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अब चौरी-चौरा आंदोलन का अलग से होगा चैप्टर - अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा

सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर चौरी-चौरा आंदोलन को अब माध्यमिक कॉलेजों के पाठ्यक्रम में अलग से स्थान मिल सकता है. वहीं गोरखपुर के चौरी-चौरा में हुए 4 फरवरी 1922 का जन विद्रोह पर विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में शोध किया जाएगा.

माध्यमिक शिक्षा परिषद
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Published : Feb 5, 2021, 6:07 PM IST

लखनऊः सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर चौरी-चौरा आंदोलन को अब माध्यमिक कॉलेजों के पाठ्यक्रम में अलग से स्थान मिल सकता है. गोरखपुर के चौरी-चौरा में हुए 4 फरवरी 1922 का जन विद्रोह पर विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में शोध भी किया जाएगा. अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग ने चौरी-चौरा आंदोलन पर शोध करने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं. हालांकि यूपी बोर्ड से संबद्ध 27 हजार से अधिक माध्यमिक कॉलेजों में 4 फरवरी 1922 का जन विद्रोह पढ़ाया जा रहा है. हालांकि जिस तरह इस आंदोलन के नायकों को वह स्थान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे. ठीक वैसे ही पाठ्यक्रम में भी यह अहम आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा है. सीएम के निर्देश के बाद अब चौरी-चौरा आंदोलन को अलग से पाठ का दर्जा मिल सकता है.

चौरी-चौरा अंदोलन पर होगा शोध
अब मुख्यमंत्री की ओर से माध्यमिक कॉलेजों के पाठ्यक्रम में इसे रखने के निर्देश से चौरी-चौरा आंदोलन को गौरवगाथा को और विस्तार मिल सकता है. बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल का कहना है कि प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप इस गौरवशाली आंदोलन को हाईस्कूल व इंटर दोनों में पढ़ाया जा रहा है. सरकार इस संबंध में जो भी आदेश देगी उसका भी अनुपालन कराया जाएगा. विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में अब चौरी-चौरा जन विद्रोह पर शोध किया जाएगा. उच्च शिक्षा विभाग रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्कीम के तहत शिक्षकों को फंड भी देगा. मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट (वृहद शोध परियोजना) के तहत 15 लाख रुपये और माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट (लघु शोध परियोजना) के तहत पांच लाख रुपये तक का फंड दिया जाएगा. रिसर्च को बढ़ावा देने वाली इस योजना में भारतीय इतिहास एवं संस्कृति संवर्धन से जुड़े विषयों पर विशेष जोर दिया जाएगा. तीन साल में शोध को पूरा करना होगा.

अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा ने मांगे प्रस्ताव
अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग की ओर से सभी विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों को गोरखपुर के चौरी-चौरा में 4 फरवरी 1922 को आजादी के लिए वीर सपूतों द्वारा किए गए जन विद्रोह पर शोध के लिए प्रस्ताव मांगे हैं. चौरी-चौरा एवं स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ पर्यावरण, स्वास्थ्य व शिक्षा एवं तकनीक से संबंधित विषयों पर शोध के लिए एक अप्रैल से लेकर 31 मई के बीच प्रस्ताव भेजने निर्देश दिए गए हैं. चौरी-चौरा जन विद्रोह व स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित शोध के लिए शिक्षक स्थलों व तिथियों आदि पर वास्तविक लेखन करते हुए उस समय के समाचार पत्रों की प्रति, फोटो व अन्य अभिलेखों को संग्रह करने पर जोर देंगे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी भारतीय इतिहास एवं संस्कृति संवर्धन पर विशेष जोर देने पर बल दिया गया है. ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों से रिसर्च के लिए प्रस्ताव मांगा है.

बारहवीं कक्षा में भी पढ़ाया जा रहा आंदोलन
माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की पाठ्यचर्या समिति पाठ्यक्रम का निर्धारण करती है. हालांकि एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम अधिकांश विषयों में लागू हो चुका है. इसमें भी हाईस्कूल के सामाजिक विज्ञान विषय में चौरी-चौरा आंदोलन को रखा गया है. इस वर्ष यूपी बोर्ड ने कोरोना संक्रमण की वजह से छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिए 30 फीसद पाठ्यक्रम कम किया है. इसके बाद भी सामाजिक विज्ञान के जीविका, अर्थव्यवस्था व समाज के खंड दो में 4 फरवरी 1922 के जन विद्रोह को जगह मिली है. बोर्ड अफसरों ने बताया कि यह आंदोलन इंटर के इतिहास विषय में भी पढ़ाया जा रहा है.

