लखनऊ : पलभर में रिश्ते कैसे बदलते हैं. इसका नमूना बीते शुक्रवार को सिविल अस्पताल में देखने को मिला. दो दिन पहले आठ माह की बच्ची का इलाज कराने सिविल अस्पताल पहुंचे परिजन मासूम के दम तोड़ते ही अस्पताल से भाग खड़े हुए. हद तो तब हुई जब शव सौंपने के लिए शुक्रवार को पूरा दिन अस्पताल प्रशासन परिजनों का इंतजार करता रहा, लेकिन कोई नहीं आया था. वहीं अस्पताल में पंजीकरण कराने के समय परिजनों का पता भी फर्जी निकला. हालांकि इस समय बच्चे के शव को फ्रीजर में रखा गया है.
सीसीटीवी फुटेज में भी नहीं दिखा कोई : डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक (सीएमएस) डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि शाहजहांपुर निवासी श्रीकृष्ण की आठ माह की बच्ची धनदेवी को बुखार आने के साथ ही सांस की समस्या थी. बीते बुधवार को परिजन बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचे थे. यहां डॉक्टरों ने बच्ची को पीआईसीयू में भर्ती करके इलाज शुरू किया. जांच में सैप्टीसीमिया की पुष्टि हुई. खून में संक्रमण पहुंचने से बच्ची की हालत गंभीर हो गई. इलाज के दौरान बीते गुरुवार रात 2:30 बजे बच्ची की सांसें थम गईं. मासूम की मौत के बाद पिता शव छोड़कर रफूचक्कर हो गया. काफी देर तक शव के पास किसी के न आने पर अस्पताल के डॉक्टर कर्मचारियों ने तलाश शुरू की. अस्पताल परिसर के आसपास उनकी खोजबीन की गई. सीसीटीवी कैमरे के फुटेज भी देखे गए, लेकिन पिता व घर के अन्य सदस्यों का पता नहीं चल सका.
72 घंटे बाद होगा अंतिम संस्कार :अस्पताल प्रशासन ने इस बात की जानकारी हजरतगंज पुलिस को दी. इसके बाद पुलिस ने छानबीन शुरू की. पुलिस ने अस्पताल में भर्ती के समय दस्तावेजों में दर्ज कराए गए शाहजहापुर के पते की खोज शुरू की और वहां की पुलिस से संपर्क किया. पड़ताल में अस्पताल में दर्ज कराया गया पता गलत निकला. मोबाइल नंबर भी सही नहीं था. पुलिस ने शव केजीएमयू के पोस्टमार्टम हाउस में रखवा दिया है. डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि पुलिस का कहना है कि नियमानुसार 72 घंटे तक अगर कोई शव लेने नहीं आता है तो लावारिस की प्रक्रिया पूरी करवाकर आगे की कार्रवाई शुरू करा दी जाएगी. अब बच्चे का दाह संस्कार कराया जाएगा. फिलहाल अभी तक बच्चे के परिजन को पुलिस नहीं ढूंढ पाई है.
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