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जल्द हो सकता है नई बिजली दरों का एलान, नियामक आयोग ने कर ली है तैयारी

राजधानी में विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात की.

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Published : May 18, 2023, 1:02 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं की नई बिजली दरों पर इस माह के आखिरी सप्ताह में कभी भी नियामक आयोग की तरफ से एलान हो सकता है. बिजली दरों में 18 से 23% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव बिजली कंपनियों की तरफ से नियामक आयोग को सौंपा गया है. अब बिजली दर का कितना भार उपभोक्ताओं पर डाला जाए यह तो नियामक आयोग ही तय करेगा, लेकिन देश में सबसे महंगी बिजली उत्तर प्रदेश की है और उपभोक्ताओं पर अब महंगी बिजली का भार न पड़ने पाए, इसे लेकर उपभोक्ता परिषद नियामक आयोग में अपने तर्क कर विरोध जताने को तैयार है.



उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि जब प्रदेश की बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं के निकल रहे सरप्लस 25133 करोड़ व उपभोक्ता परिषद की तरफ से दाखिल लगभग सैकड़ों आपत्तियों का जवाब सही रूप में न देकर आधारहीन तरीके से दे रही हैं तो अब पूरी तरह साबित हो गया कि बिजली कंपनियों के पास कोई भी जवाब नहीं है. उपभोक्ता परिषद आंकड़ों के आधार पर सवाल कर रहा है और बिजली कंपनियां इतिहास के रूप में जवाब दे रही हैं जो अपने-आप मे गंभीर मामला है. उच्च स्तरीय जांच का विषय है. नियामक आयोग के चेयरमैन का कहना है कि विद्युत नियामक आयोग सभी मामले की गंभीरता को देख रहा है. बिजली कंपनियां जिस प्रकार से जवाब दाखिल करती हैं वह ठीक नहीं है. आयोग अपने स्तर से आगे कार्रवाई करेगा. विद्युत अधिनियम 2003 के हिसाब से बिजली दरों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियां जहां उपभोक्ताओं के सरप्लस पर एक ही रटा रटाया जवाब दे रही हैं कि मामले पर ट्रिब्यूनल में मुकदमा किया गया है.'




सवाल फिर उठता है कि क्या किसी मामले में मुकदमा करने से कार्रवाई रुक जाती है? हड़ताल में हुए नुकसान पर जवाब दे रही है कि यह टैरिफ से संबंधित नहीं है. अब उन्हें कौन बताए कि नुकसान कौन भरेगा? पावर कारपोरेशन की तरफ से स्मार्ट मीटर पर केवल यह जवाब दिया गया कि मामला संबंधित विंग को भेजा गया है. इसी प्रकार अनेकों गंभीर विषय पर पावर कारपोरेशन ने आयोग को यह कहकर चुप्पी साध ली कि मामला संबंधित विंग को भेजा गया है. इस तरह का जवाब बिल्कुल भी सही नहीं कहा जा सकता है.

यह भी पढ़ें : करीब 70 फीसदी वाहनों में अब तक नहीं लग पाई एचएसआरपी, परिवहन आयुक्त ने जताई नाराजगी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं की नई बिजली दरों पर इस माह के आखिरी सप्ताह में कभी भी नियामक आयोग की तरफ से एलान हो सकता है. बिजली दरों में 18 से 23% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव बिजली कंपनियों की तरफ से नियामक आयोग को सौंपा गया है. अब बिजली दर का कितना भार उपभोक्ताओं पर डाला जाए यह तो नियामक आयोग ही तय करेगा, लेकिन देश में सबसे महंगी बिजली उत्तर प्रदेश की है और उपभोक्ताओं पर अब महंगी बिजली का भार न पड़ने पाए, इसे लेकर उपभोक्ता परिषद नियामक आयोग में अपने तर्क कर विरोध जताने को तैयार है.



उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि जब प्रदेश की बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं के निकल रहे सरप्लस 25133 करोड़ व उपभोक्ता परिषद की तरफ से दाखिल लगभग सैकड़ों आपत्तियों का जवाब सही रूप में न देकर आधारहीन तरीके से दे रही हैं तो अब पूरी तरह साबित हो गया कि बिजली कंपनियों के पास कोई भी जवाब नहीं है. उपभोक्ता परिषद आंकड़ों के आधार पर सवाल कर रहा है और बिजली कंपनियां इतिहास के रूप में जवाब दे रही हैं जो अपने-आप मे गंभीर मामला है. उच्च स्तरीय जांच का विषय है. नियामक आयोग के चेयरमैन का कहना है कि विद्युत नियामक आयोग सभी मामले की गंभीरता को देख रहा है. बिजली कंपनियां जिस प्रकार से जवाब दाखिल करती हैं वह ठीक नहीं है. आयोग अपने स्तर से आगे कार्रवाई करेगा. विद्युत अधिनियम 2003 के हिसाब से बिजली दरों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियां जहां उपभोक्ताओं के सरप्लस पर एक ही रटा रटाया जवाब दे रही हैं कि मामले पर ट्रिब्यूनल में मुकदमा किया गया है.'




सवाल फिर उठता है कि क्या किसी मामले में मुकदमा करने से कार्रवाई रुक जाती है? हड़ताल में हुए नुकसान पर जवाब दे रही है कि यह टैरिफ से संबंधित नहीं है. अब उन्हें कौन बताए कि नुकसान कौन भरेगा? पावर कारपोरेशन की तरफ से स्मार्ट मीटर पर केवल यह जवाब दिया गया कि मामला संबंधित विंग को भेजा गया है. इसी प्रकार अनेकों गंभीर विषय पर पावर कारपोरेशन ने आयोग को यह कहकर चुप्पी साध ली कि मामला संबंधित विंग को भेजा गया है. इस तरह का जवाब बिल्कुल भी सही नहीं कहा जा सकता है.

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