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लखनऊ: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में बड़ा फैसला, बाबरी मस्जिद की जमीन किसी को नहीं देंगे

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नदवा कॉलेज में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की शनिवार को कई घंटो तक मीटिंग चली. इस मीटिंग में बोर्ड ने अयोध्या विवाद पर अपना रुख साफ करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद किसी भी मन्दिर को तोड़ कर नहीं बनाई गई थी और न ही मस्जिद की जमीन को ट्रांसफर या छोड़ा जा सकता है.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में लिया गया बड़ा फैसला.
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Published : Oct 12, 2019, 9:46 PM IST

Updated : Oct 12, 2019, 10:02 PM IST

लखनऊ: राजधानी के नदवा कॉलेज में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की शनिवार को कई घण्टे चली मीटिंग के बाद बोर्ड ने अयोध्या मसले पर अपना रुख साफ कर दिया है. बोर्ड ने विवादित जमीन को देने या उसको शिफ्ट किए जाने की तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए इसको गैर शरई बताया है. बोर्ड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके हक में होगा, जिसका अब इंतजार करना चाहिए.

मंदिर तोड़कर नहीं बनी थी मस्जिद
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति की बैठक में तमाम सदस्यों से चर्चा और राय विमर्श करने के बाद बोर्ड ने देश के सबसे बड़े मुद्दे अयोध्या विवाद पर अपना रुख साफ कर दिया है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद किसी भी धार्मिक स्थल या मन्दिर को तोड़ कर नही बनाई गई थी और न ही मस्जिद की जमीन को ट्रांसफर या छोड़ा जा सकता है.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में लिया गया बड़ा फैसला.

बोर्ड ने कहा कोर्ट का ही फैसला होगा मान्य
बोर्ड ने कहा कि कुछ जगहों से समझौते की बात बार-बार सामने आती रही है, जिस पर बोर्ड ने भी पूरी रजामन्दी के साथ समझौते की ऐसी कार्रवाई में हिस्सा भी लिया. इससे इंसाफ पर आधारित कोई हल निकल आए जो सबके लिए कुबूल हो, लेकिन बार-बार की कोशिशों के बाद भी यह बात साफ हो चुकी है कि इस मसले में जाहिर तौर पर कोई समझौता मुमकिन नहीं है. इसलिए यह साफ किया जाता है कि अब जबकि मुकदमा अपने अंतिम चरण में है तो समझौते का कोई अवसर बाकी नहीं रह गया है और कोर्ट का ही फैसला मान्य होगा.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: किसानों और जवानों को किया गया सम्मानित

यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होना देश के लिए खतरा
बोर्ड ने यह भी साफ किया कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना देश की विविधता के लिए बड़ा खतरा है. बोर्ड ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंदुस्तान एक बहु धार्मिक देश है, जहां रहने वाले हर नागरिक को अपने धर्म पर अमल करने और अपनी सभ्यता के साथ जीवन व्यतीत करने की संवैधानिक आजादी है. इसलिए यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की अदालत के जरिए जो भी कोशिश की जाएगी बोर्ड उसके विरोध में रहेगा.

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगा बोर्ड
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन तलाक कानून पर बोर्ड ने कहा कि जो कानून पार्लियामेंट से पास किया गया है वह कानून शरीयत में हस्तक्षेप है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले और भारत के संविधान के विरुद्ध है. इससे औरतों और बच्चों का लाभ भी प्रभावित होगा. इसलिए बोर्ड ने फैसला किया है कि वह इस कानून को अदालत में चैलेंज करेगा. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगा.

लखनऊ: राजधानी के नदवा कॉलेज में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की शनिवार को कई घण्टे चली मीटिंग के बाद बोर्ड ने अयोध्या मसले पर अपना रुख साफ कर दिया है. बोर्ड ने विवादित जमीन को देने या उसको शिफ्ट किए जाने की तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए इसको गैर शरई बताया है. बोर्ड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके हक में होगा, जिसका अब इंतजार करना चाहिए.

मंदिर तोड़कर नहीं बनी थी मस्जिद
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति की बैठक में तमाम सदस्यों से चर्चा और राय विमर्श करने के बाद बोर्ड ने देश के सबसे बड़े मुद्दे अयोध्या विवाद पर अपना रुख साफ कर दिया है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद किसी भी धार्मिक स्थल या मन्दिर को तोड़ कर नही बनाई गई थी और न ही मस्जिद की जमीन को ट्रांसफर या छोड़ा जा सकता है.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में लिया गया बड़ा फैसला.

