लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बच्चों की सुरक्षा से संबंधित कई योजनाएं चल रही हैं. बावजूद इसके बच्चों के साथ यौन शोषण जैसे अपराधों की घटनाएं बढ़ रही हैं. एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में बच्चों के साथ यौन शोषण के 8,151 मामले दर्ज किए गए थे, जो अन्य राज्यों की अपेक्षा सबसे अधिक हैं. चिंताजनक बात यह भी है कि इसमें लड़कियों के अलावा लड़के भी हैं. इतना ही नहीं वर्ष 2022 में बच्चों के साथ हुए अपराधों में भी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर कार्य करने वाली सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं चिंतित हैं.
यूपी में बढ़े हैं यौन शोषण के केस
एनसीआरबी के वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार, देश में बच्चों के साथ यौन शोषण के 63,414 मामले दर्ज हुए थे. इसमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में 8,151 मामले सामने आए थे, वहीं 2021 में ये संख्या 7,119 थी. दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र जहां 7,572 व तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश में 5,996 मामले दर्ज हुए थे.
वर्ष 2022 में 968 बच्चों के साथ हुआ था दुष्कर्म
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बच्चों के साथ होने वाली दुष्कर्म की घटनाओं में यूपी का पहला स्थान है. वर्ष 2022 में देश में 968 बच्चों के साथ दुष्कर्म हुआ था, इसमें 459 बच्चे यूपी के रहे हैं, जबकि यही संख्या वर्ष 2021 में 256 थी. दूसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश है जहां 213 बच्चों के साथ दुष्कर्म की घटना अंजाम दी गई थी. इसके अलावा यूपी में 37 बच्चियों की दुष्कर्म के बाद हत्या भी कर दी गई थी.
लड़कों के साथ भी हो रहीं है घटनाएं
उत्तर प्रदेश में सरकार व बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए कार्य कर रहे संगठनों के लिए चिंताजनक बात यह भी है कि राज्य में छोटे लड़कों के साथ भी दुष्कर्म की घटनाएं घटित हो रही हैं. एनसीआरबी के मुताबिक, देश में 407 लड़कों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं घटी हैं जो दर्ज की गई थीं. इसमें सबसे अधिक कर्नाटक में 115 और दूसरे स्थान में उत्तर प्रदेश जहां 104 मामले दर्ज हुए थे, वहीं तीसरे स्थान में हरियाणा में 68 मामले दर्ज किए गए थे. यूपी में सबसे अधिक नाबालिग बच्चों के साथ अप्राकृतिक यौनाचार के 77 मामले दर्ज हुए हैं.
चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामलों में आई कमी
यूपी में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर सरकार की सख्त नीतियों का असर अब दिखाई देने लगा है. बीते दो वर्षों से चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले बढ़ने के बाद 2022 में इसमें कमी देखने को मिली है, हालांकि देश में ये मामले बढ़े हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 में देश भर में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के 516 मामले दर्ज किए गए थे, इसमें उत्तर प्रदेश में 30 केस सामने आए थे, वहीं साल 2020 में ये 12 थे, जबकि वर्ष 2022 में देश भर में 682 मामले चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े दर्ज हुए, उसमें यूपी में सिर्फ 2 ही मामले सामने आए थे, जबकि बिहार में 201 और राजस्थान में 170 मामले दर्ज हुए थे.
यौन शोषण करने में रिश्तेदार सबसे आगे
बच्चों के साथ यौन शोषण की घटनाओं में अधिकतर उनके परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, पड़ोसी और जान-पहचान के लोग ही शामिल रहते हैं. एनसीआरबी के मुताबिक, यूपी में लगभग 94.4 फीसदी मामलों में बच्चे अपनों के ही द्वारा शोषित किए गए. बच्चों के साथ हुए यौन शौषण के जारी आंकड़े कहते हैं कि, वर्ष 2022 में 94.4% दुष्कर्म के मामलों में अपनों पर आरोप लगे हैं. आंकड़ों के मुताबिक, बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वालों में 249 परिवार के सदस्य थे, 1858 पड़ोसी, 1147 ऑनलाइन दोस्त व 3254 जान-पहचान के लोग थे. इसमें महज 194 लोग ही ऐसे थे जिन्हें पीड़ित नहीं जानता था.
आरोपियों को सजा दिलाने में भी यूपी अव्वल
हालांकि यूपी में योगी सरकार ने अभियोजन विभाग को मजबूत किया है, ताकि न्यायालयों में अभियोजन पक्ष मजबूत पैरवी कर आरोपियों को सजा दिला सके. एनसीआरबी के मुताबिक, 2021 के बचे हुए व 2022 में दर्ज हुए कुल 21042 मामलों में पुलिस 13,047 केस में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, जबकि 4221 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई है. पुलिस ने बच्चों के साथ अपराध करने वाले 20,449 आरोपियों को गिरफ्तार कर 4244 लोगों को सजा दिलवाई है.
क्या कहता है आयोग और पुलिस विभाग?
उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डा. सुचिता चतुर्वेदी कहती हैं कि, 'पॉस्को एक्ट के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि नाबालिग बच्चियों के अपनी सहमति से लड़कों के साथ जाने और फिर पुलिस द्वारा उनकी बरामदगी किए जाने पर पीड़ित पक्ष की ओर से दर्ज गुमशुदगी एफआईआर को पॉक्सो एक्ट के तहत कनवर्ट कर दिया जाता है और फिर वो आंकड़ों में परिवर्तित होता है, हालांकि ऐसा नहीं है अधिकांश मामले ऐसे ही होते हैं. बहुत से मामलों में बच्चियों के साथ यौन शोषण होता है जो चिंताजनक है.'
स्पेशल डीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार कहते हैं कि 'उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा के लिए महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन का गठन किया गया है. महिलाओं व बच्चों को सुरक्षा के लिए कई कदम भी उठाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं आरोपियों की गिरफ्तारी कर उनका कोर्ट में जल्द से जल्द ट्रायल शुरू करवाकर सजा भी दिलवाई जा रही है.'