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NBRI Lucknow : एक सप्ताह एक प्रयोगशाला के माध्यम से वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक - पुष्प कृषि एवं बागवानी पर परिचर्चा

सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान की ओर से 14 से 19 अगस्त तक ‘एक सप्ताह, एक प्रयोगशाला’ कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. इसके तहत देश के वैज्ञानिकों की उपलब्धियां आम जनता तक पहुंचाने का काम किया जाएगा.

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Published : Aug 16, 2023, 2:15 PM IST

वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक. देखें खबर

लखनऊ : सामान्य तौर पर वैज्ञानिक अपनी-अपनी प्रयोगशालाओं में शोध एवं अनुसंधान गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं. जिससे उनका आम जनमानस से सीधा संवाद कम ही स्थापित हो पाता है. इसीलिए देश के वैज्ञानिक उपलब्धियां आम जनता तक पहुंचाने के लिए ऐसे कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान उन गिनी-चुनी वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में से एक है जो सीधे तौर पर जनता से जुडी हुई है. यह बातें सोमवार को सीएसआईआर दिल्ली की महानिदेशका डॉ. एन कलाईसेल्वी ने कहीं.

वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.
वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.



सीएसआईआर, नई दिल्ली की महानिदेशिका डॉ. एन कलाईसेल्वी ने कहा कि सीएसआईआर के नाम एवं चिन्ह की पहचान आम जनता में बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज हम सभी को प्रकृति से सीखने एवं उसे समझने कि आवश्यकता है ताकि हमें चीजों को समझने में आसानी हो सके. इस मौके पर उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा कपास की महत्ता को उजागर करने के लिए किए गए कार्यों को भी याद किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सीएसआईआर, नई दिल्ली के संयुक सचिव महेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि संस्थान लखनऊ की जनता से नियमित रूप से जुड़ा हुआ है, जनता की अपेक्षाओं को समझते हुए उनके हित में कार्य करते हुए उन तक नियमित रूप से लाभ पहुंचाते रहें.


वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.
वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.

डॉ. एन कलाईसेल्वी ने संस्थान द्वारा विकसित निम्नलिखित विभिन्न अनुसंधान एवं विकास उपलब्धियों को भी जारी किया

  • कमल की एक नवीन किस्म ‘एनबीआरआर नमो 108’ को जारी किया गया जो 108 पंखुड़ियों से युक्त एक अनोखी किस्म है. ‘कमल पुष्प’ एवं ‘108 की संख्या’ के धार्मिक महत्त्व को देखते हुए ये संयोजन इस किस्म को एक महत्वपूर्ण पहचान प्रदान करता है. यह किस्म मार्च से दिसंबर के मध्य पुष्पित होती है एवं काफी मात्रा में पोषक तत्वों से परिपूर्ण है. यह पहली ऐसी किस्म है जिसके जीनोम को पूरा सीक्वेंस करके बनाया गया है.
  • एलो वेरा की एक नवीन किस्म ‘एनबीआरआई-निहार’ को भी जारी किया गया जिसको प्रतिरूप चयन के द्वारा विकसित किया गया है. इस किस्म से ढाई गुना ज्यादा एलो वेरा जेल प्राप्त किया जा सकता हैं. यह किस्म एलो वेरा पौधों में होने वाले रोगों से सबसे कम प्रभावित हैं.
  • सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान द्वारा चलाये जा रहे लोटस कार्यक्रम की उपलब्धियों के तौर पर कमल के पौधे से प्राप्त रेशों से बनाए गए कपडे एवं कमल की सुगंध युक्त इत्र ‘फ्रोटस’ को जारी किया गया.
  • हर्बल उत्पादों की भी एक श्रृंखला जारी कि गयी जिसमें हर्बल ‘कोल्ड ड्रॉप्स’ एवं ‘एंटी डैंड्रफ शैम्पू’ शामिल हैं जिनको निर्माण एवं विपणन के लिए विभिन्न उद्योगों को प्रदान किया जा गया है. इसके अलावा भारतीय फार्माकोपिया मानकों के आधार पर विकसित, 500 से ज्यादा प्राकृतिक औषधियों की जानकारी प्रदान करने वाले एक ‘प्राकृतिक औषधि डेटाबेस’ को भी जारी किया गया.
  • इस अवसर पर विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से निर्मित हर्बल रंगों की तकनीक का प्रदर्शन भी किया गया. पुष्प प्रेमियों में गुलाब के प्रति आकर्षण को देखते हुए गुलाब पर विस्तृत जानकारी प्रदान करने के लिए एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया.
  • सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान का पादपालय भारत की वनस्पतियों के नमूनों के संग्रह के लिए एक राष्ट्रीय कोष के रूप में मान्यता प्राप्त है. इस कोष में संरक्षित सामग्री को सुरक्षित रखते हुए इस तक शोधकर्ताओं एवं आम जनता की सरल एवं सीधी पहुंच सुनिश्चित करने के इए इसके डिजिटल स्वरूप ‘वर्चुअल हेर्बरियम’ को जारी किया गया. एक अन्य गतिविधि में कपास पर शोध के सन्दर्भ में सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान एवं मेसर्स नुक्लेओम इन्फार्मेटिक्स, हैदराबाद के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.
वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.
वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.