लखनऊः सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर चौरी-चौरा आंदोलन को अब माध्यमिक कॉलेजों के पाठ्यक्रम में अलग से स्थान मिल सकता है. गोरखपुर के चौरी-चौरा में हुए 4 फरवरी 1922 का जन विद्रोह पर विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में शोध भी किया जाएगा. अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग ने चौरी-चौरा आंदोलन पर शोध करने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं. हालांकि यूपी बोर्ड से संबद्ध 27 हजार से अधिक माध्यमिक कॉलेजों में 4 फरवरी 1922 का जन विद्रोह पढ़ाया जा रहा है. हालांकि जिस तरह इस आंदोलन के नायकों को वह स्थान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे. ठीक वैसे ही पाठ्यक्रम में भी यह अहम आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा है. सीएम के निर्देश के बाद अब चौरी-चौरा आंदोलन को अलग से पाठ का दर्जा मिल सकता है.

चौरी-चौरा अंदोलन पर होगा शोध
अब मुख्यमंत्री की ओर से माध्यमिक कॉलेजों के पाठ्यक्रम में इसे रखने के निर्देश से चौरी-चौरा आंदोलन को गौरवगाथा को और विस्तार मिल सकता है. बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल का कहना है कि प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप इस गौरवशाली आंदोलन को हाईस्कूल व इंटर दोनों में पढ़ाया जा रहा है. सरकार इस संबंध में जो भी आदेश देगी उसका भी अनुपालन कराया जाएगा. विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में अब चौरी-चौरा जन विद्रोह पर शोध किया जाएगा. उच्च शिक्षा विभाग रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्कीम के तहत शिक्षकों को फंड भी देगा. मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट (वृहद शोध परियोजना) के तहत 15 लाख रुपये और माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट (लघु शोध परियोजना) के तहत पांच लाख रुपये तक का फंड दिया जाएगा. रिसर्च को बढ़ावा देने वाली इस योजना में भारतीय इतिहास एवं संस्कृति संवर्धन से जुड़े विषयों पर विशेष जोर दिया जाएगा. तीन साल में शोध को पूरा करना होगा.

अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा ने मांगे प्रस्ताव
अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग की ओर से सभी विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों को गोरखपुर के चौरी-चौरा में 4 फरवरी 1922 को आजादी के लिए वीर सपूतों द्वारा किए गए जन विद्रोह पर शोध के लिए प्रस्ताव मांगे हैं. चौरी-चौरा एवं स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ पर्यावरण, स्वास्थ्य व शिक्षा एवं तकनीक से संबंधित विषयों पर शोध के लिए एक अप्रैल से लेकर 31 मई के बीच प्रस्ताव भेजने निर्देश दिए गए हैं. चौरी-चौरा जन विद्रोह व स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित शोध के लिए शिक्षक स्थलों व तिथियों आदि पर वास्तविक लेखन करते हुए उस समय के समाचार पत्रों की प्रति, फोटो व अन्य अभिलेखों को संग्रह करने पर जोर देंगे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी भारतीय इतिहास एवं संस्कृति संवर्धन पर विशेष जोर देने पर बल दिया गया है. ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों से रिसर्च के लिए प्रस्ताव मांगा है.

बारहवीं कक्षा में भी पढ़ाया जा रहा आंदोलन
माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की पाठ्यचर्या समिति पाठ्यक्रम का निर्धारण करती है. हालांकि एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम अधिकांश विषयों में लागू हो चुका है. इसमें भी हाईस्कूल के सामाजिक विज्ञान विषय में चौरी-चौरा आंदोलन को रखा गया है. इस वर्ष यूपी बोर्ड ने कोरोना संक्रमण की वजह से छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिए 30 फीसद पाठ्यक्रम कम किया है. इसके बाद भी सामाजिक विज्ञान के जीविका, अर्थव्यवस्था व समाज के खंड दो में 4 फरवरी 1922 के जन विद्रोह को जगह मिली है. बोर्ड अफसरों ने बताया कि यह आंदोलन इंटर के इतिहास विषय में भी पढ़ाया जा रहा है.

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