लखनऊ : संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के संगीत नाटक अकादमी का स्थापना दिवस सोमवार 20 नवम्बर को मनाया गया. इस अवसर पर अकादमी की ओर से परंपरा के अनुसार ‘‘धरोहर” सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन गोमती नगर स्थित अकादमी परिसर के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में किया गया. इस संध्या को कोलकाता से पटियाला घराने की विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती ने अपने कंठ स्वरों से यादगार बनाया. खास बात यह भी रही कि उनके साथ उनके सुपुत्र ऋषित देसीकन ने भी गायन में साथ दिया.
राग श्याम कल्याण के बोल सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता : वर्ष 2020 में नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित कौशिकी चक्रवर्ती ने कार्यक्रम की शुरुआत राग श्याम कल्याण से की. इस मधुर रचना के बोल बनाव सुनते ही बने. इस क्रम में उन्होंने “पिया बिन नींद नहीं आवे”, चतुरंग “आज शुभ दीप जलावो सब”, राग मधुवंती में “काहे मान करो सखी री अब” सुनाकर प्रशंसा हासिल की. ख्याल से लेकर ठुमरी तक को प्रभावी रूप से पेश करने वाली लोकप्रिय शास्त्रीय और उपशास्त्रीय गायिका कौशिकी चक्रवर्ती, हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक, पद्मभूषण पंडित अजॉय चक्रवर्ती की बेटी हैं. उनके साथी कलाकारों में लोकप्रिय तबला वादक ओजस अदया, सांरगी वादक मुराद अली और हारमोनियम वादक ज्योतिर्मय बनर्जी शामिल रहे.
लखनऊवासी संकल्प लें कि शास्त्रीय संगीत का कोई कार्यक्रम खाली न जाए |
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समारोह में शामिल रहीं ये हस्तियां : दीप प्रज्वलन के बाद अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर ने समारोह की मुख्य अतिथि पद्मश्री मालिनी अवस्थी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी और आमंत्रित शास्त्रीय गायिका कौशिकी चक्रवर्ती का अभिनंदन किया. इस अवसर पर संस्कृति एवं पर्यटन के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम विशिष्ट अतिथि रहे. अन्य आमंत्रित अतिथियों में समाज कल्याण के प्रमुख सचिव डॉ. हरिओम, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह, संस्कृति के विशेष सचिव राकेश चन्द्र शर्मा, होमगार्ड के अपर मुख्य सचिव अनिल कुमार, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की पूर्व अध्यक्ष डॉ. पूर्णिमा पाण्डेय सहित अन्य शामिल रहे.
शास्त्रीय संगीत को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाए : समारोह के उद्घाटन सत्र में प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने कहा कि समुद्र सरोवरों से निकली विभिन्न प्राकृतिक ध्वनियों को छह मुख्य भारतीय रागों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है. आवश्यकता यह है कि नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाए. उनके अनुसार शास्त्रीय संगीत को हम हृदयंगम और आत्मसात करते हैं. इसलिए यह शरीर से ज्यादा आत्मा से जुड़ता है. इससे लोगों को सुकून मिलता है. इसके लिए जरूरी है कि मानसिक रूप से हम अपने को तैयार करें तभी इसे आत्मसात किया जा सकता है. पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि अकादमी द्वारा शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जा रहा है यह उल्लेखनीय है. इस कड़ी में धरोहर समारोह में कौशिकी चक्रवर्ती का गायन अपने में मणिकांचन संयोग है.
शास्त्रीय संगीत रसिकों के लिए यादगार सौगात : 13 नवम्बर, 1963 को संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश की स्वायत्तशासी इकाई के रूप में शुरू हुई अकादमी प्रदेश स्तर पर संगीत, नृत्य, लोक संगीत, लोक नाट्य की परम्पराओं के प्रचार–प्रसार, संवद्धर्न एवं परिरक्षण का महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं. इस कड़ी में अकादमी स्थापना दिवस समारोह में आमंत्रित विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती की संगीत संध्या स्थानीय शास्त्रीय संगीत रसिकों के लिए यादगार सौगात रही. यह कार्यक्रम अपने में इसलिए भी याद किया जाएगा कि सशुल्क प्रवेश व्यवस्था को इस आयोजन में अपनाया गया और उल्लेखनीय बात यह भी रही कि पूरा संत गाडगे प्रेक्षागृह सुधि श्रोताओं से खचाखच भरा रहा. इस कार्यक्रम का संचालन अलका निवेदन ने किया.