लखनऊः चर्चित वकील सीमा कुशवाहा को लखनऊ में पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई. निर्भया कांड में चारों आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने के बाद ये सुर्खियों में आईं थीं. आज उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ली.
इस मौके पर एडवोकेट सीमा कुशवाहा ने कहा कि वो मजबूर और गरीब पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए फ्री में केस की पैरवी करती हैं. यही काम बीएसपी अध्यक्ष मायावती भी करती आई हैं. बीएसपी शासनकाल में मायावती ने जिस तरह कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया था, वो एक नजीर बनी है. इसी को लेकर उन्होंने मायावती से प्रभावित होकर पार्टी ज्वॉइन की है.
वहीं इस मौके पर सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि आज सीमा को बीएसपी में शामिल कराकर पार्टी का सदस्य बनाया है. सीमा ने न ही सिर्फ देश बल्कि विदेश में अपना परचम लहराया है. इन्होंने चार दरिंदों को फांसी की सजा दिलवाई थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनवाने के नाम पर पैसे इकट्ठे किये गये थे. लेकिन अभी मंदिर नहीं बना पाए. बीजेपी के लोग राम के नाम पर वोट और नोट मांगते हैं और जीतने के बाद हम दलितों और मजबूरों को चोट देते हैं. लेकिन हम लोग ये सब भूल जाते हैं. इस बार अगर ये भूले तो आने वाले नस्ले माफ नहीं करेंगे.
सतीश चन्द्र मिश्रा ने कहा कि बीएसपी को बीजेपी की बी टीम बताई जाती थी, लेकिन अब सामने आ गया है कि एसपी उनकी बी टीम है. वहां बहू बीजेपी की ओर और बेटा एसपी में चाचा एक तरफ और भतीजा दूसरी तरफ है.
कौन हैं सीमा कुशवाहा
आपको बता दें कि सीमा कुशवाहा निर्भया केस में चर्चा में आई थीं. इसके अलावा उन्होंने हाथरस केस को भी लड़ा था. वो रेप पीड़िताओं के लिए फ्री में न्याय दिलाने की मुहिम भी चलाती हैं.
एडवोकेट सीमा कुशवाहा ने 23 वर्षीय निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ीं. आपको बता दें निर्भया के साथ दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने बर्बरतापूर्वक गैंगरेप किया था जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.
सीमा कुशवाहा का जन्म 2 अक्टूबर 1986 को उत्तर प्रदेश के इटावा में हुआ था. उनकी इस समय आयु 34 साल है. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमएम, एलएलबी की डिग्री ली है.
बिना फीस लिए लड़ा केस
जिस समय निर्भया के साथ ये दर्दनाक हादसा हुआ, उस वक्त सीमा कोर्ट में ट्रेनिंग कर रही थीं. जैसे ही उन्हें इस केस का पता चला उन्होंने बिना पैसे के इस केस को लड़ने का फैसला किया. उन्होंने साल 2013 में दिल दहला देने वाला जघन्य निर्भया गैंगरेप कांड का मामला उठाया और दोषियों को फांसी देने तक सात साल तक लगातार लड़ाई लड़ी. जिसके बाद वे 2014 में साकेत कोर्ट से चार दोषियों को मौत की सजा दिला पाने में कामयाब रहीं.
वहीं साल 2014 में वो दिल्ली उच्च न्यायालय और फिर साल 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय से निर्भया के चारों क्रूर अपराधियों को सजा दिलाने में कामयाब हो गईं.
सीमा कुशवाहा का करियर
सीमा ने 2013 में निर्भया का मामला उठाकर अपने करियर की शुरुआत की थी. इसके पहले वो कोर्ट में कोई भी केस नहीं लड़ी थीं. निर्भया केस उनके करियर का पहला केस था. साल 2014 में वो सीमा ज्योति लीगल ट्रस्ट से जुड़ी, जो रेप पीड़ितों के लिए फ्री में केस लड़ता है और उन्हें कानूनी सलाह देता है.
सीमा कुशवाहा का सपना आईएएस बनने का था. जिसके लिए उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देने के लिए भरपूर तैयारी भी कर ली थी. लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. अब वे सुप्रीम कोर्ट में एक प्रैक्टिसिंग लॉयर हैं.