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साढ़े चार साल में भी प्राथमिक विद्यालय नहीं हुए सुरक्षित, होने थे ये काम

कायाकल्प योजना (kayakalp yojna) के बावजूद प्रदेश के सभी प्राथमिक विद्यालय अभी तक सुरक्षित नहीं हो पाए हैं. प्रदेश के 1 लाख 32 हजार में से 23 हजार स्कूलों में अभी तक बाउंड्रीवॉल नहीं बन पाई है.

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Published : Oct 21, 2022, 8:14 PM IST

लखनऊ : कायाकल्प योजना (kayakalp yojna) के बावजूद प्रदेश के सभी प्राथमिक विद्यालय अभी तक सुरक्षित नहीं हो पाए हैं, क्योंकि प्रदेश के करीब 23 हजार विद्यालयों के पास अभी तक अपनी बाउंड्रीवाॅल नहीं है. वहीं कायाकल्प योजना करीब पांच माह बाद खत्म हो जाएगी. योजना शुरू होने के चार साल बाद भी प्रदेश के ज्यादातर बेसिक स्कूलों की स्थिति में सुधार केवल नाम मात्र का ही दिख रहा है. इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि स्कूलों की बाउंड्रीवॉल बनाने के लिए जो काम होना था, उसमें प्रदेश के 1 लाख 32 हजार में से 23 हजार स्कूलों में अभी तक बाउंड्रीवॉल नहीं बन पाई है.


कायाकल्प योजना (kayakalp yojna) के तहत बेसिक स्कूलों में 18 प्वाइंट के ऊपर निर्माण कार्य व इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना है. इसमें प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में फर्नीचर से लेकर भवन तक दुरूस्त करने के लिए योगी सरकार ने कायाकल्प योजना चलाई है. इस योजना में प्रदेश सरकार के कई विभागों को शामिल किया गया है. बिजली, नगर निगम, पंचायती राज, मनरेगा और जल निगम सहित अन्य विभागों को योजना में रखा गया है. उन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके तहत बिजली विभाग को सभी स्कूलों में बिजली की व्यवस्था करनी है. इसी तरह जल निगम स्कूलों में पानी का प्रबन्ध करेगा. नगर निगम शहरों के प्राथमिक विद्यालयों में साफ सफाई से लेकर अन्य जरूरी चीजों की व्यवस्था करेगा. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यही व्यवस्था पंचायती राज विभाग करेगा. कुल 18 प्वाइंट पर बेसिक स्कूलों का विकास करना था.

कायाकल्प योजना प्रदेश सरकार ने 2018 में शुरू की थी. इसके तहत कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक के प्रदेश के सभी विद्यालयों में गुणवत्तायुक्त पढ़ाई और परिसर के सौन्द्रर्यीकरण के लिए सम्पूर्ण व्यवस्था की जानी थी. इसमें भवन निर्माण और बाउंड्रीवाॅल से लेकर अन्य संसाधन उपलब्ध कराना है. यह योजना को अगले वर्ष 2013 मार्च पूरा होना है, लेकिन अभी तक कायाकल्प योजना के तहत विद्यालयों में काफी काम होना बचा है. इसमें विद्यालयों को सुरक्षित करने के लिए बनने वाली बाउंड्रीवाॅल भी शामिल हैं. बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, योजना के खत्म होने में मात्र पांच माह बचे हैं, लेकिन अभी तक प्रदेश के कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक के करीब 23 हजार विद्यालय परिसर की बाउंड्रीवाॅल नहीं बनी है. बाउंड्रीवाॅल मनरेगा के तहत बनाई जानी है. इसको लेकर पंचायती राज विभाग के साथ कई बैठक हो चुकी है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है.

बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, केवल राजधानी में 1628 बेसिक स्कूल हैं, इसमें से 273 विद्यालयों में बाउंड्रीवॉल नहीं बनी हैं. इसके अलावा सबसे अधिक आजमगढ़ में 922 विद्यालय और प्रतापगढ़ में 895 विद्यालयों की बाउंड्रीवाॅल नहीं बनी है.

यह भी पढ़ें : ग़ैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे का काम पूरा, जानिए क्या होगा अगला कदम

लखनऊ में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के अधूरे कार्यों को पूरा कराने के लिए डीएम सूर्यपाल गंगवार की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है. जिला प्रशासन के अनुसार, आठ सदस्यों की समिति पोर्टल के माध्यम से दान की गयी धनराशि एकत्रित कर विद्यालयों के हित में कायाकल्प का कार्य करेगी. समिति में जिलाधिकारी लखनऊ अध्यक्ष, मुख्य विकास अधिकारी उपाध्यक्ष, नगर आयुक्त नगर निगम, वरिष्ठ कोषाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला पंचायत राज अधिकारी, उप निदेशक सूचना ( जिला सूचना अधिकारी), जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सदस्य होंगे.

