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लखनऊ: जन-जन तक नहीं पहुंच रही जन औषधि योजना

राजधानी लखनऊ में स्थित जिला अस्पतालों की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिला अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खुलने के बाद भी मरीजों को दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं और लोग दवाइयां बाहर के मेडिकल स्टोर से लेने को मजबूर हो रहे हैं.

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दवाईयां न मिलने से मरीज हुए परेशान
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Published : Nov 28, 2019, 12:37 PM IST

लखनऊ: प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने का मकसद लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना था. जिला अस्पतालों में खोले गए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के एक साल बाद भी पूरी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही है.

इस औषधि केन्द्र का निर्माण इसलिए किया गया कि लोगों को कम से कम दर पर और समय रहते सभी दवाइयां उपलब्ध हो सके. औषधि केंद्रों के हालात बद से बदतर हो गए हैं और लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

दवाईयां न मिलने से मरीज हुए परेशान.

औषधि केन्द्रों की लापरवाही

  • जिला अस्पताल में औषधि केन्द्र खोले जाने के बावजूद भी लोगों को दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं.
  • औषधि केंद्रों पर न तो जरूरी दवाइयां मिल पा रही हैं और न ही समय से खुलते हैं.
  • केंद्रों पर मिलने वाली दवाइयों की लिस्ट में आधे से ज्यादा दवाइयां जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध नहीं होती.
  • मरीजों को बाहर निजी मेडिकल स्टोरों से दवाइयां महंगी दरों पर खरीदनी पड़ती है.

इसे भी पढ़ें:- सोनभद्र: जिला अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सीएमएस को सौंपा ज्ञापन

  • जन औषधि केंद्रों पर जब लोग दवाइयों के लिए जाते हैं तो औषधि केंद्र आधे से ज्यादा समय बंद मिलते हैं.
  • वर्तमान में लगभग 600 प्रकार की दवाइयां जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है.
  • सर्जरी के लगभग 300 से अधिक प्रोडक्ट और 50% से कम दवाइयां मुहैया कराए गए.

लखनऊ: प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने का मकसद लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना था. जिला अस्पतालों में खोले गए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के एक साल बाद भी पूरी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही है.

इस औषधि केन्द्र का निर्माण इसलिए किया गया कि लोगों को कम से कम दर पर और समय रहते सभी दवाइयां उपलब्ध हो सके. औषधि केंद्रों के हालात बद से बदतर हो गए हैं और लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

दवाईयां न मिलने से मरीज हुए परेशान.

औषधि केन्द्रों की लापरवाही

  • जिला अस्पताल में औषधि केन्द्र खोले जाने के बावजूद भी लोगों को दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं.
  • औषधि केंद्रों पर न तो जरूरी दवाइयां मिल पा रही हैं और न ही समय से खुलते हैं.
  • केंद्रों पर मिलने वाली दवाइयों की लिस्ट में आधे से ज्यादा दवाइयां जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध नहीं होती.
  • मरीजों को बाहर निजी मेडिकल स्टोरों से दवाइयां महंगी दरों पर खरीदनी पड़ती है.

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  • जन औषधि केंद्रों पर जब लोग दवाइयों के लिए जाते हैं तो औषधि केंद्र आधे से ज्यादा समय बंद मिलते हैं.
  • वर्तमान में लगभग 600 प्रकार की दवाइयां जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है.
  • सर्जरी के लगभग 300 से अधिक प्रोडक्ट और 50% से कम दवाइयां मुहैया कराए गए.
Intro:जन औषधि योजना केंद्र खोलने का मकसद हो तो लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का था। जिससे कि लोगों को कम दर पर और समय रहते सभी दवाइयां लोगों को मिल सके।लेकिन राजधानी लखनऊ के औषधि केंद्रों के हालात बद से बदतर है। इसकी वजह से लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।




Body:दरअसल राजधानी के जिला अस्पतालों में खोले गए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में 1 साल बाद भी पूरी दवाएं नहीं उपलब्ध हो पा रही है। उसका खामियाजा निर्धन मरीजों को आर्थिक नुकसान उठाकर बाहर से महंगी दवाएं खरीदकर भुगतना पड़ रहा है इतना ही नहीं। उन्हें दवाओं के लिए भटकना भी पड़ रहा है। इन परिवार के लोगों को सस्ती दरों पर दवा उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने का निर्णय लिया था।इसका उद्देश्य था कि गरीब लोगों को सस्ती दर पर दवाइयां लोगों को मिल पाए।जिससे कि स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर किया जा सके। इसी को लेकर राजधानी लखनऊ के प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों के हालात बद से बदतर है।इन औषधि केंद्रों पर ना तो जरूरी दवाइयां मिल पा रही है और ना ही अपने समय पर खुले रहते हैं। दोनों सभी केंद्रों पर मिलने वाली दवाइयों की लिस्ट में आधे से ज्यादा दवाइयां जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध नहीं होती। जिसकी वजह से मरीजों को बाहर निजी मेडिकल स्टोरों से यह दवाइयां महंगी दरों पर खरीदनी पड़ती है। तो वहीं जन औषधि केंद्रों पर जब लोग दवाइयों के लिए जाते हैं तो औषधि केंद्र आधे से ज्यादा समय बंद मिलते हैं। जिसकी वजह से भी लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।वर्तमान में लगभग 600 प्रकार की दवाइयां जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई। इसके साथ ही सर्जरी के लगभग 300 से अधिक प्रोडक्ट मुहैया कराए गए। इसमें भी 50% से कम दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। सुविधा की शुरुआत जिला अस्पतालों से हुई जहां पर एक साल पहले लगभग 28 सितंबर को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोला गया। लेकिन यह औषधि केंद्र अपने मकसद से पूरी तरह भटक चुके हैं।जिला अस्पताल स्थित औषधि केंद्र में खोलें अब तक पूरी दवाइयां नहीं मिल पा रही।केंद्र पर सर्जरी का कोई सामान नहीं है।औषधि केंद्र पर 80% सर्जिकल प्रोडक्ट्स नहीं साथ ही जन औषधि केंद्रों को 24 घंटे चलने का आदेश भी योजना की शुरुआत में ही कहा गया था।लेकिन यह औषधि केंद्र 24 घंटे तो दूर 12 घंटे भी पूरी तरीके से नहीं चल पा रहे। इसकी वजह से कई बार गंभीर मरीजों को बिना दवाइयों के ही जन औषधि केंद्र से वापस लौटना पड़ता है।मौजूदा समय में यह केंद्र सुबह 8:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक ही खोल रहे हैं।जिससे आने वाले मरीजों को जन औषधि केंद्र का लाभ नहीं मिल पा रहा।

बाइट- मरीज
बाइट- मरीज
बाइट-डॉ नरेंद्र अग्रवाल, सीएमओ, लखनऊ




Conclusion:एन्ड
शुभम पाण्डेय
7054605976
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