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तो क्या मुलायम की छोटी बहू अपर्णा को इस सीट से चुनाव लड़ने की मिली हरी झंडी, क्या रहेगा सियासी समीकरण...जानिए - अमेठी की तिलोई विधानसभा

पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा बिष्ट यादव अब लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट के बजाय अमेठी की तिलोई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहीं हैं. चलिए जानते हैं इसकी वजह और समीकरण के बारे में...

तो क्या मुलायम की छोटी बहू अपर्णा को इस सीट से चुनाव लड़ने की मिली हरी झंडी.
तो क्या मुलायम की छोटी बहू अपर्णा को इस सीट से चुनाव लड़ने की मिली हरी झंडी.
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Published : Dec 8, 2021, 4:33 PM IST

Updated : Dec 8, 2021, 8:06 PM IST

लखनऊः समाजवादी पार्टी के संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा बिष्ट यादव पिछले करीब 4 साल से राजधानी लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ा रही थीं. कई तरह के सामाजिक कार्यों को वह स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से भी कर रही थी और कोरोना के संकट काल के दौरान भी वह लोगों की मदद करती हुई नजर आ रही थी.


2022 विधानसभा चुनाव (up assembly election 2022) नजदीक हैं. सभी राजनीतिक दलों के साथ-साथ उम्मीदवार भी अपनी-अपनी चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसी स्थिति में अपर्णा बिष्ट यादव एक नए विधानसभा क्षेत्र पर अब अपनी चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ाती हुई नजर आ रही हैं और उन्होंने बाकायदा इसकी शुरुआत भी अमेठी जिले की तिलोई विधानसभा सीट से कर दी है.

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र इस बारे में यह बोले.

पिछले दिनों तिलोई क्षेत्र में एक कार्यक्रम में उन्होंने शिरकत की और तिलोई से चुनाव लड़ने के संकेत भी दिए. यह भी कहा कि चुनाव लड़ने को लेकर अंतिम फैसला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव करेंगे. कुल मिलाकर राजनीति की बात समझने वाले लोगों को यह बात समझ आ गई है कि अपर्णा यादव की नई सियासी जमीन अब अमेठी की तिलोई सीट होगी और वहीं से अपनी चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ा रही हैं.


ईटीवी भारत को भी समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं से मिली जानकारी के अनुसार समाजवादी पार्टी नेतृत्व की तरफ से अपर्णा बिष्ट यादव को तिलोई सीट से चुनाव लड़ने की हरी झंडी भी मिल चुकी है और यही कारण है कि उन्होंने अपनी चुनावी तैयारियों को वहां से आगे बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है. अखिलेश यादव परिवार की बहू अपर्णा के लिए ऐसी सीट पर ही चुनाव लड़ाने को लेकर सहमत हुए हैं जिससे उनकी जीत भी सुनिश्चित कराई जा सके.


जानकारों के मुताबिक राजधानी लखनऊ की कैंट सीट की तुलना में तिलोई सीट समाजवादी पार्टी की जीत को काफी सुनिश्चित करने वाली है. यही कारण है कि अपर्णा बिष्ट यादव को कैंट सीट छुड़वाकर अब तिलोई पर केंद्रित किया गया है, जिससे वह अपनी चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ा सकें. लखनऊ की जो कैंट सीट है, इसमें समाजवादी पार्टी की कभी जीत भी नहीं हुई.

ऐसी स्थिति में यह सीट बदलने का फैसला किया गया है. अमेठी की तिलोई सीट ज्यादातर कांग्रेस पार्टी के कब्जे में रही है तो समाजवादी पार्टी भी जीत भी दर्ज कर चुकी है और भारतीय जनता पार्टी भी तिलोई सीट जीतती रही है, पिछले चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी को यहां से जीत मिली थी लेकिन 2022 के सियासी युद्ध में अपर्णा बिष्ट यादव चुनाव जीतती है या नहीं यह जनता जनार्दन को ही तय करना है।




