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यूपी में फ्रूट आधारित वाइन उद्योग को मिलेगा बढ़ावा, ये उठाए गए कदम

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Published : Jan 12, 2021, 3:35 PM IST

उत्तर प्रदेश (यूपी) नई आबकारी नीति में पांच साल के लिए उत्पाद शुल्क में छूट दी गई है. इस कदम से स्थानीय रूप से उत्पादित फलों से बनी शराब के उत्पादन की सम्भावना को बढ़ावा दिया गया है. यह नई नीति फलों से बने कम अल्कोहल वाले पेय का मार्ग भी प्रशस्त करेगी.

यूपी में फ्रूट आधारित वाइन उद्योग को मिलेगा बढ़ावा.
यूपी में फ्रूट आधारित वाइन उद्योग को मिलेगा बढ़ावा.

लखनऊः उत्तर प्रदेश (यूपी) नई आबकारी नीति में पांच साल के लिए उत्पाद शुल्क में छूट दी गई है. इस कदम से स्थानीय रूप से उत्पादित फलों से बनी शराब के उत्पादन की सम्भावना को बढ़ावा दिया गया है. यह नई नीति फलों से बने कम अल्कोहल वाले पेय का मार्ग भी प्रशस्त करेगी. बिक्री की अनुमति साइडर (4 प्रतिशत अल्कोहाल) उत्पादन को बढ़ावा दे सकती है. अमरूद, आंवला, बेल से बना साइडर उत्कृष्ट गुणवत्ता का पाया गया है. उत्तर प्रदेश में साइडर उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में दोनों फलों का पर्याप्त उत्पादन होता है. यह जानकारी मंगलवार को केंद्रीय बागवानी संस्थान ने किसानों को दी.

अब फलों से बनेगी फ़्रूट वाइन
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने फलों से वाइन और साइडर के लिए कई प्रौद्योगिकियांं विकसित की हैं. आम, बेल, जामुन से बनी फ्रूट वाइन गुणवत्ता में उत्कृष्ट पाई गई है. अमरूद, आंवला और बेल से निर्मित साइडर उपयुक्त मिले हैं. साइडर के वैश्विक बाजार में सेब के साइडर का वर्चस्व है और इसकी जबरदस्त मांग है. अब अमरूद और आंवला साइडर भी प्रदेश में उत्पादित किए जा सकते हैं और यह नीति में संशोधन से पहले संभव नहीं था.

नई नीति से होगा आसान
कई उद्यमियों की संस्थान की साइडर और वाइन तकनीक में रुचि थी, लेकिन वे पिछली आबकारी नीति के कारण आगे नहीं बढ़ सके थे. महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के उद्यमी अपनी राज्य की नीति के कारण आम से शराब उत्पादन की तकनीक प्राप्त कर चुके हैं.

महाराष्ट्र ने अंगूर वाइन पर दी थी छूट
भारत में वाइन उत्पादन के लिए अंगूर सबसे महत्वपूर्ण फल है. महाराष्ट्र और कर्नाटक अंगूर वाइन के प्रमुख उत्पादक हैं. यूपी में अंगूर उत्पादन का क्षेत्र लगभग नगण्य है. इसलिए आम, अमरूद, जामुन, बेल, आंवला, शहतूत जैसे फलों का उपयोग करके वैकल्पिक फ्रूट वाइन उत्पादन संभव है.

फलों की उपलब्धता
उत्तर प्रदेश प्रमुख फल उत्पादक राज्यों में से एक है. उद्योग के लिए कच्चा माल राज्य में पर्याप्त है. इस उद्योग को विभिन्न फलों के लिए महत्वपूर्ण उत्पादन क्षेत्रों में विकसित किया जा सकता है. इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ने की सम्भावना है. फ्रूट वाइन को हजारों वर्षों से घरेलू स्तर पर तैयार किया जा रहा है. अच्छी मात्रा में किण्विन योग्य शर्करा युक्त फलों को उत्कृष्ट फल वाइन में बदला जा सकता है। आम, बेल, जामुन जैसे फलों में स्वाद, शर्करा और टैनिन का एक अच्छा संतुलन होता है. इसलिए ये फल वाइन के लिए उपयुक्त हैं.

