ETV Bharat / state

विदेश में मेडिकल की पढ़ाई की सोच रहे हैं तो इन बातों का रखना होगा ध्यान, जानिए खास बातें - विदेश के मेडिकल काॅलेज में एडमिशन

नीट-2023 की कॉउंसिलिंग जुलाई से शुरू होनी है. इसके पहले कुछ छात्र विदेश में पढ़ाई का मन बना चुके हैं. विदेश जाने से पहले कई चीजों की तैयारी के साथ कई अहम बातें पढ़ाई से संबंधित जाननी जरूरी होती हैं. ऐसे में विशेषज्ञ की सलाह लेनी आवश्यक है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jun 16, 2023, 10:22 PM IST

जानकारी देते नीट के विशेषज्ञ शाहनवाज खान .

लखनऊ : मेडिकल की पढ़ाई का सपना देख रहे छात्रों के लिए एक बेहतर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में देश से हर साल नेशनल एजीबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) की परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थियों के लिए देश के बाहर कॉलेज का चुनाव करना एक बहुत बड़ी चुनौती बन सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि जो अभ्यर्थी विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने की सोच रहे हैं. उन्हें वहां प्रवेश लेने से पहले इस बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा कर लेनी चाहिए. इसके बाद ही आगे का निर्णय लें. अपने देश में नीट परीक्षा में हर साल लाखों अभ्यर्थी बैठते हैं. जिसमें से जिन छात्रों की अच्छी रैंक नहीं आई होती है. ऐसे में वह विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने की सोचते हैं. विदेश जाने से पहले अभ्यर्थियों को विशेषज्ञों से इस बारे में एक बार सलाह मशविरा जरूर करना चाहिए.

नीट में शामिल छात्रों की संख्या.
नीट में शामिल छात्रों की संख्या.


तीन-चार चीजों का रखना होगा ध्यान


नीट के विशेषज्ञ शाहनवाज खान का कहना है कि मौजूदा समय में हर कोई अच्छी और बेहतर शिक्षा प्राप्त करना चाहता है. विशेष तौर पर ऐसे परिवार के बच्चे जिनके अभिभावक पढ़ाई का खर्च वहन कर सकते हैं. वह अपने बच्चों को विदेश भेजने को ज्यादा तवज्जो देते हैं. विदेश में पढ़ाई करने के साथ ही वहां की कुछ अलग ही चुनौतियां होती हैं. जिन पर आमतौर पर अभिभावक ध्यान नहीं देता है. इसके अलावा हमारे देश में बहुत सारे मेडिकल के अभ्यर्थी नीट परीक्षा क्वालीफाई करने के बाद भी यहां के कॉलेजों में प्रवेश नहीं ले पाते हैं, क्योंकि प्राइवेट कॉलेजों की फीस बहुत अधिक होती है. जिन्हें मध्यम वर्गीय परिवार वहन नहीं कर सकता है. ऐसे में कई बार मेडिकल की पढ़ाई के चक्कर में छात्र विदेश चले जाते हैं, क्योंकि वहां पर फीस कम होती है, लेकिन ऐसे देशों से एमबीबीएस करना कई बार जोखिम भरा होता है. विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने से पहले छात्रों को प्रमुख रूप से तीन से चार चीजों का ध्यान रखना आज के समय में बहुत जरूरी है. नहीं तो उन्हें आगे चलकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

एससीआई की गाइडलाइन.
एससीआई की गाइडलाइन.



