लखनऊ : उत्तर प्रदेश में तबादलों का विवाद थम नहीं रहा है. स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर में हुई अनियमितता को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की ओर से आंदोलन का ऐलान किया गया है. इसके अलावा हजारों कर्मचारियों ने बुधवार को काला फीता बांधकर प्रदर्शन किया. वहीं 25 जुलाई को सभी जनपदों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालयों पर धरना और 26 से 30 जुलाई तक दो घंटे कार्य बहिष्कार किया जाएगा. राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के आह्वान पर प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मचारियों सहित अन्य विभागों के कर्मियों ने जोरदार प्रदर्शन किया, साथ ही नारेबाजी करते हुए अनियमित स्थानान्तरण निरस्त करने की मांग की.
परिषद के समर्थन में कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय पर आक्रोश व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि अधिकारी शासन की स्थानान्तरण नीति का पालन नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मनमाने तरीके से मान्यता प्राप्त संघों के अध्यक्ष, मंत्री, दाम्पत्य नीति, दिव्यांग, दिव्यांग आश्रित, 2 वर्ष से कम अवधि में सेवानिवृत्त होने वाले व गंभीर रोग से ग्रसित कर्मियों का भी स्थानान्तरण कर दिया गया है, जबकि शासन द्वारा जारी ट्रांसफर पॉलिसी में इनको स्थानान्तरण से मुक्त रखने के निर्देश हैं.
परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत ने कहा कि नीति के अनुसार समूह ग के कर्मियों का केवल पटल परिवर्तन किया जाना था. लगभग सभी जनपदों में 80 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों का पटल परिवर्तन के नाम पर स्थानान्तरण कर दिया गया. साथ ही उन्हीं कर्मचारियों का बाद में स्वास्थ्य महानिदेशालय से अन्य जनपद स्थानान्तरण कर दिया गया. संदीप बडोला व महामंत्री उमेश मिश्रा ने कहा कि प्रदेश के समस्त जनपदों के फार्मासिस्ट स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये गये स्थानान्तरण व पटल परिवर्तन से आक्रोशित हैं.
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नेत्र परीक्षण अधिकारी संघ के अध्यक्ष जीएम सिंह व डेंटल हाइजीनिस्ट एसो. के महामंत्री राजीव तिवारी ने कहा कि कोरोना वारियर्स के साथ विभाग द्वारा स्थानान्तरण के नाम पर किया गया शोषण उचित नहीं है.
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