लखनऊ: यूपी पुलिस की एनकाउंटर प्रक्रिया पर लगातार सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राकेश पांडेय एनकाउंटर के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को नोटिस भेजा है. इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने यूपी पुलिस से 6 सप्ताह में जवाब देने को कहा है.
इस एनकाउंटर प्रकरण में उत्तर प्रदेश के डीजीपी को 23 अक्टूबर तक जवाब देना होगा. इससे पूर्व पुलस्त तिवारी एनकाउंटर मामले में भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया था. ये दोनों एनकाउंटर लखनऊ पुलिस के लिए किरकिरी बने हुए हैं.
दरअसल, राजधानी के सरोजनी नगर स्थित सैनिक स्कूल के सामने 9 अगस्त को मुख्तार अंसारी के शार्प शूटर राकेश पांडेय उर्फ हनुमान पांडेय को यूपी एसटीएफ ने मार गिराया था. पुलिस का कहना था कि राकेश पांडेय का पीछा करते हुए पुलिस टीम सरोजनी नगर तक पहुंची थी. टीम ने राकेश पांडेय को रुकने का इशारा किया तो उसने पुलिस पर गोलियां चला दीं. जवाबी फायरिंग में राकेश पांडेय मारा गया था, जबकि उसके चार साथी फरार होने में सफल रहे थे.
घटना से जुड़े तथ्य-
- 9 अगस्त को मुख्तार अंसारी के शार्प शूटर राकेश पांडेय का हुआ था एनकाउंटर
- एक लाख रुपये का इनामिया था राकेश पांडेय
- पुलिस की कार्यशैली का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
इस एनकाउंटर मामले में राकेश पांडेय के पिता ब्रह्मदत्त पांडेय ने सवालिया निशान खड़ा किया था. उन्होंने बताया कि पुलिस राकेश पांडेय को तड़के करीब तीन बजे उनके लखनऊ स्थित घर से उठाकर ले गई थी. बाद में उनका एनकाउंटर कर दिया, जबकि उनके ऊपर चल रहे लगभग सभी मुकदमों में वह बरी हो चुका था. हालांकि पुलिस राकेश पांडेय को एक लाख रुपये का इनामिया बता रही थी. बाद में इनाम की राशि घटाकर 50 हजार बताई.
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कानपुर के बिकरू निवासी विकास दुबे एनकाउंटर के बाद पुलिस अपराधियों पर लगातार कार्रवाई कर रही है, लेकिन इस प्रकार की ताबड़तोड़ कार्रवाई पर सवालिया निशान भी खड़े हो रहे हैं. विकास दुबे, अमर दुबे, राकेश पांडेय और पुलस्त तिवारी एनकाउंटर प्रक्रिया पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. लिहाजा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राकेश पांडेय और पुलस्त तिवारी मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस को नोटिस भेजा है.