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Lucknow Pubg Case: आरोपी बेटे को हर सबूत मिटाने के लिए मिले थे इशारे

राजधानी लखनऊ में पबजी केस में अभी उस तीसरे शख्स का पता नहीं चल पा रहा है कि जिसके इशारे पर आरोपी ने अपनी मां की हत्या की. साथ ही सबूत भी मिटाता रहा. आपको बता दैं कि 7 जून को बेटे ने पीजीआई की यमुनापुरम कॉलोनी में बेटे ने मां की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

लखनऊ पबजी केस
लखनऊ पबजी केस
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Published : Jun 18, 2022, 6:47 AM IST

लखनऊ: राजधानी में कथित PUBG हत्याकांड के दो ऐसे किरदार जिनका शातिर दिमाग पुलिस की कार्रवाई से भी तेज चल रहा है. एक है आरोपी बेटा व दूसरा वो जिसकी शह पर ये सब हो रहा था. हत्याकांड को अपने अनुसार पुलिस के सामने प्रेजेंट करना व एक-एक सबूत को खत्म करने में बेटे ने कोई भी कसर नहीं छोड़ी, बल्कि उसने अपनी मां के मोबाइल से वो सभी फाइल डिलीट कर दी थीं, जो घटना के असल वजह को सामने ला सकती थी.

7 जून की रात पुलिस जब पीजीआई के यमुनापुरम कॉलोनी स्थित घर से साधना के शव को निकालने पहुंची तो अपने साथ उनके फोन को भी कब्जे में लिया था. पुलिस हर वो सबूत इकट्ठा कर रही थी कि जो राज खोल दे, लेकिन आरोपी बेटा पुलिस के हर कदम से आगे था. पुलिस ने जब साधना के फोन को अनलॉक किया तो वो सबकुछ गायब था जिसे पुलिस साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल कर सकती थी.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, साधना के फोन से 4 जून की सुबह से देर रात हत्या होने के समय तक का कॉल लॉग गायब था. इस दौरान के वाट्सएप चैट, वीडियो कॉल सहित सभी डेटा गायब थे. पीजीआई पुलिस के मुताबिक, साधना की कॉल डिटेल रिपोर्ट में भी 4 जून को बहुत कम नंबरों पर बातचीत हुई पाई गई. जिन नम्बरों पर बात हुई है उसमें ज्यादातर परिवारीजनों के हैं. यानी बेटे ने जिसके इशारे पर घटना को अंजाम दिया वो उसे सुबूत मिटाने का भी डायरेक्शन दे रहा था.

कयास लगाए जा रहे है कि साधना की हत्या की साजिश रचने वाला शख्स आरोपी बेटे से वाट्सएप कॉल पर बात कर रहा था. उसे पता था कि इस कॉल की डिटेल नहीं मिल सकती है. लेकिन, फोन हाथ लगने पर वाट्सएप के कॉल लॉग में पता चल सकता है. इसलिए उसके कहने पर बेटे ने उस दिन सुबह से लेकर रात तक का पूरा डेटा ही डिलीट कर दिया था.

यह भी पढ़ें: PUBG खेलने से रोका तो बेटे ने की मां की गोली मारकर हत्या, 2 दिन तक शव के साथ रहा

घटना के बाद साधना के पति नवीन सिंह ने कहा था कि वो चाहते हैं कि बेटा जिंदगी भर जेल में रहे. लेकिन, पत्नी की मौत के दस दिन बीतते ही वो बेटे को बचाने का प्रयास करने लगे. नवीन ने मोहल्ले के ही समाजसेवी को फोन कर बेटे की जल्दी जमानत करवाने के लिए कहा था. लेकिन, समाजसेवी ने मां के हत्यारे बेटे को छुड़ाने की पैरवी करने से इनकार कर दिया. इसके बाद नवीन ने कई बड़े वकीलों से संपर्क किया.

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लखनऊ: राजधानी में कथित PUBG हत्याकांड के दो ऐसे किरदार जिनका शातिर दिमाग पुलिस की कार्रवाई से भी तेज चल रहा है. एक है आरोपी बेटा व दूसरा वो जिसकी शह पर ये सब हो रहा था. हत्याकांड को अपने अनुसार पुलिस के सामने प्रेजेंट करना व एक-एक सबूत को खत्म करने में बेटे ने कोई भी कसर नहीं छोड़ी, बल्कि उसने अपनी मां के मोबाइल से वो सभी फाइल डिलीट कर दी थीं, जो घटना के असल वजह को सामने ला सकती थी.

7 जून की रात पुलिस जब पीजीआई के यमुनापुरम कॉलोनी स्थित घर से साधना के शव को निकालने पहुंची तो अपने साथ उनके फोन को भी कब्जे में लिया था. पुलिस हर वो सबूत इकट्ठा कर रही थी कि जो राज खोल दे, लेकिन आरोपी बेटा पुलिस के हर कदम से आगे था. पुलिस ने जब साधना के फोन को अनलॉक किया तो वो सबकुछ गायब था जिसे पुलिस साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल कर सकती थी.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, साधना के फोन से 4 जून की सुबह से देर रात हत्या होने के समय तक का कॉल लॉग गायब था. इस दौरान के वाट्सएप चैट, वीडियो कॉल सहित सभी डेटा गायब थे. पीजीआई पुलिस के मुताबिक, साधना की कॉल डिटेल रिपोर्ट में भी 4 जून को बहुत कम नंबरों पर बातचीत हुई पाई गई. जिन नम्बरों पर बात हुई है उसमें ज्यादातर परिवारीजनों के हैं. यानी बेटे ने जिसके इशारे पर घटना को अंजाम दिया वो उसे सुबूत मिटाने का भी डायरेक्शन दे रहा था.

कयास लगाए जा रहे है कि साधना की हत्या की साजिश रचने वाला शख्स आरोपी बेटे से वाट्सएप कॉल पर बात कर रहा था. उसे पता था कि इस कॉल की डिटेल नहीं मिल सकती है. लेकिन, फोन हाथ लगने पर वाट्सएप के कॉल लॉग में पता चल सकता है. इसलिए उसके कहने पर बेटे ने उस दिन सुबह से लेकर रात तक का पूरा डेटा ही डिलीट कर दिया था.

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घटना के बाद साधना के पति नवीन सिंह ने कहा था कि वो चाहते हैं कि बेटा जिंदगी भर जेल में रहे. लेकिन, पत्नी की मौत के दस दिन बीतते ही वो बेटे को बचाने का प्रयास करने लगे. नवीन ने मोहल्ले के ही समाजसेवी को फोन कर बेटे की जल्दी जमानत करवाने के लिए कहा था. लेकिन, समाजसेवी ने मां के हत्यारे बेटे को छुड़ाने की पैरवी करने से इनकार कर दिया. इसके बाद नवीन ने कई बड़े वकीलों से संपर्क किया.

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