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पुस्तक मेले में कथाकार शिवमूर्ति का जन्मदिन मनाया गया

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Published : Mar 13, 2021, 7:44 PM IST

लखनऊ में आयोजित पुस्तक मेले में कथाकार, उपन्यासकार शिवमूर्ति का जन्मदिवस मनाया गया. 11 मार्च 1950 को सुल्तानपुर में जन्मे शिवमूर्ति 'लेखक हमारे बीच' कार्यक्रम के अवसर पर मेले में पहुंचे थे.

लखनऊ में पुस्तक मेला.
लखनऊ में पुस्तक मेला.

लखनऊ: राजधानी में आयोजित पुस्तक मेले में बृहस्पतिवार को कथाकार, उपन्यासकार शिवमूर्ति का जन्मदिवस पुस्तकों के बीच मनाया गया. उनके पाठकों और प्रशंसकों ने केक कटवाकर शिवमूर्ति का जन्मदिन मनाया. 11 मार्च 1950 को सुल्तानपुर में जन्मे शिवमूर्ति 'लेखक हमारे बीच' कार्यक्रम के अवसर पर मेले में थे. इस मौके पर उन्होंने नगर के प्रसिद्ध कथाकार, उपन्यासकार शैलेंद्र सागर के साथ 'कथा का वितान' पर बातचीत की.

साहित्य में प्रतिभाओं का अभाव
शिवमूर्ति ने कहा कि आज कथा साहित्य में वैसी प्रतिभाओं का अभाव है, जैसी प्रतिभाएं कुछ दशक पूर्व तक सक्रिय थी.उन्होंने कहा कि शायद इसका कारण रोजी रोटी का संकट भी है. लेखक अपनी भौतिक जरूरतों के कारण साहित्य को अधिक समय नहीं दे पाते हैं. उन्होंने कहा कि पहले लेखकों का जो कद होता था, वह संस्था होते थे लेकिन आज ऐसा नहीं हो रहा.

आज पठनीयता का भी संकट
कथाकार, उपन्यासकार शैलेंद्र सागर ने कहा कि आज कथा साहित्य में ऐसे विषय सामने आ रहे हैं, जिन पर पहले कभी लिखा नहीं गया.उन्होंने कहा कि विषय वस्तु का बहुत विस्तार हुआ है. पांच सालों में ट्रांसजेंडर और समलैंगिकता पर खूब लिखा गया है. उन्होंने कहा कि आज पठनीयता का संकट भी है. कार्यक्रम संयोजक पत्रकार आलोक पराड़कर ने संचालन करते हुए लेखकों से सवाल पूछे. मनोज सिंह चंदेल ने लेखकों को स्मृति चिह्न प्रदान किए.

लखनऊ: राजधानी में आयोजित पुस्तक मेले में बृहस्पतिवार को कथाकार, उपन्यासकार शिवमूर्ति का जन्मदिवस पुस्तकों के बीच मनाया गया. उनके पाठकों और प्रशंसकों ने केक कटवाकर शिवमूर्ति का जन्मदिन मनाया. 11 मार्च 1950 को सुल्तानपुर में जन्मे शिवमूर्ति 'लेखक हमारे बीच' कार्यक्रम के अवसर पर मेले में थे. इस मौके पर उन्होंने नगर के प्रसिद्ध कथाकार, उपन्यासकार शैलेंद्र सागर के साथ 'कथा का वितान' पर बातचीत की.

साहित्य में प्रतिभाओं का अभाव
शिवमूर्ति ने कहा कि आज कथा साहित्य में वैसी प्रतिभाओं का अभाव है, जैसी प्रतिभाएं कुछ दशक पूर्व तक सक्रिय थी.उन्होंने कहा कि शायद इसका कारण रोजी रोटी का संकट भी है. लेखक अपनी भौतिक जरूरतों के कारण साहित्य को अधिक समय नहीं दे पाते हैं. उन्होंने कहा कि पहले लेखकों का जो कद होता था, वह संस्था होते थे लेकिन आज ऐसा नहीं हो रहा.

आज पठनीयता का भी संकट
कथाकार, उपन्यासकार शैलेंद्र सागर ने कहा कि आज कथा साहित्य में ऐसे विषय सामने आ रहे हैं, जिन पर पहले कभी लिखा नहीं गया.उन्होंने कहा कि विषय वस्तु का बहुत विस्तार हुआ है. पांच सालों में ट्रांसजेंडर और समलैंगिकता पर खूब लिखा गया है. उन्होंने कहा कि आज पठनीयता का संकट भी है. कार्यक्रम संयोजक पत्रकार आलोक पराड़कर ने संचालन करते हुए लेखकों से सवाल पूछे. मनोज सिंह चंदेल ने लेखकों को स्मृति चिह्न प्रदान किए.

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