2017 के विधानसभा चुनाव में तिलोई सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर राजा मयंकेश्वर शरण सिंह ने जीत दर्ज की थी. इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर डॉ. मोहम्मद मुस्लिम विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे. उससे पहले 2007 के चुनाव में मयंकेश्वर शरण सिंह समाजवादी पार्टी से जीते थे. 2002 में भी मयंकेश्वर शरण सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे वह अपने सियासी समीकरण के अनुसार सपा भाजपा में आते जाते रहे हैं. इससे पहले 1996 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से डॉ. मोहम्मद मुस्लिम ने जीत दर्ज की थी. उससे पहले 1993 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर राजा मयंकेश्वर शरण सिंह ने जीत दर्ज की थी. इससे पहले 1980, 1985, 1989 और 1991 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर हाजी मोहम्मद वसीम चुनाव जीते थे.


ये भी पढ़ेंः प्रियंका का 'शक्ति विधान' घोषणा पत्र, महिलाओं को चुनाव और नौकरियों में 40 फीसद आरक्षण




इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र कहते हैं कि लखनऊ की कैंट सीट कभी भी समाजवादी पार्टी की नहीं रही है इसलिए वह कैंट से तैयारी कर रही थी तो गलत कर रही थी यह जरूर है कि उत्तराखंड के काफी संख्या में लोग वहां पर रहते हैं लेकिन वह चुनाव जिताने के फार्मूले पर फिट नहीं बैठते हैं.

अगर अपर्णा यादव ने अपनी सीट बदली है तो वह एक समझदारी वाला फैसला लिया है. जिस प्रकार से अपर्णा ने अखिलेश यादव को फैसला करने की बात कही है यह भी पॉलिटिकल रूप से समाजवादी पार्टी की लाइन पर ही आगे बढ़ती हुई नजर आ रही हैं हालांकि वह पहले समाजवादी पार्टी की लाइन पर नहीं चलती थी, अगर वह तिलोई से तैयारी कर रही है और चुनाव लड़ना चाहती है तो निसंदेह या एक अच्छा फैसला है.

पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी इससे सहमत होते हैं तो यह और भी अच्छी बात होगी. अखिलेश यादव अपर्णा सिंह यादव जैसे परिवार के किसी सदस्य को उसी सीट से चुनाव लड़ाने को लेकर फैसला लेंगे जिससे उनकी जीत सुनिश्चित हो सके क्योंकि किसी परिवार के सदस्य की हार-जीत से अखिलेश यादव का सीधा रिश्ता होगा.

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लखनऊः समाजवादी पार्टी के संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा बिष्ट यादव पिछले करीब 4 साल से राजधानी लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ा रही थीं. कई तरह के सामाजिक कार्यों को वह स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से भी कर रही थी और कोरोना के संकट काल के दौरान भी वह लोगों की मदद करती हुई नजर आ रही थी.


2022 विधानसभा चुनाव (up assembly election 2022) नजदीक हैं. सभी राजनीतिक दलों के साथ-साथ उम्मीदवार भी अपनी-अपनी चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसी स्थिति में अपर्णा बिष्ट यादव एक नए विधानसभा क्षेत्र पर अब अपनी चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ाती हुई नजर आ रही हैं और उन्होंने बाकायदा इसकी शुरुआत भी अमेठी जिले की तिलोई विधानसभा सीट से कर दी है.

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र इस बारे में यह बोले.

पिछले दिनों तिलोई क्षेत्र में एक कार्यक्रम में उन्होंने शिरकत की और तिलोई से चुनाव लड़ने के संकेत भी दिए. यह भी कहा कि चुनाव लड़ने को लेकर अंतिम फैसला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव करेंगे. कुल मिलाकर राजनीति की बात समझने वाले लोगों को यह बात समझ आ गई है कि अपर्णा यादव की नई सियासी जमीन अब अमेठी की तिलोई सीट होगी और वहीं से अपनी चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ा रही हैं.


