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रोबोटिक तकनीक से 9 और मरीजों की किडनी ट्रांसप्लांट करने की तैयारी में SGPGI, शुल्क होगा माफ - गुर्दा प्रत्यारोपण का शुल्क

लखनऊ पीजीआई के डॉक्टरों ने रोबोट से पहला सफल किडनी ट्रांसप्लांट करने में सफलता हासिल की है. नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी व एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने बाराबंकी निवासी महिला का किडनी ट्रांसप्लांट किया है. अब एसजीपीजीआई संस्थान नौ अन्य मरीजों की किडनी ट्रांसप्लांट करने के प्लान पर काम कर रहा है.

रोबोटिक तकनीक से किडनी ट्रांसप्लांट.
रोबोटिक तकनीक से किडनी ट्रांसप्लांट.
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Published : Aug 12, 2021, 4:27 PM IST

लखनऊ: प्रदेश में पहली बार रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता के बाद अब एसजीपीजीआई संस्थान नौ अन्य मरीजों की किडनी ट्रांसप्लांट करने के प्लान पर काम कर रहा है.इन मरीजों का रोबोटिक सर्जरी का शुल्क माफ रहेगा.एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ आरके धीमान के मुताबिक, यूपी में पहली बार संस्थान में रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. बाराबंकी निवासी महिला का पहला ट्रांसप्लांट सफल रहा. महिला का किडनी प्रत्यारोपण मुख्यमंत्री कोष से किया गया था.

निदेशक डॉ आरके धीमान के मुताबिक, पीजीआई में सामान्य मरीज के गुर्दा प्रत्यारोपण का शुल्क तीन लाख है. रोबोटिक विधि से गुर्दा प्रत्यारोपण कराने पर एक लाख के करीब अतिरिक्त खर्चा आता है. पहले सफल गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद शुरुआती नौ अन्य मरीजों के रोबोटिक ट्रांसप्लांट का चार्ज माफ रहेगा.

रोबोटिक तकनीक से किडनी ट्रांसप्लांट (प्रतीकात्मक तस्वीर)
रोबोटिक तकनीक से किडनी ट्रांसप्लांट (प्रतीकात्मक तस्वीर)

लिवर ट्रांसप्लांट भी जल्द होगा शुरू
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में लिवर ट्रांसप्लांट भी जल्द शुरू होगा. इसके लिए दिल्ली के आईएलबीएस में डॉक्टरों की ट्रेनिंग पूरी हो गयी है. हीपैटोलॉजी की ओपीडी भी शुरू हो गई है. इस ओपीडी में मरीजों की स्क्रीनिंग भी होने लगी है. करीब 6 मरीज लिवर ट्रांसप्लांट के लिए तैयार हो गए हैं. उनके लिए डोनर संबंधी प्रक्रिया चल रही है. इन मरीजों का सितम्बर में लिवर ट्रांसप्लांट करने का प्लान बनाया है.

SGPGI
SGPGI
मरीजों का अस्पताल में घटता है स्टे
रोबोटिक रीनल ट्रांसप्लांट न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक है. रोबोटिक सर्जरी में पारंपरिक प्रत्यारोपण सर्जरी की तुलना में छोटा चीरा लगता है. इस सर्जरी में मरीज के अंदर की-होल कर रोबोटिक आर्म डाले जाते हैं. इसमें कैमरा और अन्य उकरण लगे होते हैं. मशीन में लगे मॉनिटर पर शरीर के अंदर का हिस्सा दिखता रहता है. डॉक्टर मशीन को कमांड देते हैं. मशीन में लगे आर्म कमांड के अनुसार सर्जरी करते हैं. इस तरह से सर्जरी करने में गलती की गुंजाइश नगण्य होती है.ओपन सर्जरी में प्रत्यारोपित गुर्दा के आसपास द्रव एकत्र होने की आशंका रहती है, जो कई बार परेशानी खड़ी करता है. रोबोटिक सर्जरी में इसकी आशंका कम रहती है।इस तकनीक से आपरेशन के बाद मरीजों को अस्पताल में कम दिनों तक रुकना पड़ता है.
इसे भी पढ़ें- लखनऊ PGI में पहली बार रोबोट से हुआ महिला का सफल किडनी ट्रांसप्लांट


बाराबंकी की महिला की हुई थी रोबोटिक सर्जरी
SGPGI (संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान) के डॉक्टरों ने नई उपलब्धि हासिल की है. यहां प्रदेश में पहली बार रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी व एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने बाराबंकी निवासी 42 वर्षीय महिला का किडनी ट्रांसप्लांट किया है. 42 साल की महिला को किडनी उसकी 66 साल की मां ने दी है. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद महिला व उसकी मां दोनों स्वस्थ हैं. महिला को अभी तीन से चार दिन अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा.

