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लखनऊः गोशाला के नाम पर खानापूर्ति, किसान आवारा पशुओं से परेशान

राजधानी में काकोरी विकासखंड के लोग छुट्टा पशुओं से किसान परेशान हैं. आवारा पशुओं को रखने के लिए सरकार की ओर से कुसमरा हलवापुर गांव में गोशाला बनाई गई है, लेकिन यहां कोई व्यवस्था नहीं है. गोशाला में पशुओं के चारे से लेकर अन्य व्यवस्थाएं प्रधान की ओर से नहीं की जा रही हैं. दो साल बाद भी इस गोशाला में कोई जानवर नहीं रखे गए हैं.

कुसमरा हलवापुर गांव में बनी गौशाला.
कुसमरा हलवापुर गांव में बनी गौशाला.
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Published : Oct 31, 2020, 5:37 PM IST

लखनऊः राजधानी के कुसमरा हलवापुर गांव में ढाई लाख रुपये की लागत से बनी गोशाला का निर्माण पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया है. करीब चार बीघे से अधिक जगह में बनी गोशाला में जानवरों के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई है और न ही कोई पशु हैं.

गोशाला निर्माण में पूरी तरह से अव्यवस्था
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की समस्याओं को देखते हुए हर ब्लॉक में गोशालाओं का निर्माण कराया है. राजधानी से सटा हुआ कुशमौरा हलवापुर गांव में आवारा पशुओं से किसानों को राहत के लिए 2 साल पहले उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गोशाला का निर्माण ढाई लाख की लागत से कराया गया था. इस गोशाला में मानको के आधार पर किसी तरह का बाउंड्री नहीं की गई. खानापूर्ति के लिए चारों तरफ से तार लगा दिए गए. गोशाला के निर्माण में पूरी तरह घपलेबाजी हुई है. जानवरों को लेकर गोशाला में व्यवस्था नहीं की गई है न ही कोई जानवर रखे गए हैं. स्थानीय प्रशासन ने सरकार की मंशा पर पूरी तरह से पलीता लगा दिया है.

काकोरी विकासखंड में छुट्टा पशुओं का आतंक
काकोरी विकासखंड में छुट्टा पशुओं का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि किसान परेशान हो गए हैं. किसानों की राहत के लिए गोशाला का निर्माण कराया गया है, लेकिन मौजूदा गोशाला में किसी तरह का इंतजाम नहीं किया गया है. स्थानीय प्रशासन और प्रधान की मिलीभगत से पूरी तरह से बंदरबांट का खेल चल रहा है. जब इसके बारे में प्रधान से बात करने की कोशिश की गई तो वह बचते नजर आए.

गोशाला में जानवरों के लिए नहीं कोई व्यवस्था
सरवन यादव ने बताया कि वह गोशाला की देखभाल करते हैं. प्रधान की लापरवाही से गोशाला में गायों के लिए खाने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए जानवर गोशाला में लाकर नहीं रखे जा रहे हैं. अगनु यादव ने बताया कि गोशाला दो साल पुरानी है. गोशाला में सुविधाओं की कमी होने के कारण बाहर से गाय लाकर नहीं रखी जा रही हैं.

गोशाला के नाम पर की गई खानापूर्ति
स्थानीय किसान प्रमोद तिवारी ने बताया कि यहां पर गोशाला केवल खानापूर्ति के लिए बनाई गई है. गोशाला में कोई जानवर पकड़कर नहीं रखा जाता है. इसकी वजह से किसानों की फसलें जानवर चर जाते हैं. इसलिए किसानों को खेतों में हर बार बाड़ लगाने की जरूरत पड़ती है. इससे किसानों पर अलग से खर्चा का बोझ पड़ता है. वहीं, जब ईटीवी संवाददाता ने स्थानीय प्रधान बीना मिश्रा से बात करने की कोशिश की तो वह टालमटोल करती नजर आईं.

लखनऊः राजधानी के कुसमरा हलवापुर गांव में ढाई लाख रुपये की लागत से बनी गोशाला का निर्माण पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया है. करीब चार बीघे से अधिक जगह में बनी गोशाला में जानवरों के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई है और न ही कोई पशु हैं.

गोशाला निर्माण में पूरी तरह से अव्यवस्था
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की समस्याओं को देखते हुए हर ब्लॉक में गोशालाओं का निर्माण कराया है. राजधानी से सटा हुआ कुशमौरा हलवापुर गांव में आवारा पशुओं से किसानों को राहत के लिए 2 साल पहले उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गोशाला का निर्माण ढाई लाख की लागत से कराया गया था. इस गोशाला में मानको के आधार पर किसी तरह का बाउंड्री नहीं की गई. खानापूर्ति के लिए चारों तरफ से तार लगा दिए गए. गोशाला के निर्माण में पूरी तरह घपलेबाजी हुई है. जानवरों को लेकर गोशाला में व्यवस्था नहीं की गई है न ही कोई जानवर रखे गए हैं. स्थानीय प्रशासन ने सरकार की मंशा पर पूरी तरह से पलीता लगा दिया है.

काकोरी विकासखंड में छुट्टा पशुओं का आतंक
काकोरी विकासखंड में छुट्टा पशुओं का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि किसान परेशान हो गए हैं. किसानों की राहत के लिए गोशाला का निर्माण कराया गया है, लेकिन मौजूदा गोशाला में किसी तरह का इंतजाम नहीं किया गया है. स्थानीय प्रशासन और प्रधान की मिलीभगत से पूरी तरह से बंदरबांट का खेल चल रहा है. जब इसके बारे में प्रधान से बात करने की कोशिश की गई तो वह बचते नजर आए.

गोशाला में जानवरों के लिए नहीं कोई व्यवस्था
सरवन यादव ने बताया कि वह गोशाला की देखभाल करते हैं. प्रधान की लापरवाही से गोशाला में गायों के लिए खाने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए जानवर गोशाला में लाकर नहीं रखे जा रहे हैं. अगनु यादव ने बताया कि गोशाला दो साल पुरानी है. गोशाला में सुविधाओं की कमी होने के कारण बाहर से गाय लाकर नहीं रखी जा रही हैं.

गोशाला के नाम पर की गई खानापूर्ति
स्थानीय किसान प्रमोद तिवारी ने बताया कि यहां पर गोशाला केवल खानापूर्ति के लिए बनाई गई है. गोशाला में कोई जानवर पकड़कर नहीं रखा जाता है. इसकी वजह से किसानों की फसलें जानवर चर जाते हैं. इसलिए किसानों को खेतों में हर बार बाड़ लगाने की जरूरत पड़ती है. इससे किसानों पर अलग से खर्चा का बोझ पड़ता है. वहीं, जब ईटीवी संवाददाता ने स्थानीय प्रधान बीना मिश्रा से बात करने की कोशिश की तो वह टालमटोल करती नजर आईं.

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