लखनऊ : एनडीए में ओम प्रकाश राजभर की एंट्री होने पर अब सहयोगी दल निषाद पार्टी ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है. मंगलवार को पार्टी सुप्रीमो और योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने हमारा संगठन 37 सीटों पर मजबूत हैं. ऐसे में हमारा संगठन इन सीटों पर अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेगा. हालांकि वे एनडीए का हिस्सा हैं और खुद योगी सरकार में मंत्री हैं.
दूसरे राज्यों में निषाद पार्टी कर रही विस्तार : संजय निषाद ने कहा कि निषाद पार्टी उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी विस्तार कर रही है. जिससे पार्टी को मजबूती मिलेगी और भविष्य में पार्टी दूसरे राज्यों में भी चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि बीते दिन उन्होंने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और निषाद पार्टी द्वारा आयोजित केवट सम्मेलन में भी शामिल हुआ. छत्तीसगढ़ में मछुआ समाज कांग्रेस सरकार से प्रताड़ित है, क्योंकि वहां की प्रदेश सरकार दमनकारी नीतियों से प्रदेश के मछुआ समाज को प्रताड़ित कर रही है. जिसका जवाब मछुआ समाज आगामी विधानसभा चुनाव में देगा.
बीजेपी के करीब राजभर आए तो निषाद में मची खलबली : दरअसल, यूपी में भारतीय जनता पार्टी के साथ ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 2017 का विधान सभा चुनाव मिल कर लड़ा था. इसका फायदा बीजेपी को जम कर मिला. हालांकि 2019 के लोक सभा में सुभासपा का साथ छुटने पर निषाद पार्टी को बीजेपी अपने साथ लाई और राजभर की कमी पूरी कर दी. यही स्थिति 2022 के विधान सभा चुनाव में भी हुई थी.
ऐसे में संजय निषाद को यह समझ में आ गया है कि बीजेपी को उनकी जरूरत है. हालांकि निषाद पार्टी को तब झटका लगा जब ओम प्रकाश राजभर की बीजेपी से करीबी बढ़ी. संजय निषाद और ओम प्रकाश राजभर में जुबानी जंग शुरू हुई और खुद को सबसे फायदेमंद बताने की होड़ लग गई. ओपी राजभर के एनडीए में शामिल होने के बाद संजय निषाद ने ओबीसी समाज को 17 जातियों को एससी में शामिल कराने को लेकर खून से पत्र लिख डाला तो ओपी राजभर ने सीएम योगी से मुलाकात कर कहा कि उनके कहने पर सरकार ओबीसी समाज को 17 जातियों को एससी में शामिल करने को लेकर केंद्र में प्रस्ताव भेज रही है. यही वजह है कि अब संजय निषाद ने पॉलिटिकल प्रेशर शुरू कर दी है.