लखनऊ: रविवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक एवं खेल समिति द्वारा प्रथम राष्ट्रीय ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. हिंदी व अंग्रेजी दोनों ही वर्गों के लिए आयोजित हुई इस प्रतियोगिता में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और गुजरात से लेकर असम तक के प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया. प्रथम दौर में दोनों ही वर्गों के लगभग 350 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया.
प्रतिभागियों को मिली तारीफें
काव्य प्रतियोगिता में अंतिम दौर के लिए सिर्फ 10 प्रतिभागियों को चुना गया. विश्वविद्यालय नवीन परिसर के विधि संकाय के अध्यक्ष प्रोफेसर सीपी सिंह ने अपने वक्तव्य से अंतिम दौर के कार्यक्रम का शुभारंभ किया. उन्होंने कहा कि कविता एक ऐसी विद्या है, जिसमें कवि अपनी कविता के माध्यम से कठिन से कठिन विषय को सरलता से व्यक्त करता है. काव्य प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में उच्च न्यायालय लखनऊ खंड पीठ के वकील कवि अमित हर्ष, तारे जमीन पर पत्रिका के संस्थापक गौरव पोरवाल, कवयित्री अनन्या राय पाराशर, दीपाली मिश्रा, आशीष उपाध्याय व मिताली सिंह मौजूद रहीं.
इन प्रतिभागियों को मिला ये स्थान
अमित हर्ष ने कहा कि देशभर के 350 प्रतिभागियों में से अंतिम 10 में स्थान बनाने वाला प्रत्येक प्रतिभागी अपने आप में विजेता हैं. वहीं गौरव पोरवाल ने प्रतिभागियों के हौसले को बढ़ाते हुए कहा कि व्यक्ति को स्वयं पता नहीं होता है कि उसमें कितनी प्रतिभा है. व्यक्ति को सिर्फ एक सही दिशा की आवश्यकता होती है, वह स्वयं ही आगे बढ़ जाता है.
प्रतियोगिता के अंतिम दौर में पहुंचने वाले प्रतिभागियों में आशीष प्रताप सिंह, आनंदिता मित्रा, प्रियंका द्विवेदी, दिव्यश्री बनर्जी, अफीफा खातून, मुदिता शुक्ला, शिवम पांडे, अलीशा खान, सौरव कुमार वर्मा और अभिजीत सिंह शामिल रहे. प्रतिभागियों ने हिंदी व अंग्रेजी भाषा में अपनी सुंदर कविताओं से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. अंग्रेजी वर्ग में मुदित शुक्ला को प्रथम, दिव्यश्री बनर्जी को द्वितीय और अलीशा खान को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ. वहीं हिंदी वर्ग में शिवम पांडे को प्रथम, प्रियंका द्विवेदी द्वितीय व आशीष प्रताप सिंह को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ.