लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस को बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन योगी आदित्यनाथ के प्रयासों के बावजूद भी उत्तर प्रदेश में अपराध की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में कई जिलों में बच्चियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं सामने आई थीं. वहीं अब कोविड-19 संक्रमण के बीच प्रदेश के तीन महत्वपूर्ण जनपद गोरखपुर, कानपुर और गोंडा में अपहरण की घटनाएं सामने आई हैं, जिसके बाद पुलिस की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
कुछ वर्ष पहले अपहरण था प्रमुख अपराध
लंबे समय बाद उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक, तीन अपहरण की घटनाएं देखने को मिली हैं. इनमें से 2 घटनाओं में पुलिस पूरी तरह से नाकामयाब रही है. उत्तर प्रदेश में अपहरण जैसी आपराधिक घटनाओं को समझने के लिए ईटीवी भारत ने एक्सपर्ट से बात की. एक्सपर्ट्स का कहना है कि उत्तर प्रदेश में कुछ वर्ष पहले अपहरण एक प्रमुख अपराध हुआ करता था. उत्तर प्रदेश में कई ऐसे गैंग थे जो अपहरण जैसी घटनाओं को अंजाम देते थे और फिरौती की रकम मिलने के बाद व्यक्ति को वापस कर देते थे. उत्तर प्रदेश के अपहरण के अपराध के इतिहास में देखें तो श्री प्रकाश शुक्ला और इटावा के चंबल से ताल्लुक रखने वाला निर्भर गुर्जर अपहरण के अपराध से जुड़े दो बड़े नाम हैं.
पूर्व डीजीपी एके जैन ने ईटीवी ने जानकारी देते हुए बताया कि पहले उत्तर प्रदेश में अपहरण के बड़े-बड़े गैंग हुआ करते थे, जिनको साफ करने में पुलिस ने कामयाबी हासिल की है. प्रोफेशनल गैंग कम ही मामले में अपहरण करने के बाद हत्या करते हैं, लेकिन जो घटनाएं उत्तर प्रदेश में देखने को मिली हैं उनमें non-professional अपराधी थे. लिहाजा, उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के उद्देश्य अपहरण के बाद हत्या की घटना को अंजाम दिया गया.
नए अपराधियों पर निगरानी का नहीं है कोई तंत्र
नए और non-professional अपराधियों पर निगरानी रखने का पुलिस विभाग के पास कोई तंत्र नहीं है. रेगुलर या आदतन अपराध करने वाले अपराधियों पर निगरानी रखने के लिए पुलिस के पास तंत्र मौजूद है, जिसकी मदद से अपराधों में संलिप्त रहने वालों पर नजर रखी जाती है. इस तरह से आपराधिक घटनाओं के होने से पहले ही कार्रवाई कर अपराध को रोकने का काम किया जाता है, लेकिन जब नए अपराधी अपराध करने का मन बनाते हैं तो इसके बारे में पुलिस को जानकारी नहीं मिल पाती. इस वजह से उन्हें ट्रेस करना भी पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण होता है. पूर्व डीजीपी एके जैन ने बताया कि कानपुर और गोरखपुर अपहरण मामले में अपराधी अपहरण होने वाले व्यक्ति के पहले से जानने वाले थे और उनका कोई क्रिमिनल इतिहास नहीं था. इसलिए पुलिस को उन्हें पहचानने और कार्रवाई करने में देर हुई. non-professional होने के नाते ही उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए अपह्रत व्यक्ति की हत्या भी कर डाली.
अपहरण की तीन घटनाएं
बीते दिनों प्रदेश में अपहरण की तीन घटनाएं हुईं, जिनमें गोंडा के कर्नलगंज में हुए अपहरण के मामले में पुलिस को कामयाबी मिली. पुलिस ने 18 घंटे में 5 वर्षीय बच्चे नमो को रिकवर कर लिया. दूसरी ओर कानपुर और गोरखपुर में अपह्रत व्यक्ति को पुलिस नहीं बचा सकी. रविवार को गोरखपुर में अपहरण किए गए किशोर का शव सोमवार को नाले में बरामद हुआ. वहीं कानपुर में 22 जून को अपहरण किए गए संजीव को बचाने में भी पुलिस नाकामयाब रही. पुलिस अभी तक संजीत का शव भी बरामद नहीं कर पाई है. हालांकि, जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने संजीत की हत्या कर शव को नदी में फेंक दिया था.