मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और परिसर को अतिक्रमण मुक्त बनाने की मांग को लेकर सीनियर डिवीजन जज कोर्ट में नई पिटीशन फाइल की गई. जिस पर मंगलवार दोपहर दो बजे बाद चार सदस्यीय अधिवक्ताओं ने मामले में बहस सुनते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है. श्रीकृष्ण भगवान के वंशज बताते हुए मनीष यादव ने 29 सौ पन्नों की याचिका कोर्ट में दायर की है. सीनियर डिवीजन कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी.
जन्मभूमि मामले में फैसला सुरक्षित
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक और परिसर को अतिक्रमण मुक्त बनाने की मांग को लेकर लखनऊ निवासी मनीष यादव ने श्री कृष्ण भगवान के वंशज बताते हुए मथुरा सीनियर डिवीजन जज कोर्ट में एडवोकेट पंकज जोशी ने पिटीशन फाइल की. मंगलवार दोपहर 2:30 पर नई पिटीशन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में 4 सदस्यीय अधिवक्ताओं ने एडीजे कोर्ट में बहस की. कोर्ट में एक घंटे बहस चलने के बाद सीनियर डिवीजन जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस पिटिशन में सुन्नी वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण सेवा ट्रस्ट को पार्टी बनाया गया है.
पिटिशन फाइलकर्ता अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और परिसर को अतिक्रमण मुक्त करने की मांग को लेकर भगवान श्रीकृष्ण के वंशज मनीष यादव की तरफ से पिटिशन फाइल की गई है. इसको लेकर कोर्ट में बहस की गई, जिसके बाद सीनियर डिवीजन जज ने फैसला सुरक्षित रखा है. उन्होंने कहा कि हमारी केवल इतनी मांग है कि परिसर में जो अतिक्रमण है, जो पूर्वजों ने गलती की है उसका संशोधन किया जाए, ताकि दोबारा से गलती न हो जो. उन्होंने कहा कि अतिक्रमण को न्यायालय के आदेश पर हटाया जाए.
अब तक 9 पिटीशन फाइल
श्री कृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर श्री कृष्ण भक्त अजय गोयल, वीरेंद्र अग्रवाल, डॉक्टर केशवाचार्य, विजेंद्र पोइया और योगेश उपाध्याय आभा ने कोर्ट में पक्षकार बनाने की मांग को लेकर प्रार्थना पत्र दिया है, जबकि श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में पहले ही चार पक्षकार अखिल भारतीय हिंदू महासभा, तीर्थ पुरोहित महासभा, चतुर्वेद परिषद और रंजना अग्निहोत्री अपना प्रार्थना पत्र दे चुके हैं. जन्मभूमि मामले में कुल 9 पक्षकार 7 जनवरी को उपस्थित रहेंगे.
क्या है मांग
12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्री कृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया था. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने कोर्ट में याचिका डाली है.