी से अब टीम 60 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है.


क्या है स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक स्क्रब टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाली गंभीर बीमारी है. स्क्रब टाइफस संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से इंसानों में फैलता है. इस रोग को बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण पूर्व एशिया, इंडोनेशिया, चीन, जापान, भारत और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों में इस बीमारी के मामले ज्यादा देखे जाते हैं. जिन स्थानों में यह संक्रमण हो वहां रहने वाले या वहां की यात्रा करने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा हो सकता है.

स्क्रब टाइफस की पहचान कैसे करें ?

विशेषज्ञों के मुताबिक संक्रमित कीट के काटने के 10 दिनों के भीतर इसके लक्षण नजर आने लगते हैं. रोगियों को बुखार और ठंड लगने के साथ सिरदर्द, शरीर और मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है. जिस स्थान पर कीट ने काटा होता है वहां पर त्वचा का रंग गहरा हो जाता है और त्वचा पर पपड़ी पड़ सकती है. कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते भी नजर आ सकते हैं. समस्या बढ़ने के साथ रोगियों में भ्रम से लेकर कोमा तक की समस्या भी हो सकती है. रोग की गंभीर स्थिति में अंगों के खराब होने और रक्तस्राव की भी दिक्कत हो सकती है. यदि समय पर इस रोग का इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है.

स्क्रब टाइफस का क्या है इलाज ?

स्क्रब टाइफस के लक्षण कई अन्य बीमारियों की तरह ही होते हैं, यही कारण है कि लोग इसमें अक्सर भ्रमित हो जाया करते हैं. लक्षणों के आधार पर डॉक्टर कुछ प्रकार की जांच कराने को कह सकते हैं, जिसके आधार पर संक्रमण का निदान किया जाता है. यदि रोगी में स्क्रब टाइफस का निदान होता है तो सामान्य तौर पर उसे कुछ विशेष तरह की एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं, व्यक्ति की उम्र और स्थिति की गंभीरता के हिसाब से इसका डोज अलग हो सकता है. गंभीर रोग की स्थिति में आवश्यकतानुसार अन्य दवाओं और उपचार के अन्य माध्यमों को प्रयोग में लाया जा सकता है.

स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए क्या करें ?

स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है. ऐसे में संक्रमित चिगर्स के संपर्क से बचकर रहना उचित होता है. जंगलों और झाड़ वाले इलाकों में यह कीड़े अधिक हो सकते हैं, ऐसे में ऐसी जगहों पर जाने से बचें. यदि आपको कोई भी कीड़ा काट ले तो तुरंत साफ पानी से उस हिस्से को धोकर एंटीबायोटिक दवाएं लगा लें. ऐसे कपड़े पहनें जिससे हाथ और पैर अच्छी तरीके से ढके रह सकें. इस रोग से सुरक्षित रहने के लिए बचाव ही सबसे प्रभावी तरीका है.


डेंगू के लक्षण

तेज बुखार, सिर, मांसपेशियों, जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द कमजोरी लगना, भूख न लगना व मरीज का जी मिचलाना चेहरे, गर्दन, चेस्ट, पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज पड़ना है. वहीं डेंगू हेमरेजिक में नाक, मुंह, मसूड़े व मल मार्ग से खून आना है. साथ ही डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लडप्रेश लो होना, बेहोशी होना शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगना है.

ऐसे करें डेंगू से बचाव

घर व आस-पास पानी को जमा न होने दें. कूलर, बाथरूम, किचन में जलभराव पर ध्यान दें. एकत्र पानी में मच्छर का लार्वा नष्ट करने का तेल स्प्रे करें. एसी की पानी टपकने वाली ट्रे को रोज साफ करें. घर में रखे गमले में पानी जमा न होने दें. छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें. पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज साफ करें. शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनें. बच्चों को फुल पेंट व पूरी बाजू की शर्ट पहनाएं. संभव हो तो मच्छरदानी लगाकर सोएं.

खानपान का रखें ध्यान
बुखार में आहार का ध्यान रखें. हरी सब्जियां, फलों के साथ सुपाच्य भोजन करें. तरल चीजें खूब पिएं. पानी सूप, दूध, छाछ, नारियल पानी, ओआरएस का घोल, जूस, शिकंजी आदि लें. बासी व तैलीय खाना न खाएं.

दवा की कमी पर मरीजों का हंगामा
एक तरफ जहां शहर में बुखार का प्रकोप बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकारी अस्पतालों में बुखार की दवा का संकट छा गया है. स्थिति यह है इस शहर में खुली अर्बन सीएचसी पर पेरासीटामोल दवा का संकट हो गया है. इंदिरा नगर की सीएचसी पर 2 दिन से पेरासीटामॉल मरीजों को नहीं मिल रही है. इसको लेकर बुधवार को मरीजों ने हंगामा किया. ऐसे ही अन्य सीएससी पर भी परासीटामॉल की आपूर्ति नहीं हो सकी है. बच्चों के लिए भी सीरप का संकट है.

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