ईटीवी भारत को भी समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं से मिली जानकारी के अनुसार समाजवादी पार्टी नेतृत्व की तरफ से अपर्णा बिष्ट यादव को तिलोई सीट से चुनाव लड़ने की हरी झंडी भी मिल चुकी है और यही कारण है कि उन्होंने अपनी चुनावी तैयारियों को वहां से आगे बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है. अखिलेश यादव परिवार की बहू अपर्णा के लिए ऐसी सीट पर ही चुनाव लड़ाने को लेकर सहमत हुए हैं जिससे उनकी जीत भी सुनिश्चित कराई जा सके.


जानकारों के मुताबिक राजधानी लखनऊ की कैंट सीट की तुलना में तिलोई सीट समाजवादी पार्टी की जीत को काफी सुनिश्चित करने वाली है. यही कारण है कि अपर्णा बिष्ट यादव को कैंट सीट छुड़वाकर अब तिलोई पर केंद्रित किया गया है, जिससे वह अपनी चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ा सकें. लखनऊ की जो कैंट सीट है, इसमें समाजवादी पार्टी की कभी जीत भी नहीं हुई.

ऐसी स्थिति में यह सीट बदलने का फैसला किया गया है. अमेठी की तिलोई सीट ज्यादातर कांग्रेस पार्टी के कब्जे में रही है तो समाजवादी पार्टी भी जीत भी दर्ज कर चुकी है और भारतीय जनता पार्टी भी तिलोई सीट जीतती रही है, पिछले चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी को यहां से जीत मिली थी लेकिन 2022 के सियासी युद्ध में अपर्णा बिष्ट यादव चुनाव जीतती है या नहीं यह जनता जनार्दन को ही तय करना है।




2017 के विधानसभा चुनाव में तिलोई सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर राजा मयंकेश्वर शरण सिंह ने जीत दर्ज की थी. इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर डॉ. मोहम्मद मुस्लिम विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे. उससे पहले 2007 के चुनाव में मयंकेश्वर शरण सिंह समाजवादी पार्टी से जीते थे. 2002 में भी मयंकेश्वर शरण सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे वह अपने सियासी समीकरण के अनुसार सपा भाजपा में आते जाते रहे हैं. इससे पहले 1996 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से डॉ. मोहम्मद मुस्लिम ने जीत दर्ज की थी. उससे पहले 1993 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर राजा मयंकेश्वर शरण सिंह ने जीत दर्ज की थी. इससे पहले 1980, 1985, 1989 और 1991 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर हाजी मोहम्मद वसीम चुनाव जीते थे.


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इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र कहते हैं कि लखनऊ की कैंट सीट कभी भी समाजवादी पार्टी की नहीं रही है इसलिए वह कैंट से तैयारी कर रही थी तो गलत कर रही थी यह जरूर है कि उत्तराखंड के काफी संख्या में लोग वहां पर रहते हैं लेकिन वह चुनाव जिताने के फार्मूले पर फिट नहीं बैठते हैं.

अगर अपर्णा यादव ने अपनी सीट बदली है तो वह एक समझदारी वाला फैसला लिया है. जिस प्रकार से अपर्णा ने अखिलेश यादव को फैसला करने की बात कही है यह भी पॉलिटिकल रूप से समाजवादी पार्टी की लाइन पर ही आगे बढ़ती हुई नजर आ रही हैं हालांकि वह पहले समाजवादी पार्टी की लाइन पर नहीं चलती थी, अगर वह तिलोई से तैयारी कर रही है और चुनाव लड़ना चाहती है तो निसंदेह या एक अच्छा फैसला है.

पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी इससे सहमत होते हैं तो यह और भी अच्छी बात होगी. अखिलेश यादव अपर्णा सिंह यादव जैसे परिवार के किसी सदस्य को उसी सीट से चुनाव लड़ाने को लेकर फैसला लेंगे जिससे उनकी जीत सुनिश्चित हो सके क्योंकि किसी परिवार के सदस्य की हार-जीत से अखिलेश यादव का सीधा रिश्ता होगा.

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Last Updated : Dec 8, 2021, 8:06 PM IST
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