लखनऊ : भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में अब शास्त्रीय संगीत नृत्य, गायन व संगीत के विभिन्न विषयों के साथ ही भारतीय धर्मों व संस्कृति पर आधारित विषयों की भी पढ़ाई शुरू होगी. विश्वविद्यालय प्रशासन पुराने विषयों के साथ ही नए को पढ़ाने की तैयारी शुरू कर रहा है. भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय बनने के बाद से ही विश्वविद्यालय में नए कोर्सों के शुरू करने की जरूरत को देखते हुए ऐसे विषयों का चुनाव किया गया है जो भारतीय संस्कृति से जुड़े हों. अभी तक विद्यार्थी भातखंडे में गायन, वादन, नृत्य की पढ़ाई करते थे, लेकिन विश्वविद्यालय बनने के बाद अब यहां 'हिन्दू माइथोलॉजी' पर विद्यार्थी डिग्री ले सकेंगे. इसके साथ ही जैन और बुद्धिज्म से जुड़े भी डिग्री कोर्स शुरू होंगे. ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार ने साल 2022 में भातखंडे संगीत सम विश्वविद्यालय का दर्जा देते हुए इसे भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में तब्दील कर दिया था.
भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय को जब आधिकारिक रूप से विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया तो यहां पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानक के अनुरूप पढ़ाई शुरू कराने की तैयारी करने को कहा गया था. प्रदेश सरकार ने नवंबर 2022 में पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा देने के बाद खैरागढ़ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मांडवी सिंह को यहां का पहला कुलपति नियुक्त किया. उन्होंने करीब दो महीने की देरी से विश्वविद्यालय का कार्यभार ग्रहण किया था. कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय के गठन को लेकर सभी प्रक्रियाओं को पूरा करना शुरू कर दिया. इसी कड़ी में विश्वविद्यालय में नए कोर्स शुरू करने के लिए भी पूरा खाका तैयार किया गया है.
सत्र 2023-24 से शुरू होंगे नए कोर्स : विश्वविद्यालय के कुलसचिव तुहिन द्विवेदी ने बताया कि 'अभी तक भातखंडे में सिर्फ गायन, वादन और नृत्य के पाठ्यक्रम ही संचालित हो रहे हैं, लेकिन विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद नए कोर्स शुरू किए जा रहे हैं. डिग्री और रिसर्च कोर्स शुरू करने की प्राथमिकता है. इसके लिए काफी तैयारी के बाद हिन्दू माइथोलॉजी, जैनिज्म और बुद्धिज्म में डिग्री पाठ्यक्रम सत्र 2023-24 से शुरू किए जाएंगे. इन कोर्स की मंजूरी शिक्षा परिषद से मिल गई है. हिन्दू माइथोलॉजी, जैनिज्म और बुद्धिज्म में डिग्री के अलावा ड्रामा का डिग्री कोर्स भी शुरू होगा. साथ ही फाइन आर्ट की तीनों विधाओं में छात्र-छात्राएं डिग्री कोर्स को पूरा कर सकेंगे.' कुलसचिव ने बताया कि 'विश्वविद्यालय में हिन्दू माइथोलॉजी पर डिग्री और शोध कार्य अयोध्या शोध संस्थान के सहयोग से कोर्स संचालित करेगा.' कुलसचिव ने बताया कि 'हिन्दू माइथोलॉजी में डिग्री के अलावा छात्र-छात्राएं रामायण, वेद के साथ ही अन्य बिन्दुओं पर रिसर्च भी पूरी कर सकेंगे.' इसके अलावा बौद्धिज्म में बौद्ध दर्शन में डिग्री मिलेगी. हिन्दू माइथोलॉजी की तरह छात्र जैनिज्म और बुद्धिज्म की डिग्री के बाद शोध भी पूरा कर सकेंगे.' कुलसचिव तुहिन द्विवेदी ने बताया कि 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू कर दिया गया है. आगामी सत्र से शुरू होने वाले नए कोर्स में भी एनईपी के तहत ही डिग्री दी जाएगी.'
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