लखनऊ : सामान्य तौर पर वैज्ञानिक अपनी-अपनी प्रयोगशालाओं में शोध एवं अनुसंधान गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं. जिससे उनका आम जनमानस से सीधा संवाद कम ही स्थापित हो पाता है. इसीलिए देश के वैज्ञानिक उपलब्धियां आम जनता तक पहुंचाने के लिए ऐसे कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान उन गिनी-चुनी वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में से एक है जो सीधे तौर पर जनता से जुडी हुई है. यह बातें सोमवार को सीएसआईआर दिल्ली की महानिदेशका डॉ. एन कलाईसेल्वी ने कहीं.
सीएसआईआर, नई दिल्ली की महानिदेशिका डॉ. एन कलाईसेल्वी ने कहा कि सीएसआईआर के नाम एवं चिन्ह की पहचान आम जनता में बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज हम सभी को प्रकृति से सीखने एवं उसे समझने कि आवश्यकता है ताकि हमें चीजों को समझने में आसानी हो सके. इस मौके पर उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा कपास की महत्ता को उजागर करने के लिए किए गए कार्यों को भी याद किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सीएसआईआर, नई दिल्ली के संयुक सचिव महेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि संस्थान लखनऊ की जनता से नियमित रूप से जुड़ा हुआ है, जनता की अपेक्षाओं को समझते हुए उनके हित में कार्य करते हुए उन तक नियमित रूप से लाभ पहुंचाते रहें.
डॉ. एन कलाईसेल्वी ने संस्थान द्वारा विकसित निम्नलिखित विभिन्न अनुसंधान एवं विकास उपलब्धियों को भी जारी किया |
|
कार्यक्रम के शुरुआत में संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी द्वारा अतिथियों का स्वागत किया. इस मौके पर संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस कार्यक्रम का आयोजन सीएसआईआर के एक अनूठे अभियान के अंतर्गत किया जा रहा है. जिसके द्वारा सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं की सफलता की कहानियां आम जनता तक पहुंच सकें. सप्ताह भर के कार्यक्रम के दौरान संस्थान द्वारा मुख्य रूप से वैज्ञानिक-छात्र संवाद, विभिन्न मुद्दों पर पैनल चर्चा, प्रतिष्ठित विशेषज्ञों द्वारा वैज्ञानिक व्याख्यान, वैज्ञानिक प्रदर्शनी, उद्योग बैठकें होंगी. कार्यक्रम में 16 अगस्त 2023 को पादप विविधता, वर्गिकी एवं पादपालय पर अनुसंधान एवं विकास प्रदर्शनी लगायी जाएगी.
इस मौके पर पुष्प कृषि एवं बागवानी विषय पर परिचर्चा का भी आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य रूप से प्रो. एके त्रिपाठी, निदेशक, इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, डॉ. आरके तोमर, निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश, डॉ. टी. दामोदरन, केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ डॉ. केवी प्रसाद, निदेशक, पुष्प कृषि अनुसंधान निदेशालय, पुणे, डॉ. शक्ति विनय शुक्ला, निदेशक, सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र, कन्नौज; डॉ. एसएस सिन्धु, आरएआरआई, नई दिल्ली, पुष्प कृषि उद्यमी, किसान बंधूवर, नर्सरी एवं अन्य शामिल रहे.
यह भी पढ़ें : छाती में तेज दर्द तथा परेशानी का कारण बन सकता है कॉस्टोकोंड्राइटीस