लखनऊ: प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने का मकसद लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना था. जिला अस्पतालों में खोले गए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के एक साल बाद भी पूरी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही है.
इस औषधि केन्द्र का निर्माण इसलिए किया गया कि लोगों को कम से कम दर पर और समय रहते सभी दवाइयां उपलब्ध हो सके. औषधि केंद्रों के हालात बद से बदतर हो गए हैं और लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
औषधि केन्द्रों की लापरवाही
- जिला अस्पताल में औषधि केन्द्र खोले जाने के बावजूद भी लोगों को दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं.
- औषधि केंद्रों पर न तो जरूरी दवाइयां मिल पा रही हैं और न ही समय से खुलते हैं.
- केंद्रों पर मिलने वाली दवाइयों की लिस्ट में आधे से ज्यादा दवाइयां जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध नहीं होती.
- मरीजों को बाहर निजी मेडिकल स्टोरों से दवाइयां महंगी दरों पर खरीदनी पड़ती है.
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- जन औषधि केंद्रों पर जब लोग दवाइयों के लिए जाते हैं तो औषधि केंद्र आधे से ज्यादा समय बंद मिलते हैं.
- वर्तमान में लगभग 600 प्रकार की दवाइयां जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है.
- सर्जरी के लगभग 300 से अधिक प्रोडक्ट और 50% से कम दवाइयां मुहैया कराए गए.