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मुरादनगर नहीं है अकेला, यूपी में ऐसे हादसों का रेला - श्मशान हादसा

रविवार को गाजियाबाद में हुए हादसे में 25 लोगों की जान चली गई. इस हादसे ने भ्रष्टाचार की पोल खोल दी लेकिन यह कोई ऐसा पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी ऐसे हादसे हो चुके हैं लेकिन लगाम अब तक नहीं लग पाया है.

मुरादनगर हादसे में गई 25 की जान
मुरादनगर हादसे में गई 25 की जान
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Published : Jan 4, 2021, 8:30 PM IST

लखनऊ : गाजियाबाद के मुरादनगर में रविवार को श्मशान परिसर में गैलरी की छत गिरने से 25 लोगों की मौत हो गई. सभी लोग अंतिम संस्कार में शामिल होने श्मशान घाट गए थे. मारे गए लोगों में कुछ लोग ऐसे भी थे. जो अपने घर का इकलौता सहारा थे. अब उनके घर का चिराग बुझ गया है. हादसे से आहत होकर मृतकों के परिजनों ने सोमवार को मुरादनगर में NH-58 पर तीन मृतकों की डेड बॉडी रखकर प्रदर्शन किया. इसके अलावा उखलारसी गांव के मृतकों के परिजनों ने भी चार और शवों को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया. गाजियाबाद के एसपी सिटी अभिषेक वर्मा के अनुसार, इस मामले में अधिशासी अधिकारी निहारिका सिंह, जूनियर इंजीनियर चंद्रपाल और सुपरवाइजर आशीष को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि छत बनाने वाला ठेकेदार अजय त्यागी अभी भी फरार है.

पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे

ठेकेदार की लापरवाही के कारण कई ऐसे हादसे हुए हैं, जिनमें बेगुनाह लोगों को जान गंवानी पड़ी. इससे पहले 19 जून 2020 को एटा में एनएच-91 पर निर्माणाधीन फ्लाईओवर का बीम करीब 30 फीट की ऊंचाई से गिर गया था. इस हादसे में 2 लोगों की मौत हो गई थी. 15 मई 2018 को वाराणसी में एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर भी ध्वस्त हो गया था, जिसमें 18 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. 1 अक्टूबर 2008 को जब उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरा था तब 6 लोगों की मौत हो गई थी. तब यह खबर सुर्खियों में छाई रही थी. इतना ही नहीं तब तत्कालीन प्रदेश सरकार ने भरोसा दिया था कि निर्माण के दौरान गुणवत्ता और सुरक्षा के मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा. मगर ऐसा नहीं हो सका.

उत्तर प्रदेश में हादसों पर एक नजर
उत्तर प्रदेश में हादसों पर एक नजर

लखनऊ : गाजियाबाद के मुरादनगर में रविवार को श्मशान परिसर में गैलरी की छत गिरने से 25 लोगों की मौत हो गई. सभी लोग अंतिम संस्कार में शामिल होने श्मशान घाट गए थे. मारे गए लोगों में कुछ लोग ऐसे भी थे. जो अपने घर का इकलौता सहारा थे. अब उनके घर का चिराग बुझ गया है. हादसे से आहत होकर मृतकों के परिजनों ने सोमवार को मुरादनगर में NH-58 पर तीन मृतकों की डेड बॉडी रखकर प्रदर्शन किया. इसके अलावा उखलारसी गांव के मृतकों के परिजनों ने भी चार और शवों को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया. गाजियाबाद के एसपी सिटी अभिषेक वर्मा के अनुसार, इस मामले में अधिशासी अधिकारी निहारिका सिंह, जूनियर इंजीनियर चंद्रपाल और सुपरवाइजर आशीष को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि छत बनाने वाला ठेकेदार अजय त्यागी अभी भी फरार है.

पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे

ठेकेदार की लापरवाही के कारण कई ऐसे हादसे हुए हैं, जिनमें बेगुनाह लोगों को जान गंवानी पड़ी. इससे पहले 19 जून 2020 को एटा में एनएच-91 पर निर्माणाधीन फ्लाईओवर का बीम करीब 30 फीट की ऊंचाई से गिर गया था. इस हादसे में 2 लोगों की मौत हो गई थी. 15 मई 2018 को वाराणसी में एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर भी ध्वस्त हो गया था, जिसमें 18 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. 1 अक्टूबर 2008 को जब उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरा था तब 6 लोगों की मौत हो गई थी. तब यह खबर सुर्खियों में छाई रही थी. इतना ही नहीं तब तत्कालीन प्रदेश सरकार ने भरोसा दिया था कि निर्माण के दौरान गुणवत्ता और सुरक्षा के मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा. मगर ऐसा नहीं हो सका.

उत्तर प्रदेश में हादसों पर एक नजर
उत्तर प्रदेश में हादसों पर एक नजर
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