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NHAI को भूखंड पर नहीं मिल रहा कब्जा, गोमती नगर विस्तार में LDA से खरीदी थी जमीन

लखनऊ विकास प्राधिकरण को 16 करोड़ रुपये देने के बाद भी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को जमीन पर कब्जा नहीं मिल सका है. गोमती नगर विस्तार में इस जमीन पर एनएचएआई का प्रदेश मुख्यालय बनाया जाना है.

लखनऊ विकास प्राधिकरण.
लखनऊ विकास प्राधिकरण.
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Published : Jul 20, 2021, 8:12 AM IST

लखनऊः लखनऊ विकास प्राधिकरण को 16 करोड़ रुपये देने के बाद भी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को जमीन पर कब्जा नहीं मिल सका है. गोमती नगर विस्तार में इस जमीन पर एनएचएआई का प्रदेश मुख्यालय बनाया जाना है. भूखंड के बीच में बाउंड्री वाल बनी होने से कब्जा नहीं मिल पा रहा है. एलडीए उपाध्यक्ष सहित अन्य अधिकारियों से मिलने के बाद भी कब्जा नहीं मिला है. अब एनएचएआई ने मंडलायुक्त रंजन कुमार को पत्र लिखा है.

एनएचएआई ने गोमती नगर विस्तार के सेक्टर सात में 38,000 वर्ग फुट जमीन खरीदी थी. प्रदेश मुख्यालय के निर्माण के लिए एलडीए से खरीदी गई, इस जमीन के लिए 16 करोड़ रुपये भी जमा कर दिए. उसे 07/06 नंबर का भूखंड मिला. 5 अक्टूबर 2017 को जमीन की रजिस्ट्री भी हो गई. वर्ष 2020 में उसने अपने कार्यालय के निर्माण की जिम्मेदारी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को दी. अब कब्जा न मिलने से काम शुरू नहीं हो पा रहा है. मौके पर भूखंड के बीच में एक महिला ने बाउंड्री वाल बनवा ली है.

इसे भी पढ़ें- ग्रीन कॉरिडोर के लिए 193 एकड़ भूमि का होगा अधिग्रहण, 15 अगस्त तक DPR होगा फाइनल

एनएचएआई के अधिकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने और उन्हें कब्जा दिलाने को लेकर प्राधिकरण के अधिकारियों से कई बार मिल चुके हैं. कहीं से भी कार्रवाई न होने पर परियोजना निदेशक एनएन गिरी ने कमिश्नर को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने लिखा है कि प्लॉट से कब्जा हटवाने के लिए वह तीन बार व्यक्तिगत रूप से एलडीए उपाध्यक्ष से मिल चुके हैं. उन्हें तत्कालीन संयुक्त सचिव ऋतु सुहास के पास भेजा गया. ऋतु सुहास ने नजूल अधिकारी आनंद कुमार सिंह के पास भेज दिया. नजूल अधिकारी से वह लगातार पंद्रह दिन तक मिलते रहे. इससे पहले संयुक्त सचिव ने अवर अभियंता राजेंद्र प्रसाद सोनी के पास भेजा. 26 फरवरी 2021 को वह अवर अभियंता आशीष श्रीवास्तव के पास गए. एलडीए के तहसीलदार के पास भी भेजा गया. लेखपालों से भी मुलाकात की. नवंबर 2020 से कब्जा खाली करवाने के लिए एक-एक अधिकारी से मिल चुके हैं. आठ महीने बाद भूखंड में बनी बाउंड्री को तोड़ा नहीं जा सका है.

