लखनऊः सरकार ने आवास विकास प्राधिकरण में प्लॉट, मकान और फ्लैट खरीदने वालों के आवंटन और निरस्तीकरण के नियम पर चर्चा शुरू कर दी है. 22 मार्च को सभी प्राधिकरणों के साथ होने वाली बैठक में इसको आखिरी रूप दिया जायेगा. इसके तहत आवंटन और निरस्तीकरण की नई नियमावली तैयार की जा रही है.
यूपी में नहीं है आवंटन व निरस्तीकरण की स्पष्ट नीति
यूपी में संपत्तियों के आवंटन और निरस्तीकरण को लेकर के कोई भी स्पष्ट नीति नहीं है, सभी प्राधिकरणों के अपने अलग नियम लागू है. अलग-अलग विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद अपने हिसाब से नियम बनाकर संपत्तियों का आवंटन निरस्त करते हैं और आवंटित करते हैं. लेकिन अब शासन ने प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के लिए एक नियमावली तैयार कराई है. सचिव आवास और आवास आयुक्त अजय चौहान की अध्यक्षता में इसके लिए कमेटी बनाई गई थी. कमेटी ने प्रस्ताव तैयार कर अपनी पूरी रिपोर्ट आवास विभाग को उपलब्ध करा दी है.
योगी सरकार ने 2019 में बनाई थी कमेटी
यूपी में कमेटी 2019 में बनाई गई थी. लेकिन अब उसकी सिफारिशें शासन तक पहुंची हैं. प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने इसके लिए 22 मार्च को सभी विकास प्राधिकरण के साथ शासन के अधिकारियों की बैठक बुलाई है. इससे पहले सभी विकास प्राधिकरणों से इस नियमावली के संबंध में उनके सुझाव भी मांगे गए थे. 12 विकास प्राधिकरण ने अपने सुझाव दे दिए हैं. जिसे नियमावली में शामिल भी किया जा रहा है.
कमेटी की सिफरिश के तहत क्या होगा नियम
भुगतान की समय अवधि पूरी होने के 30 दिन के बाद आवंटी को पहली नोटिस भेजी जाएगी. 60 दिन बाद दूसरी तथा 90 दिन बाद तीसरी नोटिस भेजी जाएगी. इसके बाद ही उसका आवंटन निरस्त होगा.
कमेटी की सिफरिश के तहत आवंटी को राहत भी मिल सकती है
जिस खरीददार के मकान, प्लॉट या फ्लैट का आवंटन निरस्त हो जायेगा. वो इसकी पुर्नबहाली भी करा सकेगा. लेकिन इसके लिए उसे आवंटन निरस्त होने के एक महीने के भीतर आवेदन करना होगा. इसके साथ ही पुर्नबहाली के लिए पंजीकरण धनराशि की 20 फीसदी कीमत भी अलग से देनी होगी. डीएम सर्किल रेट या फिर बाजारु कीमत पर ही इसकी पुर्नबहाली होगी. 30 दिन से ज्यादा होने पर आवेदन का अधिकार भी खत्म हो जायेगा.
निरस्त संपत्ति को दो महीने बाद बेच सकता है प्राधिकरण
कमेटी की सिफारिश के तहत जिन संपत्तियों का निरस्तीकरण किया जायेगा. उनकों दो महीने के इंतजार के बाद बेचा जा सकता है, फिर उसके लिये प्राधिकरण चाहे नीलामी की प्रक्रिया अपनाये या फिर लॉटरी की या फिर कोई और, आवंटी उस पर कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. बशर्ते संपत्ति बेचने से पहले सक्षम स्तर पर अनुमति होनी चाहिये.