लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की कहानी पर आधारित व अचला बोस द्वारा निर्देशित नाटक 'मंत्र' का सामाजिक एवं सांस्कृतिक श्रद्धा मानव सेवा कल्याण समिति ने शुक्रवार को मंचन किया. इस दौरान उप्र संगीत नाटक अकादमी परिसर में वरिष्ठ अधिवक्ता स्वर्गीय पंडित सिद्धनाथ पांडेय एवं स्वर्गीय सरला पांडेय साहित्य रत्न की स्मृति में मंत्र में उच्च वर्गीय समाज के डाक्टरों पर कटाक्ष किया गया. साथ ही चिकित्सक को अपने कर्म और धर्म से मरीज की रक्षा और उसका इलाज करने की सीख भी दी गई.
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नाटक की कहानी सपेरा भगत के परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है. उसकी पत्नी धनिया और एक पुत्र परिवार में हैं. भगत के कई पुत्र हुए जो बीमारी के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए. एक बार भगत के अंतिम पुत्र पन्ना की बीमारी के कारण उसकी हालत बिगड़ने लगती है.
भगत पन्ना को लेकर डॉक्टर चड्ढा के पास जाता है तो उस समय डॉक्टर के गोल्फ खेलने का समय होता है. वह दूसरे दिन सुबह पन्ना को लाने की बात भगत से कहता है लेकिन पन्ना की हालत इतनी खराब हो जाती है कि वह क्लीनिक में ही दम तोड़ देता है.
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कहते हैं समय बड़ा बलवान होता है और डॉक्टर चड्ढा ईश्वर की नजरों में दोषी थे. उनके परिवार में उनकी पत्नी तथा एक पुत्र कैलाश था. कैलाश अपनी सहपाठिनी मृणालिनी से प्रेम करता था. उसी के साथ विवाह करने का इच्छुक था. बेटे के जन्म दिवस पर दोनों की सगाई होना निश्चित हुआ.
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कैलाश को विभिन्न प्रकार के सांप पालने का शौक था. वह सांपों के स्वभाव पर अनुसंधान कर रहा था. कैलाश के जन्म दिवस के अवसर पर मृणालिनी तथा मित्रों के आग्रह पर जब वह सांपों को उठाकर उन मित्रों को दिखा रहा था.
तभी एक जहरीले सांप ने उसे डस लिया और डॉ. चड्ढा का बेटा कैलाश वहीं मूर्छित हो गया. उसकी हालत अत्यंत गंभीर हो गयी. हर्षोल्लास का वातावरण एकाएक खामोशी में बदल गया.
वहीं, डॉक्टर चड्ढा भी अपने पुत्र कैलाश की चिकित्सा करने में असमर्थ रहे. इस स्थिति को देखकर वह निराश हो गए. रात में गांव के एक व्यक्ति तथा चौकीदार द्वारा भगत को यह सूचना दी गयी कि डॉ चड्ढा के पुत्र को सांप ने डस लिया है.
भगत उसकी बात सुनकर जब अपने घर लौटता है तब उसकी पत्नी धनिया भगत पर व्यंग करती है. वह डॉ. चड्ढा के घर न जाने के लिए कहती है. फिर भी धनिया की नजरें बचाकर भगत डॉ. चड्ढा के यहां जाकर झाड़ फूंक कर उसके बेटे कैलाश को बचा लेता है.
तब डॉक्टर अपने आप को धिक्कारता है. डॉ. चड्ढा भगत को पहचान लेता है कि उस दिन भगत अपने बेटे को लेकर जब इलाज कराने आया था तो उसने उसे देखने तक से मना कर दिया था. यदि वह उसे उस वक्त देख लेता तो शायद भगत के बेटे की जान बच जाती.
सशक्त कथानक से परिपूर्ण नाटक 'मंत्र' में इच्छा शंकर, अचला बोस, अशोक लाल, श्रद्धा बोस, आनंद प्रकाश शर्मा, सौरभ सिंह, मंषूबाब, अनमोल जॉन, मोहित यादव, सचिन कुमार, ऋषभ तिवारी, संदीप कुमार और पदमा ने अपने दमदार अभिनय से रंगप्रेमी दर्शकों को देर तक अपने आकर्षण के जाल में बांधे रखा.
नाट्य नेपथ्य में सेट डिजाइनिंग अशोक लाल, सेट निर्माण सचिन कुमार व सौरभ सिंह, रूप सज्जा विश्वास, संगीत संयोजन मोनिस सिद्दीकी तथा निर्माण सहयोग आलोक कुमार पांडेय का योगदान नाटक को सफल बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ.
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