नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने पराली जलाने के मामले पर सख्ती दिखाई है. एनजीटी ने पराली को जलाने से रोकने के लिए यूपी, हरियाणा और पंजाब सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है.
15 नवंबर तो होगी अगली सुनवाई
एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने 15 नवंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. एनजीटी ने कहा है कि राज्य सरकारें बताएं कि पराली को जलाने से रोकने के लिए क्या कर्रवाई की गई. मामले की अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी.
मॉनिटरिंग के लिए स्पेशल सेल गठित करने के निर्देश
पिछले 1 अक्टूबर को एनजीटी ने पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया था, कि वे पराली से होने वाले वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग करने के लिए एक सप्ताह के अंदर अपने दफ्तर में एक स्पेशल सेल का गठन करें. एनजीटी ने तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया था, कि जिला स्तर पर भी मॉनिटरिंग करने के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के दफ्तर में ऐसे स्पेशल सेल गठित करने का आदेश जारी करें.
छुट्टियों के दौरान भी वायु प्रदूषण की मानिटरिंग
एनजीटी ने कहा था कि अगले एक महीने तक वायु प्रदूषण की रोजाना मॉनिटरिंग की जाए और उसकी रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली जाए ताकि लोग जागरुक हो सकें. एनजीटी ने कहा था कि छुट्टियों के दौरान भी वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जाए. सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा था कि भले ही केंद्र सरकार ने धन मुहैया कराया है लेकिन उसे मानिटरिंग करने और उसके मुताबिक प्रभावी रणनीति तय करने के लिए दिशानिर्देश दें साथ ही पराली जलाने को लेकर एक लंबी रणनीति बनाने की जरुरत है.
एनजीटी ने इस बात पर गौर किया था कि पराली जलाने से हवा में कार्बन डाईऑक्साईट की मात्रा 70 फीसदी तक बढ़ जाती है. हर साल अक्टूबर के महीने में दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में आबोहवा खराब हो जाती है क्योंकि किसान पराली जलाते हैं.