कार्यक्रम के शुरुआत में संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी द्वारा अतिथियों का स्वागत किया. इस मौके पर संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस कार्यक्रम का आयोजन सीएसआईआर के एक अनूठे अभियान के अंतर्गत किया जा रहा है. जिसके द्वारा सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं की सफलता की कहानियां आम जनता तक पहुंच सकें. सप्ताह भर के कार्यक्रम के दौरान संस्थान द्वारा मुख्य रूप से वैज्ञानिक-छात्र संवाद, विभिन्न मुद्दों पर पैनल चर्चा, प्रतिष्ठित विशेषज्ञों द्वारा वैज्ञानिक व्याख्यान, वैज्ञानिक प्रदर्शनी, उद्योग बैठकें होंगी. कार्यक्रम में 16 अगस्त 2023 को पादप विविधता, वर्गिकी एवं पादपालय पर अनुसंधान एवं विकास प्रदर्शनी लगायी जाएगी.

वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.
वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.


इस मौके पर पुष्प कृषि एवं बागवानी विषय पर परिचर्चा का भी आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य रूप से प्रो. एके त्रिपाठी, निदेशक, इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, डॉ. आरके तोमर, निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश, डॉ. टी. दामोदरन, केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ डॉ. केवी प्रसाद, निदेशक, पुष्प कृषि अनुसंधान निदेशालय, पुणे, डॉ. शक्ति विनय शुक्ला, निदेशक, सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र, कन्नौज; डॉ. एसएस सिन्धु, आरएआरआई, नई दिल्ली, पुष्प कृषि उद्यमी, किसान बंधूवर, नर्सरी एवं अन्य शामिल रहे.




यह भी पढ़ें : छाती में तेज दर्द तथा परेशानी का कारण बन सकता है कॉस्टोकोंड्राइटीस

वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक. देखें खबर

लखनऊ : सामान्य तौर पर वैज्ञानिक अपनी-अपनी प्रयोगशालाओं में शोध एवं अनुसंधान गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं. जिससे उनका आम जनमानस से सीधा संवाद कम ही स्थापित हो पाता है. इसीलिए देश के वैज्ञानिक उपलब्धियां आम जनता तक पहुंचाने के लिए ऐसे कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान उन गिनी-चुनी वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में से एक है जो सीधे तौर पर जनता से जुडी हुई है. यह बातें सोमवार को सीएसआईआर दिल्ली की महानिदेशका डॉ. एन कलाईसेल्वी ने कहीं.

वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.
वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.



सीएसआईआर, नई दिल्ली की महानिदेशिका डॉ. एन कलाईसेल्वी ने कहा कि सीएसआईआर के नाम एवं चिन्ह की पहचान आम जनता में बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज हम सभी को प्रकृति से सीखने एवं उसे समझने कि आवश्यकता है ताकि हमें चीजों को समझने में आसानी हो सके. इस मौके पर उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा कपास की महत्ता को उजागर करने के लिए किए गए कार्यों को भी याद किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सीएसआईआर, नई दिल्ली के संयुक सचिव महेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि संस्थान लखनऊ की जनता से नियमित रूप से जुड़ा हुआ है, जनता की अपेक्षाओं को समझते हुए उनके हित में कार्य करते हुए उन तक नियमित रूप से लाभ पहुंचाते रहें.


वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.
वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.

