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Muharram 2022: इमाम हुसैन की याद में मातम, पुराने लखनऊ में निकाला गया नवी मोहर्रम का जुलूस - लखनऊ में मोहर्रम

पुराने लखनऊ में सोमवार को नवी मोहर्रम का जुलूस (Muharram procession completed safely in Lucknow) सकुशल सम्पन्न हुआ. यह जुलूस (muharram juloos lucknow) नाजिम साहब इमामबाड़े से होते हुए हजरत अब्बास तक निकाला गया.

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इमाम हुसैन की याद में मातम मनाते लोग
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Published : Aug 9, 2022, 7:16 AM IST

लखनऊ: पैगम्बर मोहम्मद साहब (mohammed sahib) के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत के गम में निकलने वाले नवी मोहर्रम का जुलूस (Muharram procession completed safely in Lucknow) सकुशल सम्पन्न हुआ. सोमवार देर रात जुलूस पुराने लखनऊ के नाजिम साहब इमामबाड़े से शुरू होकर सहादतगंज स्थित दरगाह हजरत अब्बास पर जाकर समाप्त हुआ. इस दौरान एटीएस समेत कई पुलिस बल चप्पे-चप्पे पर तैनात रही.

नौ मोहर्रम का जुलूस (muharram juloos lucknow) यानी अलमे शबे आशूर सोमवार रात 11 बजे अपने तय समय पर नाजिम साहब के इमामबाड़े से निकलकर नखास चौराहा होते हुए दरगाह हजरत अब्बास में जा कर समाप्त हुआ. जुलूस में कई आला अधिकारी और सुरक्षा बल मौजूद रहे.

इस जुलूस की मान्यता (Muharram procession recognition) है कि नौ मोहर्रम का सूरज ढल गया है और शबे आशूर आ गई है. यह वह रात है, जिसमें इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने दुश्मन की एक रात की इजाजत ली थी कि हम अपने परवर दिगार की इबादत कर लें. इस रात इमाम हुसैन ने अपने तमाम साथियों को बुलाकर कहा कि मैं तुम पर से अपनी बैयत उठाता हूं. तुम जहां जाना चाहते हो, चले जाओ. अगर जाने में शर्म आती है, तो मैं चिराग बुझा देता हूं.

यह भी पढ़ें: Muharram की सात तारीख को हजरत अब्बास अलमदार की याद में निकला जुलूस, देखें VIDEO

इमाम हुसैन ने अपने साथियों से कहा कि तुम चले जाओ. कल आले मोहम्मद कि कुरबानी का दिन है और दुश्मन तुम लोगों से कुछ नहीं कहेंगे. मगर कर्बला के वफादार साथी रोने लगे और कहने लगे कि कल हम आपसे पहले अपनी जान देंगे. मगर आपका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे. जिसके बाद दस मोहर्रम के दिन यजीद ने अपनी फौज के साथ इमाम हुसैन और उनके साथियों पर हमला बोल दिया और कर्बला के 72 साथी शहीद हो गए.

कर्बला के शहीदों और नवासे रसूल इमाम हुसैन की याद में यह जुलूस लखनऊ में निकाला जाता है. कोरोना के चलते पिछले दो वर्ष से मोहर्रम के जुलूसों पर पाबंदी रही. वहीं इस बार आजादरो ने खुलकर इमाम का मातम किया और उन्हें याद किया.

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लखनऊ: पैगम्बर मोहम्मद साहब (mohammed sahib) के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत के गम में निकलने वाले नवी मोहर्रम का जुलूस (Muharram procession completed safely in Lucknow) सकुशल सम्पन्न हुआ. सोमवार देर रात जुलूस पुराने लखनऊ के नाजिम साहब इमामबाड़े से शुरू होकर सहादतगंज स्थित दरगाह हजरत अब्बास पर जाकर समाप्त हुआ. इस दौरान एटीएस समेत कई पुलिस बल चप्पे-चप्पे पर तैनात रही.

नौ मोहर्रम का जुलूस (muharram juloos lucknow) यानी अलमे शबे आशूर सोमवार रात 11 बजे अपने तय समय पर नाजिम साहब के इमामबाड़े से निकलकर नखास चौराहा होते हुए दरगाह हजरत अब्बास में जा कर समाप्त हुआ. जुलूस में कई आला अधिकारी और सुरक्षा बल मौजूद रहे.

इस जुलूस की मान्यता (Muharram procession recognition) है कि नौ मोहर्रम का सूरज ढल गया है और शबे आशूर आ गई है. यह वह रात है, जिसमें इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने दुश्मन की एक रात की इजाजत ली थी कि हम अपने परवर दिगार की इबादत कर लें. इस रात इमाम हुसैन ने अपने तमाम साथियों को बुलाकर कहा कि मैं तुम पर से अपनी बैयत उठाता हूं. तुम जहां जाना चाहते हो, चले जाओ. अगर जाने में शर्म आती है, तो मैं चिराग बुझा देता हूं.

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इमाम हुसैन ने अपने साथियों से कहा कि तुम चले जाओ. कल आले मोहम्मद कि कुरबानी का दिन है और दुश्मन तुम लोगों से कुछ नहीं कहेंगे. मगर कर्बला के वफादार साथी रोने लगे और कहने लगे कि कल हम आपसे पहले अपनी जान देंगे. मगर आपका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे. जिसके बाद दस मोहर्रम के दिन यजीद ने अपनी फौज के साथ इमाम हुसैन और उनके साथियों पर हमला बोल दिया और कर्बला के 72 साथी शहीद हो गए.

कर्बला के शहीदों और नवासे रसूल इमाम हुसैन की याद में यह जुलूस लखनऊ में निकाला जाता है. कोरोना के चलते पिछले दो वर्ष से मोहर्रम के जुलूसों पर पाबंदी रही. वहीं इस बार आजादरो ने खुलकर इमाम का मातम किया और उन्हें याद किया.

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