लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय में होने वाले पीएचडी प्रवेश के लिए नए ऑर्डिनेंस पर मुहर लगा दी गई है. ऑर्डिनेंस में पहली बार विश्वविद्यालय ने पार्ट टाइम पीएचडी की व्यवस्था की है. यह विकल्प सिर्फ केंद्र सरकार, राज्य सरकार, आर्म्ड फोर्सेज, पीएसयू और बीएससी व एमएससी में पंजीकृत कॉरपोरेशन के कर्मचारियों को दिया गया है. पार्ट टाइम पीएचडी में दाखिले के लिए अभ्यर्थी के पास कम से कम 5 साल का निरंतर कार्य करने का अनुभव होना अनिवार्य होगा.
इनको अन्य छात्रों की तरह प्रवेश परीक्षा नहीं देनी होगी. नए ऑर्डिनेंस के तहत इन्हें एक अलग टेस्ट देना होगा. इसमें हजार शब्द का एक राइटअप अभ्यर्थी द्वारा लिखा जाएगा. इसे चयन प्रक्रिया में 70% का वेटेज दिया गया है. इसके अलावा, अभ्यर्थी के कार्य अनुभव, एकेडमिक इंडेक्स और इंटरव्यू/ वाइवा को चयन प्रक्रिया में 30% का वेटेज दिया गया है.
नए ऑर्डिनेंस में यह बदलाव किए गए हैं
1. पीएचडी दो वर्गों में कराई जाएगी. पहली फुल टाइम और दूसरी पार्ट टाइम. पार्ट टाइम पीएचडी सुपर न्यूमैरिक होगी. अभ्यर्थी प्रोफेसर/एसोसिएट प्रोफेसर की देखरेख में शोध करेगा. एक शैक्षिक सत्र में एक फैकल्टी में सिर्फ एक पार्ट टाइम रिसर्च स्कॉलर का पंजीकरण होगा.
2. शोध के लिए निर्धारित योग्यता पूर्ण करने पर कुलपति को भी पीएचडी सुपरवाइजर बनने का विकल्प रखा गया है.
3. फुल टाइम शोधार्थी (चाहे उनका गाइड विश्वविद्यालय का शिक्षक हो या एसोसिएटेड कॉलेज का ) विश्वविद्यालय के नियमित छात्र का लाभ ले सकेंगे.
4. शोधार्थियों के शोध कार्य की समीक्षा के लिए एक रिसर्च एडवाइजरी कमेटी बनाई जाएगी. इसमें सुपरवाइजर, को सुपरवाइजर, नामित विषय विशेषज्ञ शामिल होगा.
5. वाइवा की तिथि को ही पीएचडी डिग्री अवार्ड किए जाने की तिथि माना जाएगा.
नए ऑर्डिनेंस में फैकल्टी को मिलेगा यह लाभ
1. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ओपन वाइवा कराने का विकल्प दिया गया है.
2. पंजीकृत शोधार्थी के थीसिस जमा करने की तिथि से ही सीट खाली मानी जाएगी.
3. नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर अपना प्रोबेशनरी पीरियड पूरा करने के बाद शोध कार्य करा सकेंगे.
LU से करनी है पीएचडी तो पहले देना होगा 1000 शब्द का राइटअप, पढ़ें नए ऑर्डिनेंस में क्या है - लखनऊ न्यूज
उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय ने पीएचडी के लिए नए ऑर्डिनेंस पर मुहर लगाई है. इसके अनुसार, अब दो तरह से पीएचडी की सुविधा होगी. फुल टाइम के अलावा अब पार्ट टाइम पीएचडी किया जा सकेगा.
लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय में होने वाले पीएचडी प्रवेश के लिए नए ऑर्डिनेंस पर मुहर लगा दी गई है. ऑर्डिनेंस में पहली बार विश्वविद्यालय ने पार्ट टाइम पीएचडी की व्यवस्था की है. यह विकल्प सिर्फ केंद्र सरकार, राज्य सरकार, आर्म्ड फोर्सेज, पीएसयू और बीएससी व एमएससी में पंजीकृत कॉरपोरेशन के कर्मचारियों को दिया गया है. पार्ट टाइम पीएचडी में दाखिले के लिए अभ्यर्थी के पास कम से कम 5 साल का निरंतर कार्य करने का अनुभव होना अनिवार्य होगा.
इनको अन्य छात्रों की तरह प्रवेश परीक्षा नहीं देनी होगी. नए ऑर्डिनेंस के तहत इन्हें एक अलग टेस्ट देना होगा. इसमें हजार शब्द का एक राइटअप अभ्यर्थी द्वारा लिखा जाएगा. इसे चयन प्रक्रिया में 70% का वेटेज दिया गया है. इसके अलावा, अभ्यर्थी के कार्य अनुभव, एकेडमिक इंडेक्स और इंटरव्यू/ वाइवा को चयन प्रक्रिया में 30% का वेटेज दिया गया है.
नए ऑर्डिनेंस में यह बदलाव किए गए हैं
1. पीएचडी दो वर्गों में कराई जाएगी. पहली फुल टाइम और दूसरी पार्ट टाइम. पार्ट टाइम पीएचडी सुपर न्यूमैरिक होगी. अभ्यर्थी प्रोफेसर/एसोसिएट प्रोफेसर की देखरेख में शोध करेगा. एक शैक्षिक सत्र में एक फैकल्टी में सिर्फ एक पार्ट टाइम रिसर्च स्कॉलर का पंजीकरण होगा.
2. शोध के लिए निर्धारित योग्यता पूर्ण करने पर कुलपति को भी पीएचडी सुपरवाइजर बनने का विकल्प रखा गया है.
3. फुल टाइम शोधार्थी (चाहे उनका गाइड विश्वविद्यालय का शिक्षक हो या एसोसिएटेड कॉलेज का ) विश्वविद्यालय के नियमित छात्र का लाभ ले सकेंगे.
4. शोधार्थियों के शोध कार्य की समीक्षा के लिए एक रिसर्च एडवाइजरी कमेटी बनाई जाएगी. इसमें सुपरवाइजर, को सुपरवाइजर, नामित विषय विशेषज्ञ शामिल होगा.
5. वाइवा की तिथि को ही पीएचडी डिग्री अवार्ड किए जाने की तिथि माना जाएगा.
नए ऑर्डिनेंस में फैकल्टी को मिलेगा यह लाभ
1. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ओपन वाइवा कराने का विकल्प दिया गया है.
2. पंजीकृत शोधार्थी के थीसिस जमा करने की तिथि से ही सीट खाली मानी जाएगी.
3. नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर अपना प्रोबेशनरी पीरियड पूरा करने के बाद शोध कार्य करा सकेंगे.