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लॉकडाउन में कमजोर हुई हड्डियां, ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों में बढ़ा मल्टीपल फ्रैक्चर

लोहिया अयुर्विज्ञान संस्थान के पेन मेडिसिन यूनिट के इंचार्ज डॉ अनुराग अग्रवाल के मुताबिक, व्यायाम से दूरी, शरीर में विटामिन की कमी आदि के चलते आस्टियोपोरोसिस के मरीजों की हड्डियां और कमजोर हो गईं हैं.

ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों में बढ़ा मल्टीपल फ्रैक्चर
ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों में बढ़ा मल्टीपल फ्रैक्चर
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Published : Nov 11, 2021, 8:37 PM IST

लखनऊ: कोरोना के कारण देश में लागू हुआ लॉकडाउन कई मुसीबतें देकर गया. लॉकडाउन में लोगों की जीवन शैली बिगड़ी जिसके कारण लोगों के सामने स्वास्थ्य संबंधी कई चुनौतियां भी खड़ी हो गईं.अब धीरे-धीरे इसके दुष्प्रभाव भी उभर कर आ रहे हैं. लोहिया अयुर्विज्ञान संस्थान के पेन मेडिसिन यूनिट के इंचार्ज डॉ अनुराग अग्रवाल के मुताबिक, व्यायाम से दूरी, शरीर में विटामिन की कमी आदि के चलते आस्टियोपोरोसिस के मरीजों की हड्डियां और कमजोर हो गईं हैं. इतना ही नहीं डॉक्टरों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान घर में कामवाली के न आने से बुजुर्गों को खुद का काम करना पड़ा, जिसके कारण उस वक्त अनजाने में क्रेक हुई हड्डी अब मल्टीपल फ़्रैक्चर में तब्दील हो गई हैं. जिसके कारण अस्पतालों में मल्टीपल फ्रैक्चर के मरीजों की तादाद पहले से तीन गुना बढ़ गई है.


महिलाओं में ज्यादा समस्या
ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियों कमजोर हो जाती हैं. यह समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होती है. इस बीमारी से पीड़ित मरीज में अचानक मूवमेंट करने या हल्का दबाव पड़ने पर भी हड्डियां टूट जाती हैं. यही नहीं मल्टीपल फ्रैक्चर भी हो जाता है. इस बीमारी के लक्षण 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा देखने को मिलते हैं.

पेन मेडिसिन यूनिट के इंचार्ज डॉ अनुराग अग्रवाल से खास बातचीत.
तीन करोड़ से ज्यादा रोगी
डॉ अनुराग अग्रवाल के मुताबिक, ऑस्टियोपोरोसिस से पीठ, कमर, गर्दन और घुटने में दर्द होना आम बात हो रही है. भारत में इस समय करीब तीन करोड़ लोग ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार हैं. महिलाओं में इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा देखने को मिलता है. भारत में हर आठ में से एक पुरुष और हर तीन में एक महिला ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार है.

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इन पर दें ध्यान

  • हड्डियों के हल्के दर्द को भी नजरंदाज न करें.
  • सिर्फ दर्द की दवा खाकर दर्द भगाने का न करें काम.
  • दर्द होने पर दवा लें लेकिन चिकित्सक की सलाह भी लें.
  • हड्डी में दर्द की समस्या है तो वही व्यायाम करें जो एक्सपर्ट बताएं.
  • सोकर उठने और बैठने के व्यवहार में परिवर्तन लाएं.
  • शरीर में कैल्शियम व विटमिन डी की पूर्ति रखें.
  • दूध या उससे बनने वाले उत्पाद का सेवन करें.

लखनऊ: कोरोना के कारण देश में लागू हुआ लॉकडाउन कई मुसीबतें देकर गया. लॉकडाउन में लोगों की जीवन शैली बिगड़ी जिसके कारण लोगों के सामने स्वास्थ्य संबंधी कई चुनौतियां भी खड़ी हो गईं.अब धीरे-धीरे इसके दुष्प्रभाव भी उभर कर आ रहे हैं. लोहिया अयुर्विज्ञान संस्थान के पेन मेडिसिन यूनिट के इंचार्ज डॉ अनुराग अग्रवाल के मुताबिक, व्यायाम से दूरी, शरीर में विटामिन की कमी आदि के चलते आस्टियोपोरोसिस के मरीजों की हड्डियां और कमजोर हो गईं हैं. इतना ही नहीं डॉक्टरों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान घर में कामवाली के न आने से बुजुर्गों को खुद का काम करना पड़ा, जिसके कारण उस वक्त अनजाने में क्रेक हुई हड्डी अब मल्टीपल फ़्रैक्चर में तब्दील हो गई हैं. जिसके कारण अस्पतालों में मल्टीपल फ्रैक्चर के मरीजों की तादाद पहले से तीन गुना बढ़ गई है.


महिलाओं में ज्यादा समस्या
ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियों कमजोर हो जाती हैं. यह समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होती है. इस बीमारी से पीड़ित मरीज में अचानक मूवमेंट करने या हल्का दबाव पड़ने पर भी हड्डियां टूट जाती हैं. यही नहीं मल्टीपल फ्रैक्चर भी हो जाता है. इस बीमारी के लक्षण 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा देखने को मिलते हैं.

पेन मेडिसिन यूनिट के इंचार्ज डॉ अनुराग अग्रवाल से खास बातचीत.
तीन करोड़ से ज्यादा रोगी
डॉ अनुराग अग्रवाल के मुताबिक, ऑस्टियोपोरोसिस से पीठ, कमर, गर्दन और घुटने में दर्द होना आम बात हो रही है. भारत में इस समय करीब तीन करोड़ लोग ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार हैं. महिलाओं में इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा देखने को मिलता है. भारत में हर आठ में से एक पुरुष और हर तीन में एक महिला ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार है.

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इन पर दें ध्यान

  • हड्डियों के हल्के दर्द को भी नजरंदाज न करें.
  • सिर्फ दर्द की दवा खाकर दर्द भगाने का न करें काम.
  • दर्द होने पर दवा लें लेकिन चिकित्सक की सलाह भी लें.
  • हड्डी में दर्द की समस्या है तो वही व्यायाम करें जो एक्सपर्ट बताएं.
  • सोकर उठने और बैठने के व्यवहार में परिवर्तन लाएं.
  • शरीर में कैल्शियम व विटमिन डी की पूर्ति रखें.
  • दूध या उससे बनने वाले उत्पाद का सेवन करें.
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