राजनीति संबंध अच्छे हों ऐसे देशों को दें तवज्जो

शाहनवाज खान ने बताया कि बीते साल कोविड-19 व यूक्रेन युद्ध के बाद कई-कई देशों से हमारे बच्चों को पढ़ाई बीच में छोर कर वापस आना पड़ा था. क्योंकि वहां पर स्थितियां काफी विकट हो गई थीं. ऐसे में जो बच्चे इस साल बाहर जाने की सोच रहे हैं. उन्हें सबसे पहले उन देशों की तरफ फोकस करना चाहिए. जिनके राजनयिक संबंध हमारे देश से अच्छे हों. दूसरी चीज यह है कि उन देशों की तरफ बिल्कुल न जाए जो अशांत हो या कहे जिन पर कभी भी युद्ध के खतरे की संभावना हो उन देशों से पढ़ाई करना बहुत गलत निर्णय हो सकता है. ऐसे में किसी भी देश का चुनाव करने से पहले उसका हमारे देश के साथ राजनयिक संबंध कैसे हैं इसे जरूर देख लें. इसके अलावा विदेश में विशेष तौर पर मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए उन देशों का चुनाव करें जहां पर हमारी जैसी बीमारियों आम लोगों में होती हो और उनका इलाज वहां किया जाता हो. कई बार देखने में आया है कि यूरोपियन कंट्रीज के लोगों की लाइफ स्टाइल व वहां के मेडिकल सिस्टम अलग है. जबकि एशियन लोगों की लाइफ स्टाइल और यहां होने वाली बीमारियां और सिस्टम अलग है. ऐसे में छात्रों को कई बार देश में आकर प्रैक्टिस करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

विदेश में मेडिकल की पढ़ाई की सोच रहे हैं तो इन बातों का रखना होगा ध्यान.
विदेश में मेडिकल की पढ़ाई की सोच रहे हैं तो इन बातों का रखना होगा ध्यान.



एमसीआई के मानकों को अच्छे से देखें


विदेश में पढ़ाई करने के साथ ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) द्वारा कृषि विश्वविद्यालय को मान्यता नहीं दिया, लेकिन अभ्यर्थियों के लिए गाइडलाइन जरूर होती है. जिसमें विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट को मान्यता देने के लिए जानकारी दी गई होती है. विदेश में एमबीबीएस करने वाले अभ्यर्थियों को इन गाइडलाइन का पालन करना होता है. तभी वह अपने देश में वापस आकर मेडिकल की प्रैक्टिस कर सकते हैं. एमसीआई की ओर से गाइडलाइन में चार चीजें दी गई हैं, जिसे हर अभ्यर्थियों को पालन करना होता है. इन चार नियमों का पालन करने के बाद ही वह "नेक्स्ट" के लिए एलिजिबल होते हैं. इस एग्जाम को क्लियर करने के बाद ही उन्हें भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने की इजाजत मिलती है.

यह भी पढ़ें : छह साल 36 दिन बाद 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा पृथ्वी का तापमान, दुनिया में होगी उथल-पुथल, जानिए कारण

जानकारी देते नीट के विशेषज्ञ शाहनवाज खान .

लखनऊ : मेडिकल की पढ़ाई का सपना देख रहे छात्रों के लिए एक बेहतर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में देश से हर साल नेशनल एजीबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) की परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थियों के लिए देश के बाहर कॉलेज का चुनाव करना एक बहुत बड़ी चुनौती बन सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि जो अभ्यर्थी विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने की सोच रहे हैं. उन्हें वहां प्रवेश लेने से पहले इस बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा कर लेनी चाहिए. इसके बाद ही आगे का निर्णय लें. अपने देश में नीट परीक्षा में हर साल लाखों अभ्यर्थी बैठते हैं. जिसमें से जिन छात्रों की अच्छी रैंक नहीं आई होती है. ऐसे में वह विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने की सोचते हैं. विदेश जाने से पहले अभ्यर्थियों को विशेषज्ञों से इस बारे में एक बार सलाह मशविरा जरूर करना चाहिए.

नीट में शामिल छात्रों की संख्या.
नीट में शामिल छात्रों की संख्या.