यह भी पढ़ें : पब्लिसिटी वैन आईं थीं सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करने, कार्यालयों में हो रहीं हैं कबाड़

लखनऊ : कायाकल्प योजना (kayakalp yojna) के बावजूद प्रदेश के सभी प्राथमिक विद्यालय अभी तक सुरक्षित नहीं हो पाए हैं, क्योंकि प्रदेश के करीब 23 हजार विद्यालयों के पास अभी तक अपनी बाउंड्रीवाॅल नहीं है. वहीं कायाकल्प योजना करीब पांच माह बाद खत्म हो जाएगी. योजना शुरू होने के चार साल बाद भी प्रदेश के ज्यादातर बेसिक स्कूलों की स्थिति में सुधार केवल नाम मात्र का ही दिख रहा है. इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि स्कूलों की बाउंड्रीवॉल बनाने के लिए जो काम होना था, उसमें प्रदेश के 1 लाख 32 हजार में से 23 हजार स्कूलों में अभी तक बाउंड्रीवॉल नहीं बन पाई है.


कायाकल्प योजना (kayakalp yojna) के तहत बेसिक स्कूलों में 18 प्वाइंट के ऊपर निर्माण कार्य व इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना है. इसमें प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में फर्नीचर से लेकर भवन तक दुरूस्त करने के लिए योगी सरकार ने कायाकल्प योजना चलाई है. इस योजना में प्रदेश सरकार के कई विभागों को शामिल किया गया है. बिजली, नगर निगम, पंचायती राज, मनरेगा और जल निगम सहित अन्य विभागों को योजना में रखा गया है. उन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके तहत बिजली विभाग को सभी स्कूलों में बिजली की व्यवस्था करनी है. इसी तरह जल निगम स्कूलों में पानी का प्रबन्ध करेगा. नगर निगम शहरों के प्राथमिक विद्यालयों में साफ सफाई से लेकर अन्य जरूरी चीजों की व्यवस्था करेगा. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यही व्यवस्था पंचायती राज विभाग करेगा. कुल 18 प्वाइंट पर बेसिक स्कूलों का विकास करना था.

कायाकल्प योजना प्रदेश सरकार ने 2018 में शुरू की थी. इसके तहत कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक के प्रदेश के सभी विद्यालयों में गुणवत्तायुक्त पढ़ाई और परिसर के सौन्द्रर्यीकरण के लिए सम्पूर्ण व्यवस्था की जानी थी. इसमें भवन निर्माण और बाउंड्रीवाॅल से लेकर अन्य संसाधन उपलब्ध कराना है. यह योजना को अगले वर्ष 2013 मार्च पूरा होना है, लेकिन अभी तक कायाकल्प योजना के तहत विद्यालयों में काफी काम होना बचा है. इसमें विद्यालयों को सुरक्षित करने के लिए बनने वाली बाउंड्रीवाॅल भी शामिल हैं. बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, योजना के खत्म होने में मात्र पांच माह बचे हैं, लेकिन अभी तक प्रदेश के कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक के करीब 23 हजार विद्यालय परिसर की बाउंड्रीवाॅल नहीं बनी है. बाउंड्रीवाॅल मनरेगा के तहत बनाई जानी है. इसको लेकर पंचायती राज विभाग के साथ कई बैठक हो चुकी है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है.

बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, केवल राजधानी में 1628 बेसिक स्कूल हैं, इसमें से 273 विद्यालयों में बाउंड्रीवॉल नहीं बनी हैं. इसके अलावा सबसे अधिक आजमगढ़ में 922 विद्यालय और प्रतापगढ़ में 895 विद्यालयों की बाउंड्रीवाॅल नहीं बनी है.

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लखनऊ में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के अधूरे कार्यों को पूरा कराने के लिए डीएम सूर्यपाल गंगवार की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है. जिला प्रशासन के अनुसार, आठ सदस्यों की समिति पोर्टल के माध्यम से दान की गयी धनराशि एकत्रित कर विद्यालयों के हित में कायाकल्प का कार्य करेगी. समिति में जिलाधिकारी लखनऊ अध्यक्ष, मुख्य विकास अधिकारी उपाध्यक्ष, नगर आयुक्त नगर निगम, वरिष्ठ कोषाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला पंचायत राज अधिकारी, उप निदेशक सूचना ( जिला सूचना अधिकारी), जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सदस्य होंगे.

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