लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी के लिए 2022 के निकाय चुनाव (civic elections 2022) में नगर निगम से ज्यादा बड़ी चुनौती नगर पालिका है. करीब 200 नगरपालिका क्षेत्रों में भाजपा 50 फ़ीसदी सीटें जीतकर अपना प्रभाव स्थापित करना चाहती है. भले ही भाजपा में पिछली बार 14 नगर निगमों में जीत हासिल की थी लेकिन नगर पालिकाओं में उसका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. इस बार भाजपा का जोर नगर पालिका पर अधिक है. उत्तर प्रदेश में कुल 17 नगर निगम, 198 नगर पालिका और 493 नगर पंचायत हैं जो राज्य के शहरी क्षेत्रों में आती हैं.
नगर निकाय चुनाव की घोषणा 20 नवंबर तक होने की संभावना है. जिसको लेकर अलग-अलग राजनीतिक दल जोरदार तैयारियां कर रहे हैं. मगर सबसे ज्यादा तैयारियां भारतीय जनता पार्टी में हो रही है. भाजपा ने चुनाव के लिए प्रत्येक जिले में मंत्रियों को मुख्य प्रभारी बनाया है. जबकि अपने प्रमुख नेताओं को सह प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया है. प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ले चुके हैं. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि निकाय चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी कितनी गंभीर है.
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में नगर निगम के चुनाव को लेकर भाजपा इतनी चिंतित नहीं है. जितनी चिंता नगर पालिका और नगर पंचायत को लेकर है. नगर निगम में अपने अच्छे प्रदर्शन को लेकर भाजपा आश्वस्त है. नगर पालिका और नगर पंचायतों में उसका प्रदर्शन अब तक कमजोर रहा है. ऐसे में 50 फ़ीसदी से अधिक सीटों को जीतने के लिए भाजपा जोर कस रही है. जिसको लेकर सबसे पहले बूथ स्तर पर संगठन को चुनाव के लिए तैयार किया जा रहा है ताकि जहां से पार्टी कमजोर है वहां अतिरिक्त प्रयास किए जा सकें.
महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह और अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह की ओर से सभी पदाधिकारियों और प्रभारियों को यह स्पष्ट संकेत दे दिया गया है कि नगर पालिका और नगर पंचायतों पर अधिक ध्यान दें. ताकि इस बार बेहतर प्रदर्शन हो. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौधरी ने बताया कि निश्चित तौर पर हम जहां कमजोर हैं वहां अतिरिक्त मेहनत कर रहे हैं. हम बूथ स्तर से इसकी तैयारी कर रहे हैं. ताकि इस बार निकाय चुनाव में और बेहतर परिणाम आ सकें.