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अपनों ने मुंह मोड़ा, मुस्लिम युवकों ने दिया शव को कांधा

कोरोना काल में नवाबों के शहर लखनऊ में मुसीबतों की खबर आ रही है. इस खौफ के बीच बुरी खबर यह है कि कई मामलों में अपने सगे-संबंधी भी विपत्ति के समय में अपना मुंह मोड़ रहे हैं. राहत की बात यह है कि जब अपने लोग बेगाने हो रहे हैं तो दूसरे लोग मजहब की दीवार तोड़कर इंसानियत का धर्म निभा रहे हैं.

मुस्लिम युवकों ने दिया शव को कांधा
मुस्लिम युवकों ने दिया शव को कांधा
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Published : Apr 21, 2021, 6:13 PM IST

Updated : May 19, 2021, 7:14 PM IST

लखनऊ: कोरोना ने लखनऊ में कहर बरपा रखा है. ऐसे में एक ओर खून के रिश्ते तार-तार हो रहे हैं, दूसरी ओर दिल छू लेने वाली इंसानियत की नई मिसालें भी बन रही हैं. मलिहाबाद के गांव रहीमाबाद में रामस्वरूप नाम के एक शख्स की कोरोना से मौत हो गई. मौत के बाद उसके रिश्तेदारों और सगे-संबंधियों ने मुंह फेर लिया. जब कोई अंतिम संस्कार के लिए सामने नहीं आया तो रामस्वरूप के मुस्लिम पड़ोसी सामने आए. उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार किया. मुस्लिम पड़ोसियों ने रामस्वरूप के शव को परंपरा के मुताबिक पहले नहलाया, फिर कफन पहनाया. इसके बाद वह शमशान ले जाकर अंतिम क्रिया तक डटे रहे.

इसे भी पढ़ें- संवेदनहीनता : एंबुलेंस चालक और डेड बॉडी ढोने वाले लोगों से कर रहे मोटी वसूली

बुजुर्ग की मौत के बाद किसी ने नहीं दिया कंधा

रहीमाबाद के तरौना गांव निवासी रामस्वरूप (65) की मंगलवार को तबीयत बिगड़ गई थी. उनका बेटा हंसराज बुधवार सुबह उन्हें अस्पताल लेकर जाने लगा. इसी दौरान बुजुर्ग ने बेटे की बाहों में ही दम तोड़ दिया. रामस्वरूप की मौत के बाद नाते-रिश्तेदार तरह-तरह की चर्चाएं करते रहे, लेकिन कोई भी हंसराज की मदद के लिए आगे नहीं आया. हालत यह हो गई कि हिंदू समुदाय के चार लोग कंधा देने के लिए भी सामने नहीं आए. तब उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने मदद का बीड़ा उठाया. गांव के युवक नौशाद अली और शमशाद अली ने हिंदू परंपरा के मुताबिक रामस्वरूप के शव को नहलाकर कफन पहनाया. वे सभी अपने कंधों पर करीब आधा किलोमीटर तक श्मशान लेकर गए और अंतिम क्रिया तक डटे रहे.

लखनऊ: कोरोना ने लखनऊ में कहर बरपा रखा है. ऐसे में एक ओर खून के रिश्ते तार-तार हो रहे हैं, दूसरी ओर दिल छू लेने वाली इंसानियत की नई मिसालें भी बन रही हैं. मलिहाबाद के गांव रहीमाबाद में रामस्वरूप नाम के एक शख्स की कोरोना से मौत हो गई. मौत के बाद उसके रिश्तेदारों और सगे-संबंधियों ने मुंह फेर लिया. जब कोई अंतिम संस्कार के लिए सामने नहीं आया तो रामस्वरूप के मुस्लिम पड़ोसी सामने आए. उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार किया. मुस्लिम पड़ोसियों ने रामस्वरूप के शव को परंपरा के मुताबिक पहले नहलाया, फिर कफन पहनाया. इसके बाद वह शमशान ले जाकर अंतिम क्रिया तक डटे रहे.

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बुजुर्ग की मौत के बाद किसी ने नहीं दिया कंधा

रहीमाबाद के तरौना गांव निवासी रामस्वरूप (65) की मंगलवार को तबीयत बिगड़ गई थी. उनका बेटा हंसराज बुधवार सुबह उन्हें अस्पताल लेकर जाने लगा. इसी दौरान बुजुर्ग ने बेटे की बाहों में ही दम तोड़ दिया. रामस्वरूप की मौत के बाद नाते-रिश्तेदार तरह-तरह की चर्चाएं करते रहे, लेकिन कोई भी हंसराज की मदद के लिए आगे नहीं आया. हालत यह हो गई कि हिंदू समुदाय के चार लोग कंधा देने के लिए भी सामने नहीं आए. तब उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने मदद का बीड़ा उठाया. गांव के युवक नौशाद अली और शमशाद अली ने हिंदू परंपरा के मुताबिक रामस्वरूप के शव को नहलाकर कफन पहनाया. वे सभी अपने कंधों पर करीब आधा किलोमीटर तक श्मशान लेकर गए और अंतिम क्रिया तक डटे रहे.

Last Updated : May 19, 2021, 7:14 PM IST
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