बोर्ड ने कहा कोर्ट का ही फैसला होगा मान्य
बोर्ड ने कहा कि कुछ जगहों से समझौते की बात बार-बार सामने आती रही है, जिस पर बोर्ड ने भी पूरी रजामन्दी के साथ समझौते की ऐसी कार्रवाई में हिस्सा भी लिया. इससे इंसाफ पर आधारित कोई हल निकल आए जो सबके लिए कुबूल हो, लेकिन बार-बार की कोशिशों के बाद भी यह बात साफ हो चुकी है कि इस मसले में जाहिर तौर पर कोई समझौता मुमकिन नहीं है. इसलिए यह साफ किया जाता है कि अब जबकि मुकदमा अपने अंतिम चरण में है तो समझौते का कोई अवसर बाकी नहीं रह गया है और कोर्ट का ही फैसला मान्य होगा.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: किसानों और जवानों को किया गया सम्मानित

यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होना देश के लिए खतरा
बोर्ड ने यह भी साफ किया कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना देश की विविधता के लिए बड़ा खतरा है. बोर्ड ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंदुस्तान एक बहु धार्मिक देश है, जहां रहने वाले हर नागरिक को अपने धर्म पर अमल करने और अपनी सभ्यता के साथ जीवन व्यतीत करने की संवैधानिक आजादी है. इसलिए यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की अदालत के जरिए जो भी कोशिश की जाएगी बोर्ड उसके विरोध में रहेगा.

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगा बोर्ड
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन तलाक कानून पर बोर्ड ने कहा कि जो कानून पार्लियामेंट से पास किया गया है वह कानून शरीयत में हस्तक्षेप है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले और भारत के संविधान के विरुद्ध है. इससे औरतों और बच्चों का लाभ भी प्रभावित होगा. इसलिए बोर्ड ने फैसला किया है कि वह इस कानून को अदालत में चैलेंज करेगा. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगा.

Intro:राजधानी लखनऊ के नदवा कॉलेज में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की शनिवार को कई घण्टे चली मीटिंग के बाद बोर्ड ने अयोध्या मसले पर अपना रुख साफ कर दिया है। बोर्ड ने विवादित ज़मीन को देने या उसको शिफ्ट करे जाने की तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए इसको गैर शरई बताया है। बोर्ड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके हक़ में होगा जिसका अब इंतेज़ार करना चाहिए।


Body:ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति की बैठक में तमाम सदस्यों से चर्चा और राय विमर्श करने के बाद बोर्ड ने देश के सबसे बड़े मुद्दे अयोध्या विवाद पर अपना रुख साफ कर दिया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद किसी भी धार्मिक स्थल या मन्दिर को तोड़ कर नही बनाई गई थी और न ही मस्जिद की ज़मीन को ट्रांसफर या छोड़ा जा सकता है। बोर्ड ने कहा कि कुछ जगहों से समझौते की बात बार-बार सामने आती रही है जिसपर बोर्ड ने भी पूरी रज़ामन्दी के साथ समझौते की ऐसी कार्रवाई में हिस्सा भी लिया जिससे इंसाफ पर आधारित कोई हल निकल आए जो सबके लिए कुबूल हो, लेकिन बार-बार की कोशिशों के बाद भी यह बात साफ हो चुकी है कि इस मसले में जाहिर तौर पर कोई समझौता मुमकिन नहीं है इसलिए यह साफ किया जाता है कि अब जबकि मुकदमा अपने अंतिम चरण में है तो समझौते का कोई अफसर बाकी नहीं रह गया है और कोर्ट का ही फैसला मान्य होगा। बोर्ड ने यह भी साफ किया कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना देश की विविधता के लिए बड़ा खतरा है। बोर्ड ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर टिप्पड़ी करते हुए कहा कि हिंदुस्तान एक बहु धार्मिक देश है जहां रहने वाले हर नागरिक को अपने धर्म पर अमल करने और अपनी सभ्यता के साथ जीवन व्यतीत करने की संवैधानिक आजादी है इसलिए यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की अदालत के जरिए जो भी कोशिश की जाएगी बोर्ड उसके विरोध में रहेगा।

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन तलाक कानून पर बोर्ड ने कहा कि जो कानून पार्लियामेंट से पास किया गया है व कानून शरीयत में हस्तक्षेप है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले और भारत के संविधान के विरुद्ध है इससे औरतों और बच्चों का लाभ भी प्रभावित होगा इसलिए बोर्ड ने फैसला किया है कि वह इस कानून को अदालत में चैलेंज करेगा और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटिशन दाखिल करेगा।


Conclusion:
Last Updated : Oct 12, 2019, 10:02 PM IST
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