लखनऊ: प्रदेश में पहली बार रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता के बाद अब एसजीपीजीआई संस्थान नौ अन्य मरीजों की किडनी ट्रांसप्लांट करने के प्लान पर काम कर रहा है.इन मरीजों का रोबोटिक सर्जरी का शुल्क माफ रहेगा.एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ आरके धीमान के मुताबिक, यूपी में पहली बार संस्थान में रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. बाराबंकी निवासी महिला का पहला ट्रांसप्लांट सफल रहा. महिला का किडनी प्रत्यारोपण मुख्यमंत्री कोष से किया गया था.

निदेशक डॉ आरके धीमान के मुताबिक, पीजीआई में सामान्य मरीज के गुर्दा प्रत्यारोपण का शुल्क तीन लाख है. रोबोटिक विधि से गुर्दा प्रत्यारोपण कराने पर एक लाख के करीब अतिरिक्त खर्चा आता है. पहले सफल गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद शुरुआती नौ अन्य मरीजों के रोबोटिक ट्रांसप्लांट का चार्ज माफ रहेगा.

रोबोटिक तकनीक से किडनी ट्रांसप्लांट (प्रतीकात्मक तस्वीर)
रोबोटिक तकनीक से किडनी ट्रांसप्लांट (प्रतीकात्मक तस्वीर)

लिवर ट्रांसप्लांट भी जल्द होगा शुरू
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में लिवर ट्रांसप्लांट भी जल्द शुरू होगा. इसके लिए दिल्ली के आईएलबीएस में डॉक्टरों की ट्रेनिंग पूरी हो गयी है. हीपैटोलॉजी की ओपीडी भी शुरू हो गई है. इस ओपीडी में मरीजों की स्क्रीनिंग भी होने लगी है. करीब 6 मरीज लिवर ट्रांसप्लांट के लिए तैयार हो गए हैं. उनके लिए डोनर संबंधी प्रक्रिया चल रही है. इन मरीजों का सितम्बर में लिवर ट्रांसप्लांट करने का प्लान बनाया है.

SGPGI
SGPGI
मरीजों का अस्पताल में घटता है स्टे
रोबोटिक रीनल ट्रांसप्लांट न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक है. रोबोटिक सर्जरी में पारंपरिक प्रत्यारोपण सर्जरी की तुलना में छोटा चीरा लगता है. इस सर्जरी में मरीज के अंदर की-होल कर रोबोटिक आर्म डाले जाते हैं. इसमें कैमरा और अन्य उकरण लगे होते हैं. मशीन में लगे मॉनिटर पर शरीर के अंदर का हिस्सा दिखता रहता है. डॉक्टर मशीन को कमांड देते हैं. मशीन में लगे आर्म कमांड के अनुसार सर्जरी करते हैं. इस तरह से सर्जरी करने में गलती की गुंजाइश नगण्य होती है.ओपन सर्जरी में प्रत्यारोपित गुर्दा के आसपास द्रव एकत्र होने की आशंका रहती है, जो कई बार परेशानी खड़ी करता है. रोबोटिक सर्जरी में इसकी आशंका कम रहती है।इस तकनीक से आपरेशन के बाद मरीजों को अस्पताल में कम दिनों तक रुकना पड़ता है.
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बाराबंकी की महिला की हुई थी रोबोटिक सर्जरी
SGPGI (संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान) के डॉक्टरों ने नई उपलब्धि हासिल की है. यहां प्रदेश में पहली बार रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी व एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने बाराबंकी निवासी 42 वर्षीय महिला का किडनी ट्रांसप्लांट किया है. 42 साल की महिला को किडनी उसकी 66 साल की मां ने दी है. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद महिला व उसकी मां दोनों स्वस्थ हैं. महिला को अभी तीन से चार दिन अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा.

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