एनएचआई ने अपने पत्र में लिखा है कि यह बहुत ही निराशाजनक स्थिति है. एनएचएआई का राजधानी में प्रदेश मुख्यालय नहीं है. अभी एनएचआई का कार्यालय किराए के मकान में चल रहा है. आवासीय मकान न होने की वजह से ज्यादातर बड़े अधिकारी लखनऊ में नहीं बैठते. दूसरे शहरों में बैठते हैं. मुख्यालय बनने के बाद सभी बड़े अधिकारी यहीं बैठेंगे. इससे राष्ट्रीय राजमार्गों की निगरानी में आसानी होगी. मार्गों के मेंटेनेंस तथा नए राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में तेजी आएगी. नई परियोजनाएं भी बनेंगी.

लखनऊः लखनऊ विकास प्राधिकरण को 16 करोड़ रुपये देने के बाद भी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को जमीन पर कब्जा नहीं मिल सका है. गोमती नगर विस्तार में इस जमीन पर एनएचएआई का प्रदेश मुख्यालय बनाया जाना है. भूखंड के बीच में बाउंड्री वाल बनी होने से कब्जा नहीं मिल पा रहा है. एलडीए उपाध्यक्ष सहित अन्य अधिकारियों से मिलने के बाद भी कब्जा नहीं मिला है. अब एनएचएआई ने मंडलायुक्त रंजन कुमार को पत्र लिखा है.

एनएचएआई ने गोमती नगर विस्तार के सेक्टर सात में 38,000 वर्ग फुट जमीन खरीदी थी. प्रदेश मुख्यालय के निर्माण के लिए एलडीए से खरीदी गई, इस जमीन के लिए 16 करोड़ रुपये भी जमा कर दिए. उसे 07/06 नंबर का भूखंड मिला. 5 अक्टूबर 2017 को जमीन की रजिस्ट्री भी हो गई. वर्ष 2020 में उसने अपने कार्यालय के निर्माण की जिम्मेदारी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को दी. अब कब्जा न मिलने से काम शुरू नहीं हो पा रहा है. मौके पर भूखंड के बीच में एक महिला ने बाउंड्री वाल बनवा ली है.

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एनएचएआई के अधिकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने और उन्हें कब्जा दिलाने को लेकर प्राधिकरण के अधिकारियों से कई बार मिल चुके हैं. कहीं से भी कार्रवाई न होने पर परियोजना निदेशक एनएन गिरी ने कमिश्नर को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने लिखा है कि प्लॉट से कब्जा हटवाने के लिए वह तीन बार व्यक्तिगत रूप से एलडीए उपाध्यक्ष से मिल चुके हैं. उन्हें तत्कालीन संयुक्त सचिव ऋतु सुहास के पास भेजा गया. ऋतु सुहास ने नजूल अधिकारी आनंद कुमार सिंह के पास भेज दिया. नजूल अधिकारी से वह लगातार पंद्रह दिन तक मिलते रहे. इससे पहले संयुक्त सचिव ने अवर अभियंता राजेंद्र प्रसाद सोनी के पास भेजा. 26 फरवरी 2021 को वह अवर अभियंता आशीष श्रीवास्तव के पास गए. एलडीए के तहसीलदार के पास भी भेजा गया. लेखपालों से भी मुलाकात की. नवंबर 2020 से कब्जा खाली करवाने के लिए एक-एक अधिकारी से मिल चुके हैं. आठ महीने बाद भूखंड में बनी बाउंड्री को तोड़ा नहीं जा सका है.

एनएचआई ने अपने पत्र में लिखा है कि यह बहुत ही निराशाजनक स्थिति है. एनएचएआई का राजधानी में प्रदेश मुख्यालय नहीं है. अभी एनएचआई का कार्यालय किराए के मकान में चल रहा है. आवासीय मकान न होने की वजह से ज्यादातर बड़े अधिकारी लखनऊ में नहीं बैठते. दूसरे शहरों में बैठते हैं. मुख्यालय बनने के बाद सभी बड़े अधिकारी यहीं बैठेंगे. इससे राष्ट्रीय राजमार्गों की निगरानी में आसानी होगी. मार्गों के मेंटेनेंस तथा नए राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में तेजी आएगी. नई परियोजनाएं भी बनेंगी.

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