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अमृत महोत्सव: कथक में दिखी जयपुर और लखनऊ घराने की भाव मुद्राएं

यूपी की राजधानी लखनऊ में अमृत महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रीय कथक संस्थान की ओर से कथक कार्यक्रम आयोजित किया गया. कई छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. कथक में जयपुर और लखनऊ घराने की भाव मुद्राएं देखने को मिली.

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Published : Jul 19, 2021, 4:08 AM IST

कथक
कथक

लखनऊ: राजधानी में अमृत महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रीय कथक संस्थान की ओर से 18 जुलाई को कथक संध्या 'नृत्यरंजन' आयोजित हुआ. इसमें संस्थान के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लेखिका आभा सक्सेना थी. कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना से हुई. इसे गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से लिया गया था. इसे राग भूपाली में प्रस्तुत किया गया. इसमें जयपुर और लखनऊ घरानों में की जाने वाली गणेश परतों को भावपूर्ण मुद्राओं में प्रस्तुत किया गया.

दूसरी प्रस्तुति में कथक का शुद्ध नृत्य प्रस्तुत हुआ. इसमें जयपुर और लखनऊ घराने की बंदिशों को प्रस्तुत किया गया. इसमें उपज, थाट, आमद, टुकड़े, प्रमेलू, परन्तु व तिहाइयों का प्रयोग किया गया. अंत में तबले और घुंघरू की जुगलबंदी प्रस्तुत की गई.

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश के वीर जवानों को समर्पित की गई. गीत के बोल थे, 'उठो जवान देश की वसुंधरा पुकारती'. नृत्य निर्देशन विकास पांडे का था. इसके अलावा संगीतकर्ताओं में तबले पर आनंद दीक्षित, गायन में मीना वर्मा और अर्चना कुशवाहा ने साथ दिया. नृत्य में संजीवनी नाथ, अत्रांशी सिंह व श्रेया सिंह ने भाग लिया. कार्यक्रम की अवधारणा व परिकल्पना सरिता श्रीवास्तव की थी.

लखनऊ: राजधानी में अमृत महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रीय कथक संस्थान की ओर से 18 जुलाई को कथक संध्या 'नृत्यरंजन' आयोजित हुआ. इसमें संस्थान के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लेखिका आभा सक्सेना थी. कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना से हुई. इसे गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से लिया गया था. इसे राग भूपाली में प्रस्तुत किया गया. इसमें जयपुर और लखनऊ घरानों में की जाने वाली गणेश परतों को भावपूर्ण मुद्राओं में प्रस्तुत किया गया.

दूसरी प्रस्तुति में कथक का शुद्ध नृत्य प्रस्तुत हुआ. इसमें जयपुर और लखनऊ घराने की बंदिशों को प्रस्तुत किया गया. इसमें उपज, थाट, आमद, टुकड़े, प्रमेलू, परन्तु व तिहाइयों का प्रयोग किया गया. अंत में तबले और घुंघरू की जुगलबंदी प्रस्तुत की गई.

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश के वीर जवानों को समर्पित की गई. गीत के बोल थे, 'उठो जवान देश की वसुंधरा पुकारती'. नृत्य निर्देशन विकास पांडे का था. इसके अलावा संगीतकर्ताओं में तबले पर आनंद दीक्षित, गायन में मीना वर्मा और अर्चना कुशवाहा ने साथ दिया. नृत्य में संजीवनी नाथ, अत्रांशी सिंह व श्रेया सिंह ने भाग लिया. कार्यक्रम की अवधारणा व परिकल्पना सरिता श्रीवास्तव की थी.


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