डॉ. एन कलाईसेल्वी ने संस्थान द्वारा विकसित निम्नलिखित विभिन्न अनुसंधान एवं विकास उपलब्धियों को भी जारी किया

  • कमल की एक नवीन किस्म ‘एनबीआरआर नमो 108’ को जारी किया गया जो 108 पंखुड़ियों से युक्त एक अनोखी किस्म है. ‘कमल पुष्प’ एवं ‘108 की संख्या’ के धार्मिक महत्त्व को देखते हुए ये संयोजन इस किस्म को एक महत्वपूर्ण पहचान प्रदान करता है. यह किस्म मार्च से दिसंबर के मध्य पुष्पित होती है एवं काफी मात्रा में पोषक तत्वों से परिपूर्ण है. यह पहली ऐसी किस्म है जिसके जीनोम को पूरा सीक्वेंस करके बनाया गया है.
  • एलो वेरा की एक नवीन किस्म ‘एनबीआरआई-निहार’ को भी जारी किया गया जिसको प्रतिरूप चयन के द्वारा विकसित किया गया है. इस किस्म से ढाई गुना ज्यादा एलो वेरा जेल प्राप्त किया जा सकता हैं. यह किस्म एलो वेरा पौधों में होने वाले रोगों से सबसे कम प्रभावित हैं.
  • सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान द्वारा चलाये जा रहे लोटस कार्यक्रम की उपलब्धियों के तौर पर कमल के पौधे से प्राप्त रेशों से बनाए गए कपडे एवं कमल की सुगंध युक्त इत्र ‘फ्रोटस’ को जारी किया गया.
  • हर्बल उत्पादों की भी एक श्रृंखला जारी कि गयी जिसमें हर्बल ‘कोल्ड ड्रॉप्स’ एवं ‘एंटी डैंड्रफ शैम्पू’ शामिल हैं जिनको निर्माण एवं विपणन के लिए विभिन्न उद्योगों को प्रदान किया जा गया है. इसके अलावा भारतीय फार्माकोपिया मानकों के आधार पर विकसित, 500 से ज्यादा प्राकृतिक औषधियों की जानकारी प्रदान करने वाले एक ‘प्राकृतिक औषधि डेटाबेस’ को भी जारी किया गया.
  • इस अवसर पर विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से निर्मित हर्बल रंगों की तकनीक का प्रदर्शन भी किया गया. पुष्प प्रेमियों में गुलाब के प्रति आकर्षण को देखते हुए गुलाब पर विस्तृत जानकारी प्रदान करने के लिए एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया.
  • सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान का पादपालय भारत की वनस्पतियों के नमूनों के संग्रह के लिए एक राष्ट्रीय कोष के रूप में मान्यता प्राप्त है. इस कोष में संरक्षित सामग्री को सुरक्षित रखते हुए इस तक शोधकर्ताओं एवं आम जनता की सरल एवं सीधी पहुंच सुनिश्चित करने के इए इसके डिजिटल स्वरूप ‘वर्चुअल हेर्बरियम’ को जारी किया गया. एक अन्य गतिविधि में कपास पर शोध के सन्दर्भ में सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान एवं मेसर्स नुक्लेओम इन्फार्मेटिक्स, हैदराबाद के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.
वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.
वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.



कार्यक्रम के शुरुआत में संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी द्वारा अतिथियों का स्वागत किया. इस मौके पर संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस कार्यक्रम का आयोजन सीएसआईआर के एक अनूठे अभियान के अंतर्गत किया जा रहा है. जिसके द्वारा सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं की सफलता की कहानियां आम जनता तक पहुंच सकें. सप्ताह भर के कार्यक्रम के दौरान संस्थान द्वारा मुख्य रूप से वैज्ञानिक-छात्र संवाद, विभिन्न मुद्दों पर पैनल चर्चा, प्रतिष्ठित विशेषज्ञों द्वारा वैज्ञानिक व्याख्यान, वैज्ञानिक प्रदर्शनी, उद्योग बैठकें होंगी. कार्यक्रम में 16 अगस्त 2023 को पादप विविधता, वर्गिकी एवं पादपालय पर अनुसंधान एवं विकास प्रदर्शनी लगायी जाएगी.

वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.
वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक.


इस मौके पर पुष्प कृषि एवं बागवानी विषय पर परिचर्चा का भी आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य रूप से प्रो. एके त्रिपाठी, निदेशक, इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, डॉ. आरके तोमर, निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश, डॉ. टी. दामोदरन, केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ डॉ. केवी प्रसाद, निदेशक, पुष्प कृषि अनुसंधान निदेशालय, पुणे, डॉ. शक्ति विनय शुक्ला, निदेशक, सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र, कन्नौज; डॉ. एसएस सिन्धु, आरएआरआई, नई दिल्ली, पुष्प कृषि उद्यमी, किसान बंधूवर, नर्सरी एवं अन्य शामिल रहे.




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