ये बोले अधिकारी
केंद्रीय बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने बताया कि हृदय रोगों की रोकथाम के लिए फ्रूट वाइन का उपयोग बढ़ रहा है. साथ ही कई प्रसिद्ध बायोएक्टिव यौगिकों से समृद्ध होने के कारण फ्रूट वाइन का अपना महत्व है. फलों को विभिन्न स्वादों, सुगंधों और रंगों के कारण विभिन्न प्रकार की मदिराओं में बदला जा सकता है. भारत में फल वाइन उद्योग शैशवावस्था में है और धीरे-धीरे विकसित हो रहा है.

लखनऊः उत्तर प्रदेश (यूपी) नई आबकारी नीति में पांच साल के लिए उत्पाद शुल्क में छूट दी गई है. इस कदम से स्थानीय रूप से उत्पादित फलों से बनी शराब के उत्पादन की सम्भावना को बढ़ावा दिया गया है. यह नई नीति फलों से बने कम अल्कोहल वाले पेय का मार्ग भी प्रशस्त करेगी. बिक्री की अनुमति साइडर (4 प्रतिशत अल्कोहाल) उत्पादन को बढ़ावा दे सकती है. अमरूद, आंवला, बेल से बना साइडर उत्कृष्ट गुणवत्ता का पाया गया है. उत्तर प्रदेश में साइडर उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में दोनों फलों का पर्याप्त उत्पादन होता है. यह जानकारी मंगलवार को केंद्रीय बागवानी संस्थान ने किसानों को दी.

अब फलों से बनेगी फ़्रूट वाइन
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने फलों से वाइन और साइडर के लिए कई प्रौद्योगिकियांं विकसित की हैं. आम, बेल, जामुन से बनी फ्रूट वाइन गुणवत्ता में उत्कृष्ट पाई गई है. अमरूद, आंवला और बेल से निर्मित साइडर उपयुक्त मिले हैं. साइडर के वैश्विक बाजार में सेब के साइडर का वर्चस्व है और इसकी जबरदस्त मांग है. अब अमरूद और आंवला साइडर भी प्रदेश में उत्पादित किए जा सकते हैं और यह नीति में संशोधन से पहले संभव नहीं था.

नई नीति से होगा आसान
कई उद्यमियों की संस्थान की साइडर और वाइन तकनीक में रुचि थी, लेकिन वे पिछली आबकारी नीति के कारण आगे नहीं बढ़ सके थे. महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के उद्यमी अपनी राज्य की नीति के कारण आम से शराब उत्पादन की तकनीक प्राप्त कर चुके हैं.

महाराष्ट्र ने अंगूर वाइन पर दी थी छूट
भारत में वाइन उत्पादन के लिए अंगूर सबसे महत्वपूर्ण फल है. महाराष्ट्र और कर्नाटक अंगूर वाइन के प्रमुख उत्पादक हैं. यूपी में अंगूर उत्पादन का क्षेत्र लगभग नगण्य है. इसलिए आम, अमरूद, जामुन, बेल, आंवला, शहतूत जैसे फलों का उपयोग करके वैकल्पिक फ्रूट वाइन उत्पादन संभव है.

फलों की उपलब्धता
उत्तर प्रदेश प्रमुख फल उत्पादक राज्यों में से एक है. उद्योग के लिए कच्चा माल राज्य में पर्याप्त है. इस उद्योग को विभिन्न फलों के लिए महत्वपूर्ण उत्पादन क्षेत्रों में विकसित किया जा सकता है. इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ने की सम्भावना है. फ्रूट वाइन को हजारों वर्षों से घरेलू स्तर पर तैयार किया जा रहा है. अच्छी मात्रा में किण्विन योग्य शर्करा युक्त फलों को उत्कृष्ट फल वाइन में बदला जा सकता है। आम, बेल, जामुन जैसे फलों में स्वाद, शर्करा और टैनिन का एक अच्छा संतुलन होता है. इसलिए ये फल वाइन के लिए उपयुक्त हैं.

ये बोले अधिकारी
केंद्रीय बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने बताया कि हृदय रोगों की रोकथाम के लिए फ्रूट वाइन का उपयोग बढ़ रहा है. साथ ही कई प्रसिद्ध बायोएक्टिव यौगिकों से समृद्ध होने के कारण फ्रूट वाइन का अपना महत्व है. फलों को विभिन्न स्वादों, सुगंधों और रंगों के कारण विभिन्न प्रकार की मदिराओं में बदला जा सकता है. भारत में फल वाइन उद्योग शैशवावस्था में है और धीरे-धीरे विकसित हो रहा है.

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