तीन-चार चीजों का रखना होगा ध्यान


नीट के विशेषज्ञ शाहनवाज खान का कहना है कि मौजूदा समय में हर कोई अच्छी और बेहतर शिक्षा प्राप्त करना चाहता है. विशेष तौर पर ऐसे परिवार के बच्चे जिनके अभिभावक पढ़ाई का खर्च वहन कर सकते हैं. वह अपने बच्चों को विदेश भेजने को ज्यादा तवज्जो देते हैं. विदेश में पढ़ाई करने के साथ ही वहां की कुछ अलग ही चुनौतियां होती हैं. जिन पर आमतौर पर अभिभावक ध्यान नहीं देता है. इसके अलावा हमारे देश में बहुत सारे मेडिकल के अभ्यर्थी नीट परीक्षा क्वालीफाई करने के बाद भी यहां के कॉलेजों में प्रवेश नहीं ले पाते हैं, क्योंकि प्राइवेट कॉलेजों की फीस बहुत अधिक होती है. जिन्हें मध्यम वर्गीय परिवार वहन नहीं कर सकता है. ऐसे में कई बार मेडिकल की पढ़ाई के चक्कर में छात्र विदेश चले जाते हैं, क्योंकि वहां पर फीस कम होती है, लेकिन ऐसे देशों से एमबीबीएस करना कई बार जोखिम भरा होता है. विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने से पहले छात्रों को प्रमुख रूप से तीन से चार चीजों का ध्यान रखना आज के समय में बहुत जरूरी है. नहीं तो उन्हें आगे चलकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

एससीआई की गाइडलाइन.
एससीआई की गाइडलाइन.



राजनीति संबंध अच्छे हों ऐसे देशों को दें तवज्जो

शाहनवाज खान ने बताया कि बीते साल कोविड-19 व यूक्रेन युद्ध के बाद कई-कई देशों से हमारे बच्चों को पढ़ाई बीच में छोर कर वापस आना पड़ा था. क्योंकि वहां पर स्थितियां काफी विकट हो गई थीं. ऐसे में जो बच्चे इस साल बाहर जाने की सोच रहे हैं. उन्हें सबसे पहले उन देशों की तरफ फोकस करना चाहिए. जिनके राजनयिक संबंध हमारे देश से अच्छे हों. दूसरी चीज यह है कि उन देशों की तरफ बिल्कुल न जाए जो अशांत हो या कहे जिन पर कभी भी युद्ध के खतरे की संभावना हो उन देशों से पढ़ाई करना बहुत गलत निर्णय हो सकता है. ऐसे में किसी भी देश का चुनाव करने से पहले उसका हमारे देश के साथ राजनयिक संबंध कैसे हैं इसे जरूर देख लें. इसके अलावा विदेश में विशेष तौर पर मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए उन देशों का चुनाव करें जहां पर हमारी जैसी बीमारियों आम लोगों में होती हो और उनका इलाज वहां किया जाता हो. कई बार देखने में आया है कि यूरोपियन कंट्रीज के लोगों की लाइफ स्टाइल व वहां के मेडिकल सिस्टम अलग है. जबकि एशियन लोगों की लाइफ स्टाइल और यहां होने वाली बीमारियां और सिस्टम अलग है. ऐसे में छात्रों को कई बार देश में आकर प्रैक्टिस करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

विदेश में मेडिकल की पढ़ाई की सोच रहे हैं तो इन बातों का रखना होगा ध्यान.
विदेश में मेडिकल की पढ़ाई की सोच रहे हैं तो इन बातों का रखना होगा ध्यान.



एमसीआई के मानकों को अच्छे से देखें


विदेश में पढ़ाई करने के साथ ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) द्वारा कृषि विश्वविद्यालय को मान्यता नहीं दिया, लेकिन अभ्यर्थियों के लिए गाइडलाइन जरूर होती है. जिसमें विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट को मान्यता देने के लिए जानकारी दी गई होती है. विदेश में एमबीबीएस करने वाले अभ्यर्थियों को इन गाइडलाइन का पालन करना होता है. तभी वह अपने देश में वापस आकर मेडिकल की प्रैक्टिस कर सकते हैं. एमसीआई की ओर से गाइडलाइन में चार चीजें दी गई हैं, जिसे हर अभ्यर्थियों को पालन करना होता है. इन चार नियमों का पालन करने के बाद ही वह "नेक्स्ट" के लिए एलिजिबल होते हैं. इस एग्जाम को क्लियर करने के बाद ही उन्हें भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने की इजाजत मिलती है.

यह भी पढ़ें : छह साल 36 दिन बाद 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा पृथ्वी का तापमान, दुनिया में होगी उथल-पुथल, जानिए कारण

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.