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हाउस टैक्स जमा करना होगा आसान, नगर निगम करने जा रहा बड़े बदलाव - राजधानी लखनऊ की महापौर

लखनऊ की महापौर ने जनता को गृहकर के मकड़जाल और बाबुओं के चक्कर से मुक्ति दिलाने के लिए कमर कस ली है. महापौर ने नगर निगम मुख्यालय में मुख्य कर निर्धारण को कर प्रणाली सुधारने के निर्देश दिए हैं.

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Published : May 12, 2022, 9:28 AM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने नगर निगम के गृहकर में सुधार के लिए कमर कसी है. अब जल्दी ही जनता को गृहकर के मकड़जाल और बाबुओं के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलने वाली है. महापौर ने नगर निगम मुख्यालय में मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह को कर प्रणाली को सुधारने के निर्देश दिए हैं. महापौर ने अशोक सिंह से व्यवस्था परिवर्तन के लिए कहा.


ऑनलाइन होंगी यह व्यवस्था: महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि कर निर्धारण, टैक्स रिविजिन, म्युटेशन सहित समस्त सेवायों को ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से कराया. साथ ही, टैक्स में बदलाब और रिवीजन करना, बार-बार बिल देना, अलग-अलग रिवाइज करके बिल देने सम्बंधित प्रक्रियाओं को बंद कर दिया जाए. साथ ही, सिंगल विंडो सिस्टम लागू करते हुए "एक घर एक बिल" व्यवस्था को ऑनलाइन प्रणाली से लागू किया जाए. टैक्स का सरलीकरण करते हुए आम आदमी के समझने लायक बनाया जाए. जिससे भ्रष्टाचार और सेटलमेंट की गुंजाइश समाप्त हो जाये और आम आदमी को बाबुओं के चक्कर न काटने पड़ें.


बिचौलियों से मिलेगी निजात: महापौर ने यह भी कहा कि स्वगृहकर के सॉफ्टवेयर में समयसीमा निर्धारित की जाएगी. इससे महीनों तक टैक्स सम्बंधित आपत्तियों को नहीं लटकाया जा सकेगा. इससे सम्बंधित अधिकारियों को 3 दिन या अधिकतम एक सप्ताह के मध्य स्वग्रह कर के एप्लीकेशन में रिपोर्ट लगाना अनिवार्य होगा. साथ ही बिल को बिना ठोस आधार दिये बदला नहीं जा सकेगा (जैसा कि कल के प्रकरण में शिकायतकर्ता में महापौर को बताया था कि एक ही प्रॉपर्टी के 3 बार बढ़ा कर बिल दिए गए). इस व्यवस्था से बिचौलियों से जनता को मुक्ति मिलेगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी. महापौर ने अशोक सिंह से सॉफ्टवेयर बनवाने के निर्देश दिए और टैक्स सरलीकरण के लिए व्यवस्था बनाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी निर्देशित किया.


आमदनी का सबसे बड़ा जरिया है गृहकर: लखनऊ नगर निगम की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया गृह कर है. नगर निगम की तरफ से लेकर जमा करने की ऑनलाइन सुविधाएं दी गई है लेकिन यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. आम जनता को बार-बार इसके लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी इसकी आड़ में बड़ा खेल भी करते हैं. बार-बार गृह कर में परिवर्तन कर लोगों को परेशान किया जाता है. दावा है कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद लोगों को इस सब से मुक्ति मिल जाएगी.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने नगर निगम के गृहकर में सुधार के लिए कमर कसी है. अब जल्दी ही जनता को गृहकर के मकड़जाल और बाबुओं के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलने वाली है. महापौर ने नगर निगम मुख्यालय में मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह को कर प्रणाली को सुधारने के निर्देश दिए हैं. महापौर ने अशोक सिंह से व्यवस्था परिवर्तन के लिए कहा.


ऑनलाइन होंगी यह व्यवस्था: महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि कर निर्धारण, टैक्स रिविजिन, म्युटेशन सहित समस्त सेवायों को ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से कराया. साथ ही, टैक्स में बदलाब और रिवीजन करना, बार-बार बिल देना, अलग-अलग रिवाइज करके बिल देने सम्बंधित प्रक्रियाओं को बंद कर दिया जाए. साथ ही, सिंगल विंडो सिस्टम लागू करते हुए "एक घर एक बिल" व्यवस्था को ऑनलाइन प्रणाली से लागू किया जाए. टैक्स का सरलीकरण करते हुए आम आदमी के समझने लायक बनाया जाए. जिससे भ्रष्टाचार और सेटलमेंट की गुंजाइश समाप्त हो जाये और आम आदमी को बाबुओं के चक्कर न काटने पड़ें.


बिचौलियों से मिलेगी निजात: महापौर ने यह भी कहा कि स्वगृहकर के सॉफ्टवेयर में समयसीमा निर्धारित की जाएगी. इससे महीनों तक टैक्स सम्बंधित आपत्तियों को नहीं लटकाया जा सकेगा. इससे सम्बंधित अधिकारियों को 3 दिन या अधिकतम एक सप्ताह के मध्य स्वग्रह कर के एप्लीकेशन में रिपोर्ट लगाना अनिवार्य होगा. साथ ही बिल को बिना ठोस आधार दिये बदला नहीं जा सकेगा (जैसा कि कल के प्रकरण में शिकायतकर्ता में महापौर को बताया था कि एक ही प्रॉपर्टी के 3 बार बढ़ा कर बिल दिए गए). इस व्यवस्था से बिचौलियों से जनता को मुक्ति मिलेगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी. महापौर ने अशोक सिंह से सॉफ्टवेयर बनवाने के निर्देश दिए और टैक्स सरलीकरण के लिए व्यवस्था बनाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी निर्देशित किया.


आमदनी का सबसे बड़ा जरिया है गृहकर: लखनऊ नगर निगम की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया गृह कर है. नगर निगम की तरफ से लेकर जमा करने की ऑनलाइन सुविधाएं दी गई है लेकिन यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. आम जनता को बार-बार इसके लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी इसकी आड़ में बड़ा खेल भी करते हैं. बार-बार गृह कर में परिवर्तन कर लोगों को परेशान किया जाता है. दावा है कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद लोगों को इस सब से मुक्ति मिल जाएगी.

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