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हिजाब मामले में मुस्लिम धर्मगुरु कोर्ट के फैसले के साथ, यह कही खास बात - हिजाब विवाद पर कोर्ट का फैसला

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब विवाद के मामले पर मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने माना है कि हिजाब इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं माना है. कोर्ट के फैसले के बाद कई स्थानों से लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं, रिपोर्ट पढ़िए...

कोर्ट के फैसले का मुस्लिम धर्मगुरुओं ने किया सम्मान
कोर्ट के फैसले का मुस्लिम धर्मगुरुओं ने किया सम्मान
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Published : Mar 15, 2022, 12:46 PM IST

Updated : Mar 15, 2022, 5:36 PM IST

लखनऊ : हिजाब विवाद के मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने हिजाब को इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं माना है. इस मामले में कॉलेज में हिजाब पहनने को लेकर दायर याचिका को कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट के फैसले और टिप्पणी के बाद अब देशभर से अलग अलग प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं.

कोर्ट के फैसले का मुस्लिम धर्मगुरुओं ने किया सम्मान

कोर्ट का फैसला आने के बाद हिजाब मामले पर शिया और सुन्नी धर्मगुरुओं ने भी प्रतिक्रिया दी है. ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव और शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का जो फैसला आया है, उस पर वह सवाल नहीं उठाते हैं. लेकिन हिजाब हमारे यहां धर्म का हिस्सा है और हमारे लिए रसूल की बेटी जनाबे फातिमा जहरा एक आइडियल है.

मौलाना ने कहा कि हमारे मजहब में हमेशा से ही औरते हिजाब करती हैं और सिर्फ इस्लाम नहीं बल्कि हर धर्म व मजहब में हिजाब या पर्दा है. औरत को इज्जत की निगाह से देखने के वास्ते धर्म या मजहब खुद चाहता है कि औरत हिजाब या पर्दे में रहें.

मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि हिंदू औरते भी पर्दे में रहती हैं, बस तरीके अलग-अलग हैं. वहीं दारूल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं.

हालांकि इस बात पर अपत्ति है कि कोर्ट यह मानता है कि पर्दा इस्लाम धर्म का अभिन्न अंग नहीं है. मौलाना ने कहा कि इससे पहले भी कहा गया था कि नमाज मस्जिद में पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है. इसलिए इस तरह के फैसले समझ से परे हैं.

इसे पढ़ें- Hijab Row: हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं, याचिका खारिज

लखनऊ : हिजाब विवाद के मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने हिजाब को इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं माना है. इस मामले में कॉलेज में हिजाब पहनने को लेकर दायर याचिका को कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट के फैसले और टिप्पणी के बाद अब देशभर से अलग अलग प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं.

कोर्ट के फैसले का मुस्लिम धर्मगुरुओं ने किया सम्मान

कोर्ट का फैसला आने के बाद हिजाब मामले पर शिया और सुन्नी धर्मगुरुओं ने भी प्रतिक्रिया दी है. ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव और शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का जो फैसला आया है, उस पर वह सवाल नहीं उठाते हैं. लेकिन हिजाब हमारे यहां धर्म का हिस्सा है और हमारे लिए रसूल की बेटी जनाबे फातिमा जहरा एक आइडियल है.

मौलाना ने कहा कि हमारे मजहब में हमेशा से ही औरते हिजाब करती हैं और सिर्फ इस्लाम नहीं बल्कि हर धर्म व मजहब में हिजाब या पर्दा है. औरत को इज्जत की निगाह से देखने के वास्ते धर्म या मजहब खुद चाहता है कि औरत हिजाब या पर्दे में रहें.

मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि हिंदू औरते भी पर्दे में रहती हैं, बस तरीके अलग-अलग हैं. वहीं दारूल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं.

हालांकि इस बात पर अपत्ति है कि कोर्ट यह मानता है कि पर्दा इस्लाम धर्म का अभिन्न अंग नहीं है. मौलाना ने कहा कि इससे पहले भी कहा गया था कि नमाज मस्जिद में पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है. इसलिए इस तरह के फैसले समझ से परे हैं.

इसे पढ़ें- Hijab Row: हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं, याचिका खारिज

Last Updated : Mar 15, 2022, 5:36 PM IST
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